पाठ्यक्रम: GS2/IR
संदर्भ
- इज़राइल और हमास ने युद्धविराम और बंधकों की रिहाई के समझौते पर सहमति व्यक्त की है, जिससे गाज़ा में दो वर्ष से चल रहे संघर्ष के समाप्त होने की संभावना है।
- यह समझौता लाल सागर शिपिंग मार्ग को पुनः खोल सकता है, जिसे ईरान समर्थित माने जा रहे हूती हमलों के कारण बाधित किया गया था।
माल भाड़ा दरें और वैश्विक व्यापार
- 2023 के अंत से माल भाड़ा दरों में तीन गुना तक वृद्धि हुई, क्योंकि जहाजों को केप ऑफ गुड होप के चारों ओर मोड़ना पड़ा।
- छोटे स्वेज नहर मार्ग अवरुद्ध हो गए, जिससे पारगमन समय, शिपिंग लागत और कंपनियों के मुनाफे में वृद्धि हुई।
- भारत का व्यापार विशेष रूप से प्रभावित हुआ, क्योंकि इसका 90–95% हिस्सा विदेशी वाहकों पर निर्भर करता है, मुख्य रूप से सूएज़ नहर के माध्यम से।

भारत पर प्रभाव
- निर्यात संबंधी चुनौतियाँ: लंबे मार्गों के कारण लागत और पारगमन समय बढ़ा, जिससे कम मार्जिन वाले, श्रम-प्रधान उत्पादों के लाभ में कमी आई।
- परिवहन लागत: भारतीय निर्यातकों को विदेशी शिपिंग कंपनियों को अधिक भुगतान करना पड़ा, जो लाल सागर संकट से पहले ही $100 अरब सालाना से अधिक था।
- रणनीतिक परियोजनाएँ जोखिम में: भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) में देरी हो सकती है।
- IMEC का उद्देश्य रेल, जहाज-रेल नेटवर्क और सड़क मार्गों के माध्यम से यूरोप के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करना है, जिससे स्वेज नहर पर निर्भरता कम हो और पारगमन समय में 40% तक की बचत हो सके।
- नीतिगत प्रतिक्रिया: संकट ने भारत की विदेशी शिपिंग पर निर्भरता और जहाज निर्माण में चीन की रणनीतिक बढ़त को उजागर किया।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी (₹69,725 करोड़ का पैकेज) भारत के जहाज निर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखती है।
- शिपबिल्डिंग वित्तीय सहायता योजना (SBFAS) को 2036 तक बढ़ाया गया है, जिसमें ₹24,736 करोड़ का प्रावधान है।
- राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन इन पहलों की निगरानी करेगा।
| अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों में प्रमुख अवरुद्ध बिंदु – हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य: फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के बीच स्थित, यह जलडमरूमध्य मध्य पूर्व से तेल आपूर्ति के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है। विश्व की तेल आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा इस चोक पॉइंट से होकर गुजरता है। – मलक्का जलडमरूमध्य: मलय प्रायद्वीप और इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के बीच स्थित, यह विश्व के सबसे व्यस्त जलमार्गों में से एक है। यह हिंद महासागर को दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर से जोड़ता है, जिससे यह यूरोप, मध्य पूर्व एवं पूर्वी एशिया के बीच व्यापार के लिए एक प्रमुख मार्ग बनता है। – पनामा नहर: अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली यह नहर अमेरिका, यूरोप एवं एशिया के बीच समुद्री व्यापार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह जहाजों को दक्षिण अमेरिका के खतरनाक और लंबे मार्ग से बचने की सुविधा देती है। – ताइवान जलडमरूमध्य: ताइवान और मुख्य भूमि चीन के बीच स्थित, यह जलडमरूमध्य पूर्वी एशिया क्षेत्र में शिपिंग के लिए आवश्यक है। यह चीन, ताइवान, जापान और अन्य एशियाई देशों के बीच माल परिवहन के लिए एक अत्यधिक व्यस्त जलमार्ग है। |
प्रमुख अपेक्षित परिणाम
- युद्धविराम से माल भाड़ा दरों में कमी आ सकती है और वैश्विक व्यापार में सुधार हो सकता है, विशेष रूप से भारत–यूरोप निर्यात में।
- दीर्घकालिक प्रभाव हूती समूह की अनुपालन और लाल सागर मार्ग की सुरक्षा पर निर्भर करेगा।
- अब जब माल भाड़ा दरों में कमी की संभावना है, भारत के कृषि उत्पाद, वस्त्र, जूते और समुद्री उत्पाद जैसे कम मार्जिन वाले निर्यात को यूरोप तक आसान पारगमन मिल सकता है।
- भारत यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के साथ अपने व्यापार के लिए स्वेज नहर मार्ग पर अत्यधिक निर्भर है।
- भारत अब समुद्री लॉजिस्टिक्स में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दे रहा है, जिसमें जहाज निर्माण भी शामिल है, ताकि रणनीतिक कमजोरियों को कम किया जा सके।
Source: IE
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