भारत के कीटनाशक बाजार में परिवर्तन

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था और कृषि

संदर्भ

  • भारत का कीटनाशक बाज़ार एक संरचनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जो कीटों की परिवर्तित प्रवृत्तियों, श्रम की कमी और फसल उत्पादन की परिवर्तित पद्धतियों से प्रेरित है।

पृष्ठभूमि

  • कीटनाशक, या फसल सुरक्षा रसायन, वे पदार्थ होते हैं जो फसलों को हानि पहुँचाने वाले कीटों को मारने या रोकने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:
    • कीटनाशक: कीटों के लिए (जैसे, धान में सफेद पीठ वाला पौधा चूसक कीट)
    • फफूंदनाशक: फफूंदी जनित रोगों के लिए (जैसे, ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट)
    • शाकनाशक: खरपतवार नियंत्रण के लिए
  • 20वीं सदी के मध्य में भारत में कीटनाशकों का उपयोग कम था, लेकिन हरित क्रांति के साथ इसका विस्तार हुआ। 
  • हाल के दशकों में, नियामक बदलाव (जैसे DDT, एंडोसल्फान का प्रतिबंध) और श्रम लागत में वृद्धि ने शाकनाशकों और जैविक कीटनाशकों को अपनाने को बढ़ावा दिया है।

भारत के फसल सुरक्षा बाज़ार की संरचना

  • भारत का संगठित घरेलू फसल सुरक्षा रसायन बाज़ार लगभग ₹24,500 करोड़ का है। 
  • इसमें सबसे वृहद खंड कीटनाशकों का है (₹10,700 करोड़), इसके बाद शाकनाशक (₹8,200 करोड़) और फफूंदनाशक (₹5,600 करोड़)।
    • शाकनाशक >10% वार्षिक दर से बढ़ रहे हैं, जो सभी उप-खंडों में सबसे अधिक है।
  • वैश्विक परिदृश्य
    • खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, 2022 में वैश्विक स्तर पर 3.7 मिलियन टन से अधिक कीटनाशकों का उपयोग हुआ, जो 1990 की तुलना में दोगुना है। 
    • एशिया उत्पादन और खपत में अग्रणी है, जिसमें चीन एवं भारत अग्रणी हैं।
भारत के फसल सुरक्षा बाज़ार की संरचना

शाकनाशकों की वृद्धि के पीछे प्रमुख कारण

  • मैनुअल निराई-गुड़ाई में प्रति एकड़ 8–10 घंटे लगते हैं, जबकि पौध संरक्षण श्रमिकों की औसत दैनिक मजदूरी दिसंबर 2024 में ₹447.6 हो गई (2019 में ₹326.2 थी) — श्रम ब्यूरो के अनुसार।
  • प्रवास और अवसर लागत के कारण, श्रम उपलब्धता विशेष रूप से कृषि के चरम समय में अस्थिर रहती है।
  • शाकनाशक अब ट्रैक्टर या यंत्रीकृत हार्वेस्टर की तरह श्रम के विकल्प बन गए हैं।

नियामक ढांचा

  • कीटनाशक अधिनियम, 1968: आयात, पंजीकरण, निर्माण, बिक्री, परिवहन और उपयोग को नियंत्रित करता है।
  • प्रतिबंधित/निषिद्ध कीटनाशक: भारत ने 46 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया है; पैराक्वाट और ग्लाइफोसेट जैसे अन्य अभी भी जांच के अधीन हैं।
  • CIB&RC (केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति): नए कीटनाशकों को मंजूरी देता है और सुरक्षा अनुपालन सुनिश्चित करता है।
  • अनुपम वर्मा समिति: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा गठित, जिसने उन 66 कीटनाशकों की समीक्षा की जो अन्य देशों में प्रतिबंधित हैं लेकिन भारत में अभी भी पंजीकृत हैं।

कीटनाशकों के सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाली योजनाएँ

  • राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA): एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) और जलवायु-सहिष्णु खेती को प्रोत्साहित करता है।
  • परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY): जैविक खेती को प्रोत्साहन देती है, जिसमें जैविक कीटनाशकों का उपयोग शामिल है।
  • किसान ड्रोन योजना (2022): कृषि ड्रोन के लिए सब्सिडी प्रदान करती है, जिससे सटीक छिड़काव और स्वास्थ्य जोखिमों में कमी आती है।
  • किसान कवच सुरक्षात्मक किट: जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विकसित, यह कीटनाशक छिड़काव करने वालों के लिए सुरक्षा उपकरण प्रदान करती है।

चिंताएँ

  • पर्यावरण और स्वास्थ्य जोखिम: अत्यधिक या अनुचित कीटनाशक उपयोग से मृदा अवं जल प्रदूषण, प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण, और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • नियामक निगरानी: भारत में EPA (USA) या EFSA (EU) जैसे सुदृढ़ नियामक ढांचे की कमी है।
  • अनुसंधान एवं स्वदेशी क्षमता: भारत सक्रिय घटकों और निर्माण के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निर्भर है। घरेलू अनुसंधान एवं सार्वजनिक-निजी नवाचार मंचों में अधिक निवेश की आवश्यकता है।

आगे की राह

  • जैविक कीटनाशकों को बढ़ावा देना: अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाएं और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों के उत्पादन को प्रोत्साहित करें।
  • नियामक प्रवर्तन को मजबूत करें: नकली और निम्न गुणवत्ता वाले कीटनाशकों की बिक्री को रोकने के लिए राज्य स्तर पर निगरानी सुधारें।
  • किसान जागरूकता और प्रशिक्षण: किसानों को विवेकपूर्ण, आवश्यकता-आधारित कीटनाशक उपयोग के लिए शिक्षित करने हेतु विस्तार सेवाओं का विस्तार करें।
  • डिजिटल ट्रेसबिलिटी सिस्टम: निर्माता से किसान तक गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए QR-आधारित ट्रैकिंग लागू करें।
  • अनुसंधान एवं विकास में निवेश वृद्धि : ग्रीन केमिस्ट्री, नैनो-कीटनाशक और एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) में नवाचार को समर्थन दें।
  • खतरनाक रसायनों पर प्रतिबंध लगाएं: FAO-WHO दिशानिर्देशों के अनुरूप क्लास I कीटनाशकों (अत्यधिक खतरनाक) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करें।

निष्कर्ष

  • भारत का कीटनाशक क्षेत्र एक निर्णायक मोड़ पर है—जहाँ यह फसल सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, वहीं यह पर्यावरण एवं स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ भी उत्पन्न करता है। 
  • सुरक्षित और सतत कृषि की ओर संक्रमण के लिए नियमन, नवाचार एवं किसान जागरूकता का संतुलित मिश्रण आवश्यक है।

Source: IE

 

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