पाठ्यक्रम: GS3/आंतरिक सुरक्षा
समाचार में
- राज्यसभा में प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2015 से अब तक धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत 5,892 मामलों की जांच की है, लेकिन केवल 15 मामलों में दोष सिद्धि हुई है।
धन शोधन
- धन शोधन वह प्रक्रिया है जिसमें अवैध रूप से प्राप्त धन को वैध दिखाने के लिए जटिल वित्तीय लेन-देन के माध्यम से प्रवाहित किया जाता है।
- धन शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 की धारा 3 के अंतर्गत, इसमें अपराध से प्राप्त धन को छिपाना, रखना, प्राप्त करना या उपयोग करना और उसे स्वच्छ संपत्ति के रूप में प्रस्तुत करना शामिल है।
- यह तीन चरणों में होता है:
- प्लेसमेंट – अवैध धन को वित्तीय प्रणाली में प्रविष्ट कराना
- लेयरिंग – विभिन्न लेन-देन के माध्यम से धन को आगे बढ़ाना
- इंटीग्रेशन – धन को संपत्तियों या व्यवसायों के माध्यम से पुनः प्रविष्ट कराना

धन शोधन के परिणाम
- धन शोधन संपत्ति की कीमतों को विकृत करती है, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को कमजोर करती है और वित्तीय प्रणालियों को अस्थिर करती है।
- उदाहरण: पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC बैंक) संकट 2019 में फंड की गलत रिपोर्टिंग और धन शोधन से जुड़ा था।
- अवैध धन चुनावों, नीति निर्णयों को प्रभावित कर सकता है और लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए खतरा बन सकता है।
- धन शोधन आतंकवाद के वित्तपोषण और सीमा पार आपराधिक नेटवर्क से निकटता से जुड़ी होती है।
भारत में धन शोधन से निपटने की चुनौतियाँ
- नियामक खामियाँ: शेल कंपनियाँ, अनौपचारिक धन चैनल (जैसे हवाला), और रियल एस्टेट अभी भी कम विनियमित हैं।
- क्रिप्टो लेन-देन एक उभरता हुआ अंधा क्षेत्र है और 2025 तक भारत के पास स्पष्ट कानूनी ढांचा नहीं है।
- प्रवर्तन चुनौतियाँ: प्रवर्तन निदेशालय (ED) और FIU-IND जैसी एजेंसियाँ प्रायः स्टाफ की कमी का सामना करती हैं और राजनीतिक पक्षपात के आरोपों का सामना करती हैं (उदाहरण: राज्य चुनावों से पहले ED की बार-बार छापेमारी)।
- न्यायिक देरी: PMLA के तहत दोष सिद्धि की दर बहुत कम है, जो प्रवर्तन की प्रभावशीलता और सरकार की वित्तीय अपराधों पर नियंत्रण की अक्षमता को दर्शाती है।
- सीमा पार जटिलता: शोधन/लॉन्ड्रिंग नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय होते हैं और भारतीय एजेंसियाँ प्रत्यर्पण, आपसी कानूनी सहायता और सूचना साझा करने में संघर्ष करती हैं।
- पैनामा पेपर्स (2016) और पेंडोरा पेपर्स (2021) ने कई भारतीयों के विदेशी संपत्तियों को उजागर किया।

धन शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 (PMLA) की भूमिका
- धन शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 एक आपराधिक कानून है जिसका उद्देश्य धन शोधन को रोकना और संबंधित संपत्तियों को जब्त करना है।
- यह संयुक्त राष्ट्र की राजनीतिक घोषणा और वैश्विक कार्य योजना के अनुरूप है, जिसे फरवरी 1990 में UN महासभा द्वारा अपनाया गया था।
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जांच करने, संपत्तियों को संलग्न करने, अपराधियों पर अभियोग चलाने और विशेष न्यायालयों के माध्यम से जब्ती सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया है।
- इस कानून की एक प्रमुख विशेषता यह है कि दोष सिद्धि का भार आरोपी पर होता है।
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ
- सर्वोच्च न्यायालय ने वीरभद्र सिंह बनाम ED (2017) मामले में पुष्टि की कि प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट (ECIR) जारी करना कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त है, अर्थात् FIR की आवश्यकता नहीं है।
- विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ (2022) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि हालांकि धारा 3 के अंतर्गत अभियोजन के लिए एक अनुसूचित अपराध आवश्यक है, लेकिन धारा 5 के तहत संपत्ति को बिना पूर्व-पंजीकृत मामले के भी संलग्न किया जा सकता है।
निष्कर्ष और आगे की राह
- धन शोधन केवल एक वित्तीय अपराध नहीं बल्कि एक सामाजिक-राजनीतिक और सुरक्षा खतरा है।
- हालाँकि भारत ने कानूनों और प्रवर्तन में प्रगति की है, इसकी परिवर्तित प्रकृति—विशेष रूप से डिजिटल और वैश्विक चैनलों के माध्यम से—निरंतर सतर्कता, सुधार एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग करती है।
- भारत ने लगभग 85 देशों के साथ DTAA (दोहरे कराधान से बचाव समझौते) पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि सूचना साझा करने और वित्तीय अपराधों को रोकने में सहायता मिल सके, लेकिन अधिक प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है।
- दुरुपयोग को रोकने और दोष सिद्धि दर को सुधारने के लिए, अधिकारियों को FATF दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए और मामलों को निष्पक्षता से संभालना चाहिए।
- बैंकिंग में AI/ML एल्गोरिदम का उपयोग करें ताकि संदिग्ध लेन-देन पैटर्न को पहचाना जा सके।
- ED और FIU की स्वतंत्रता सुनिश्चित करें और दुरुपयोग रोकने के लिए संसदीय निगरानी को सुदृढ़ करें।
| क्या आप जानते हैं? – “लॉन्ड्रोमैट” शब्द की उत्पत्ति अमेरिकी आपराधिक गिरोहों द्वारा अवैध गतिविधियों को छिपाने के लिए प्रयोग किए जाने से हुई है। – यह प्रायः बैंकों या वित्तीय फर्मों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक वित्तीय व्यवस्था को संदर्भित करता है, जिसका दुरुपयोग आपराधिक आय को सफेद करने, संपत्ति के स्वामित्व को छिपाने, धन का गबन करने, करों से बचने या धन को विदेश ले जाने के लिए किया जा सकता है। |
Source :TH