कोडाली करुप्पुर सिल्क साड़ी
पाठ्यक्रम: GS1/ संस्कृति
संदर्भ
- कोडाली करुप्पुर रेशमी साड़ी, जो कभी तंजावुर के मराठा राजाओं द्वारा पसंद की जाने वाली एक शानदार पोशाक थी, अब अपने पारंपरिक हथकरघा बुनकरों के कारण तेज़ी से कम होती जा रही है।
परिचय
- इसका नाम तमिलनाडु के तंजावुर (तंजौर) क्षेत्र में कुंभकोणम के पास एक गाँव करुप्पुर से लिया गया है।
- ये करुप्पुर की हाथ से बुनी हुई रेशमी साड़ियाँ, धोती और साज-सज्जा हैं जिनमें हाथ से पेंटिंग, ब्लॉक प्रिंटिंग एवं ब्रोकेड बुनाई का मिश्रण होता है।
- ये 19वीं शताब्दी तक लोकप्रिय थीं।
- बड़ौदा, कोल्हापुर और सतारा जैसे कुछ मराठा राज्यों में, करुप्पुर साड़ी दुल्हन के साज-सामान का एक अनिवार्य भाग थी, जैसा कि दूल्हे के लिए करुप्पुर पगड़ी थी।
- कोडाली करुप्पुर साड़ी को वर्तमान में GI (भौगोलिक संकेत) टैग नहीं मिला है।

Source: TH
MERITE योजना
पाठ्यक्रम: GS2/शासन
समाचार में
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत भर के तकनीकी संस्थानों में तकनीकी शिक्षा में बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान सुधार (MERITE) योजना को मंज़ूरी दे दी है।
MERITE योजना
- यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका 2025-30 के लिए ₹4,200 करोड़ का बजट है, जिसमें ₹2,100 करोड़ का विश्व बैंक ऋण भी शामिल है।
- यह गुणवत्ता, समानता एवं शासन को बढ़ाने के लिए NEP-2020 के अनुरूप है और इसका प्रबंधन एक केंद्रीय नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा।
- यह अद्यतन पाठ्यक्रम, इंटर्नशिप, संकाय प्रशिक्षण, अनुसंधान केंद्रों एवं नवाचार केंद्रों के माध्यम से छात्रों की रोज़गार क्षमता में सुधार पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य इंजीनियरिंग स्नातकों के बीच प्लेसमेंट बढ़ाना और बेरोज़गारी कम करना है।
- यह एनआईटी, राज्य इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक और तकनीकी विश्वविद्यालयों सहित 275 सरकारी तकनीकी संस्थानों के साथ-साथ राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों को सहायता प्रदान करेगा।
- आईआईटी, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान और नियामक निकाय इसके कार्यान्वयन में सहायता करेंगे।
Source: TH
ई-गवर्नेंस के लिए 23वें राष्ट्रीय पुरस्कार (NAeG) 2026 की योजना
पाठ्यक्रम: GS2/ शासन
संदर्भ
- प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) ने 23वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार (NAeG) 2026 के लिए योजना दिशानिर्देश जारी किए हैं।
परिचय
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान किए जाते हैं ताकि ई-गवर्नेंस पहलों के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता को सम्मानित और प्रोत्साहित किया जा सके।
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार 2026 के लिए नामांकन निम्नलिखित 7 श्रेणियों में प्रस्तुत किए जा सकते हैं:
- डिजिटल परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा सरकारी प्रक्रिया पुनः अभियांत्रण,
- नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अन्य नवीन तकनीकों के उपयोग द्वारा नवाचार,
- साइबर सुरक्षा में सर्वोत्तम ई-गवर्नेंस प्रथाएं/नवाचार,
- जिला स्तर की ई-गवर्नेंस पहलें,
- सेवा वितरण को गहराई और विस्तार देने के लिए ग्राम पंचायतों या समकक्ष पारंपरिक स्थानीय निकायों द्वारा जमीनी स्तर की पहलें,
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों/जिलों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत और मिशन-मोड ई-गवर्नेंस परियोजनाओं की पुनरावृत्ति एवं विस्तार,
- केंद्रीय मंत्रालयों/राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा डिजिटल प्लेटफॉर्म में डेटा एनालिटिक्स के उपयोग से डिजिटल परिवर्तन।
पुरस्कार विवरण
- NAeG पुरस्कार 2026 में शामिल होंगे:
- एक ट्रॉफी,
- एक प्रमाण पत्र,
- प्रत्येक स्वर्ण पुरस्कार विजेता को ₹10 लाख की प्रोत्साहन राशि,
- प्रत्येक रजत पुरस्कार विजेता को ₹5 लाख की प्रोत्साहन राशि।
- कुल 16 पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे, जिनमें 10 स्वर्ण पुरस्कार और 6 रजत पुरस्कार शामिल हैं।
- यह प्रोत्साहन राशि संबंधित जिला/संगठन को परियोजना या कार्यक्रम के कार्यान्वयन में उपयोग के लिए या किसी भी सार्वजनिक कल्याण क्षेत्र में संसाधन अंतर को समाप्त करने हेतु प्रदान की जाएगी।
Source: PIB
निद्रा रोग
पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य; GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की है कि केन्या ने निद्रा रोग (स्लीपिंग सिकनेस) को जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त कर दिया है।
निद्रा रोग के बारे में
- यह एक वेक्टर जनित रोग है, जिसे मानव अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस (HAT) भी कहा जाता है, और यह उप-सहारा अफ्रीका में स्थानिक है।
- यह ट्रिपैनोसोमा वंश के प्रोटोजोआ के कारण होता है, जो त्सेत्से मक्खियों (ग्लोसिना) के काटने से मनुष्यों में फैलता है, जो संक्रमित मनुष्यों या जानवरों से परजीवी प्राप्त करती हैं।
- कृषि, मछली पकड़ने, पशुपालन या शिकार पर निर्भर ग्रामीण जनसंख्या को इसके संक्रमण का सबसे अधिक खतरा माना जाता है।
- लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द और, उन्नत चरणों में, भ्रम, नींद के पैटर्न में व्यवधान और व्यवहार में परिवर्तन जैसे तंत्रिका संबंधी लक्षण शामिल हैं।
- उपचार के बिना, यह आमतौर पर घातक होता है। सामान्य उपचारों में पेंटामिडाइन और निफर्टिमॉक्स शामिल हैं।
Source: AIR
भारत की प्रथम अत्याधुनिक पशु स्टेम सेल बायोबैंक
पाठ्यक्रम :GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
समाचार में
- भारत की प्रथम अत्याधुनिक पशु स्टेम सेल बायोबैंक और पशु स्टेम सेल प्रयोगशाला का उद्घाटन हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NIAB) में हुआ।
| स्टेम सेल्स – स्टेम सेल्स विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जो शरीर में विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में विकसित होने की क्षमता रखती हैं और मरम्मत व पुनर्जनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। स्टेम सेल्स के दो मुख्य प्रकार होते हैं: – भ्रूणीय स्टेम सेल्स: ये प्रारंभिक अवस्था के भ्रूण से प्राप्त होते हैं और प्लुरिपोटेंट होते हैं, अर्थात् इनमें शरीर की किसी भी प्रकार की कोशिका में परिवर्तन की अद्भुत क्षमता होती है। – वयस्क स्टेम सेल्स: ये शरीर की विभिन्न ऊतकों जैसे अस्थि मज्जा या त्वचा में पाए जाते हैं। ये सामान्यतः मल्टीपोटेंट होते हैं, अर्थात् ये केवल अपनी मूल ऊतक से संबंधित सीमित प्रकार की कोशिकाओं में ही विकसित हो सकते हैं। |
भारत की प्रथम पशु स्टेम सेल बायोबैंक और प्रयोगशाला
- यह अत्याधुनिक सुविधा 9,300 वर्ग फुट क्षेत्र में फैली हुई है और ₹1.85 करोड़ की लागत से निर्मित की गई है।
- यह पशुओं के लिए पुनर्जनन चिकित्सा और कोशिकीय उपचारों पर केंद्रित होगी।
- इसमें स्टेम सेल कल्चर यूनिट, 3D बायोप्रिंटर, बैक्टीरियल कल्चर लैब, क्रायोस्टोरेज, ऑटोक्लेव रूम्स, उन्नत एयर हैंडलिंग सिस्टम और निर्बाध विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था है।
- यह DBT–BIRAC के राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (NBM) द्वारा समर्थित है।
प्रासंगिकता
- यह प्रधानमंत्री मोदी की BioE3 नीति के अनुरूप है, जो भारत को जैव प्रौद्योगिकी नवाचार में अग्रणी बनाने की दिशा में कार्य कर रही है।
- यह रोग मॉडलिंग, ऊतक इंजीनियरिंग और प्रजनन जैव प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को आगे बढ़ाएगा।
- इसे पशु स्टेम सेल्स और उनके व्युत्पन्नों के बायोबैंकिंग को सक्षम बनाने के लिए विस्तारित किया जाएगा।
| क्या आप जानते हैं? – राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (NBM) – Innovate in India (I3) एक उद्योग-अकादमिक सहयोग मिशन है, जिसका उद्देश्य जैव-औषधियों के विकास के लिए खोज अनुसंधान को तीव्र करना है। – BIRAC का उद्देश्य भारत की जैव-औषधि, टीके, बायोसिमिलर, चिकित्सा उपकरण तथा डायग्नोस्टिक्स के क्षेत्र में तकनीकी एवं उत्पाद विकास क्षमताओं को तैयार करने के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम और पोषित करना है। – इस परियोजना को कुल US$ 250 मिलियन की लागत से स्वीकृत किया गया है, जिसमें 50% सह-वित्त पोषण विश्व बैंक द्वारा किया गया है। |
Source :PIB
कालेश्वरम परियोजना
पाठ्यक्रम: GS3/ अवसंरचना
संदर्भ
- कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) को जिस प्रकार से परिकल्पित और क्रियान्वित किया गया है, वह विवादास्पद है।
परिचय
- अवस्थिति: कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) एक बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना है जो तेलंगाना के भूपालपल्ली जिले में गोदावरी नदी पर स्थित है।
- यह परियोजना प्राणहिता नदी और गोदावरी नदी के संगम स्थल से शुरू होती है।
- बुनियादी ढांचा: यह 1,800 किलोमीटर से अधिक की नहर नेटवर्क का उपयोग करती है और यह विश्व की सबसे बड़ी बहु-स्तरीय सिंचाई परियोजना मानी जाती है।
- गोदावरी नदी पर रामडुगु, मेडिगड्डा, सुंदिल्ला और अन्नाराम में बैराजों का निर्माण किया गया है।
- इस परियोजना का उद्देश्य कृषि भूमि के बड़े क्षेत्र को सिंचाई जल उपलब्ध कराना और पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करना है।
लिफ्ट सिंचाई परियोजनाएं
- लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं में जल को गुरुत्वाकर्षण द्वारा नहीं पहुँचाया जाता है।
- इसके बजाय, जल को पंपों या सर्ज पूलों की सहायता से परियोजना के उच्चतम बिंदु पर स्थित मुख्य वितरण कक्ष तक उठाया जाता है, जहाँ से इसे खेतों तक सिंचाई के लिए वितरित किया जाता है।
Source: TH
विश्व शेर दिवस
पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- विश्व शेर दिवस (10 अगस्त) पर गुजरात ने 2025 की शेर गणना के अनुसार रिकॉर्ड 891 एशियाई शेरों की उपस्थिति का उत्सव मनाया, जिनमें से आधे से अधिक गिर के बाहर रहते हैं।
एशियाई शेर (Panthera leo persica)
- यह भारत में पाए जाने वाले पाँच बड़ी बिल्ली प्रजातियों में से एक है।
- शारीरिक विशेषताएं: एशियाई शेर अफ्रीकी शेरों की तुलना में थोड़े छोटे होते हैं।
- नर शेरों की अयाल (mane) कम विकसित होती है, जिससे उनके कान दिखाई देते हैं।
- पेट के साथ त्वचा की प्रमुख अनुदैर्ध्य तह (अफ्रीकी शेरों की एक विशिष्ट विशेषता)।
- वितरण: भारत में ये गुजरात राज्य में गिर वन और उसके आसपास केंद्रित हैं, मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में:
- गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य
- पनिया वन्यजीव अभयारण्य
- मितियाला वन्यजीव अभयारण्य
- बारदा वन्यजीव अभयारण्य
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
Source: AIR
Previous article
नीति आयोग द्वारा भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों पर रिपोर्ट जारी
Next article
स्ट्रे डॉग्स पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय