OPEC+ देश तेल उत्पादन बढ़ाएंगे
पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यस्था;
संदर्भ
- हाल ही में OPEC+ गठबंधन ने घोषणा की है कि वह सितंबर 2025 से प्रतिदिन 547,000 बैरल तेल उत्पादन बढ़ाएगा।
OPEC+ के बारे में
- OPEC+, OPEC का विस्तारित गठबंधन है, जिसमें कुल 22 सदस्य हैं।
- इसमें 12 OPEC सदस्य देशों के साथ 10 प्रमुख गैर-OPEC तेल उत्पादक देश शामिल हैं: रूस, कज़ाखस्तान, अज़रबैजान, ब्रुनेई, बहरीन, मेक्सिको, ओमान, दक्षिण सूडान, सूडान और मलेशिया।
- OPEC+ का गठन 2016 में OPEC देशों द्वारा ‘अल्जीयर्स समझौते’ को अपनाने और OPEC तथा अन्य प्रमुख तेल निर्यातक देशों के बीच ‘वियना समझौते’ पर हस्ताक्षर के बाद हुआ।
- इसका उद्देश्य अमेरिकी शेल ऑयल की वृद्धि का संतुलन बनाना और वैश्विक अस्थिरता के बीच तेल की कीमतों को स्थिर करना था।
बाज़ार प्रभाव और उत्पादन रणनीति
- OPEC+ वैश्विक तेल उत्पादन का लगभग 48% नियंत्रित करता है, जिससे यह ऊर्जा मूल्य निर्धारण में एक प्रमुख शक्ति बन गया है।
- यह समूह अब मूल्य रक्षा रणनीति से बाज़ार हिस्सेदारी रणनीति की ओर बढ़ गया है, और अमेरिकी शेल उत्पादकों पर दबाव बनाने के लिए उत्पादन बढ़ा रहा है।
| OPEC के बारे में – OPEC की स्थापना 1960 में बगदाद सम्मेलन में सऊदी अरब, ईरान, वेनेज़ुएला, कुवैत और इराक द्वारा की गई थी। – इसके 12 सदस्य देश हैं: अल्जीरिया, कांगो, भूमध्य गिनी, गैबॉन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेज़ुएला। – अंगोला ने 1 जनवरी 2024 से अपनी सदस्यता वापस ले ली है। OPEC का मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित है। – इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करना तथा तेल बाज़ारों की स्थिरता सुनिश्चित करना है। |
हालिया निर्णय का प्रभाव
- ब्रेंट क्रूड की कीमत घटकर लगभग $69.27 प्रति बैरल पर आ गई, जबकि WTI क्रूड $66.96 प्रति बैरल तक गिर गया।
- गोल्डमैन सैक्स और BNP पारिबा के विश्लेषकों का अनुमान है कि कीमतें 2025 के अंत तक और गिरकर $55–$59 प्रति बैरल तक पहुँच सकती हैं।
“संयुक्त सागर-2025” अभ्यास
पाठ्यक्रम :GS3/रक्षा
समाचार में
- चीन और रूस ने जापान सागर में “संयुक्त सागर-2025” नौसैनिक अभ्यास शुरू किया।
“संयुक्त सागर-2025” अभ्यास
- व्लादिवोस्तोक के पास तीन दिवसीय अभ्यास में पनडुब्बी बचाव, पनडुब्बी रोधी युद्ध, वायु रक्षा और समुद्री युद्ध जैसे अभियान शामिल हैं, जिसमें चार चीनी युद्धपोत भाग ले रहे हैं।
- 2012 में शुरू हुए ये वार्षिक अभ्यास, दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग को दर्शाते हैं, विशेषकर 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के पश्चात्।
- अभ्यास के पश्चात्, प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त गश्त की जाएगी।
- इसका उद्देश्य उनकी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना और अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था का सामना करना है।
Source :TH
पिंगली वेंकैया
पाठ्यक्रम :GS1/इतिहास
समाचार में
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्री पिंगली वेंकैया जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
पिंगली वेंकैया
- उनका जन्म 2 अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था।
- वे एक स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के डिज़ाइनर थे, जो बाद में वर्तमान तिरंगे के रूप में विकसित हुआ।
ध्वज की बनावट
- 1921 में, उन्होंने विजयवाड़ा में कांग्रेस के एक अधिवेशन में महात्मा गांधी को एक ध्वज की बनावट प्रस्तुत की।
- उनके मूल डिज़ाइन में भारत के प्रमुख समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाली तीन धारियाँ और आत्मनिर्भरता का प्रतीक एक चरखा था।
- 1947 में, डिज़ाइन में संशोधन करके अशोक चक्र को शामिल किया गया, जो कानून और प्रगति का प्रतीक है।
परंपरा
- उनके कार्यों ने 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को आधिकारिक रूप से अपनाने की नींव रखी।
- उन्हें एकता और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में स्मरण किया जाता है, और उनके प्रयासों को प्रतिवर्ष आज़ादी का अमृत महोत्सव तथा हर घर तिरंगा अभियान के दौरान स्मरण किया जाता है।
मान्यता
- भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किए हैं और उनकी विरासत का जश्न मनाने के लिए तिरंगा उत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
Source :PIB
प्रथम बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव
पाठ्यक्रम :GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार
- ‘सप्तसूर: सात राष्ट्र, एक राग’ शीर्षक से प्रथम बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया गया।
- बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक)
- यह बंगाल की खाड़ी के तटीय और आस-पास के क्षेत्रों में स्थित सात सदस्य देशों का एक समूह है।
- यह दक्षिण एशिया को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ने वाला एक अद्वितीय माध्यम है – दक्षिण एशिया से पाँच सदस्य (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका) और दक्षिण-पूर्व एशिया से दो सदस्य (म्यांमार एवं थाईलैंड)।
- बिम्सटेक क्षेत्र 1.7 अरब लोगों को एक साथ लाता है – जो विश्व की 22% जनसंख्या है और जिसका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।
फोकस
- बिम्सटेक ने 1997 में शुरुआत में छह क्षेत्रों (व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन और मत्स्य पालन) पर ध्यान केंद्रित किया था और 2008 में कृषि, जन स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद-निरोध, पर्यावरण, संस्कृति, लोगों के बीच संपर्क एवं जलवायु परिवर्तन को शामिल करते हुए इसका विस्तार किया।
| ऐतिहासिक संबंध – यह संगठन 6 जून 1997 को ‘बैंकॉक घोषणा’ के माध्यम से अस्तित्व में आया। – यह मूल रूप से चार सदस्य देशों के साथ ‘बिस्ट-ईसी’ (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) के संक्षिप्त नाम से गठित किया गया था। – दिसंबर 1997 में म्यांमार को इसमें शामिल करने के पश्चात्, इसका नाम परिवर्तित ‘बिम्स-ईसी’ (बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) कर दिया गया। – 2004 में नेपाल और भूटान को इसमें शामिल करने के साथ, समूह का नाम परिवर्तित कर बिम्सटेक कर दिया गया। |
Source: Air
Also Read: बिम्सटेक शिखर सम्मेलन 2025
भारत संयुक्त राष्ट्र वैश्विक दक्षिण क्षमता निर्माण
पाठ्यक्रम :GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार में
- भारत ने भारत-संयुक्त राष्ट्र वैश्विक क्षमता निर्माण पहल के अंतर्गत चार परियोजनाओं की प्रथम श्रृंखला शुरू की।
भारत-संयुक्त राष्ट्र वैश्विक क्षमता निर्माण पहल
- इसका उद्देश्य विशिष्ट प्रशिक्षण के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में वैश्विक दक्षिण का समर्थन करना है।
- सितंबर 2023 में घोषित यह पहल, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के बीच एक सहयोग है।
- यह भारत के दीर्घकालिक ITEC कार्यक्रम पर आधारित है, जो लगभग 160 देशों को वार्षिक 12,000 से अधिक प्रशिक्षण स्लॉट प्रदान करता है।
- इस पहल के अंतर्गत, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां परियोजनाओं की पहचान करने में सहायता करती हैं, जबकि प्रशिक्षण ITEC के माध्यम से आयोजित किया जाता है।
प्रगति
- भारत-संयुक्त राष्ट्र वैश्विक क्षमता निर्माण पहल के पहले चरण में, चार परियोजनाएं शुरू की गई हैं:
- नेपाल में चावल का सुदृढ़ीकरण (WFP के साथ),
- ज़ाम्बिया और लाओस PDR के लिए डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफ़ॉर्म (UNDP के साथ),
- कैरेबियाई देशों में जनगणना की तैयारी (UNFPA के साथ),
- दक्षिण सूडान में व्यावसायिक प्रशिक्षण (UNESCO के साथ)।
Source :Air
स्टेबलकॉइन
पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- हांगकांग 1 अगस्त, 2025 से स्टेबलकॉइन अध्यादेश लागू करने वाला है, जो वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण नियामक हस्तक्षेप को चिह्नित करता है।
स्टेबलकॉइन क्या हैं?
- स्टेबलकॉइन ऐसी क्रिप्टोकरेंसी हैं जिन्हें अंतर्निहित परिसंपत्तियों जैसे:
- फ़िएट मुद्राएँ (जैसे, अमेरिकी डॉलर, यूरो),
- वस्तुएँ (जैसे, सोना),
- अन्य क्रिप्टोकरेंसी, या
- एल्गोरिदम-आधारित प्रणालियों से उनके मूल्य को जोड़कर मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- स्टेबलकॉइन, सीबीडीसी या केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं से भिन्न हैं, जो आधिकारिक तौर पर सरकार के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और नियंत्रित डिजिटल मुद्राएँ हैं।
- इस बीच, स्टेबलकॉइन निजी तौर पर जारी किए जा सकते हैं और विदेशी मुद्राओं से भी जुड़े हो सकते हैं।
स्टेबलकॉइन का वैश्विक परिदृश्य
- अमेरिका: जीनियस अधिनियम स्टेबलकॉइन के लिए 100% आरक्षित समर्थन और मासिक सार्वजनिक प्रकटीकरण अनिवार्य करता है।
- जापान और सिंगापुर: स्टेबलकॉइन के लिए लक्षित नियम लागू किए हैं।
- चीन: घरेलू स्तर पर क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगा रहा है, लेकिन अपनी तकनीकी कंपनियों के माध्यम से हांगकांग को एक स्थिर मुद्रा केंद्र के रूप में खोज रहा है।
Source: TH
पूर्वोत्तर भारत में बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन
पाठ्यक्रम: GS3/ अवसंरचना
संदर्भ
- भारतीय रेलवे ने मिज़ोरम में बैराबी से सैरांग तक 51.38 किलोमीटर लंबी नई ब्रॉड गेज रेलवे लाइन शुरू की है, जो राज्य की राजधानी आइज़ोल से केवल 18 किलोमीटर दूर है।
परिचय
- असम की सीमा के पास कोलासिब जिले में बैराबी, अब तक मिज़ोरम का एकमात्र रेलवे स्टेशन था।
- सैरांग, आइज़ोल का एक उपनगर है, जो शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर है।
- यह परियोजना 2010 के दशक की शुरुआत में भारतीय रेलवे की उस योजना का हिस्सा थी जिसके अंतर्गत पूर्वोत्तर की सभी राजधानियों को देश के रेल नेटवर्क से जोड़ा जाना था।
- बैराबी-सैरांग खंड में 48 सुरंगें हैं जिनकी कुल लंबाई 12.85 किलोमीटर और 142 पुल हैं।
एक्ट ईस्ट नीति क्या है?
- 2014 में घोषित एक्ट ईस्ट नीति, 1991 में शुरू की गई लुक ईस्ट नीति का एक अधिक महत्वाकांक्षी संस्करण थी, जिसका मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र को आसियान ब्लॉक के लिए भारत का प्रवेश द्वार बनाना था।
- संबंधित रेल और सड़क परियोजनाएँ:
- दीमापुर-ज़ुब्ज़ा रेलवे (नागालैंड): निरंतर प्रगति पर
- इम्फाल-मोरेह रेलवे (मणिपुर): जातीय अशांति के कारण विलंबित
- एशियाई राजमार्ग-1: असम से कोहिमा और इंफाल होते हुए मोरेह तक
- अगरतला-अखौरा लाइन (त्रिपुरा-बांग्लादेश)
अंतरराष्ट्रीय संपर्क की चुनौतियाँ
- एक्ट ईस्ट नीति के कार्यान्वयन में भू-राजनीतिक बाधाएँ आई हैं, जिनमें फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार में चल रहा गृहयुद्ध और अगस्त 2024 में सरकार परिवर्तन के पश्चात् बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता शामिल है।
- अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना, जो त्रिपुरा को बांग्लादेश के माध्यम से कोलकाता तक तेज़ पहुँच और चटगाँव बंदरगाह से संपर्क प्रदान करती, रुकी हुई है।
- कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना में देरी: ₹2,904 करोड़ की यह परियोजना मिज़ोरम-कोलकाता की दूरी 1,000 किमी कम कर देगी, लेकिन म्यांमार में अस्थिरता।
Source: TH
छोटे किसानों के लिए ICRISAT की AI परामर्श
पाठ्यक्रम: GS2/कल्याणकारी पहल
संदर्भ
- ICRISAT ने ICAR और अन्य के सहयोग से खेती को बढ़ावा देने के लिए एक AI-संचालित जलवायु परामर्शदात्री पहल शुरू की है।
- अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT)
- ICRISAT एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में विकास के लिए कृषि अनुसंधान करता है।
- यह उन्नत फसल किस्में एवं संकर उपलब्ध कराकर किसानों की सहायता करता है और शुष्क भूमि में छोटे किसानों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी सहायता करता है।
- इसकी स्थापना 28 मार्च 1972 को भारत सरकार और CGIAR के बीच एक समझौता ज्ञापन के अंतर्गत की गई थी।
हालिया परामर्श
- यह केंद्र सरकार के मानसून मिशन III के अंतर्गत समर्थित है, इस परियोजना का शीर्षक है “बड़े पैमाने पर जलवायु-लचीली कृषि के लिए AI-संचालित संदर्भ-विशिष्ट कृषि परामर्श सेवाएँ”।
- इसका उद्देश्य छोटे किसानों को अति-स्थानीय, क्रियाशील मौसम और जलवायु संबंधी जानकारी से लैस करना है।
- वास्तविक समय के मौसम पूर्वानुमान, फसल मॉडल और मशीन लर्निंग एनालिटिक्स को एकीकृत करके, यह पहल बुवाई, सिंचाई एवं कीट प्रबंधन पर सटीक सुझाव देगी।
- सलाह उपयोगकर्ता-अनुकूल डिजिटल चैनलों, जिनमें एक एआई-संचालित व्हाट्सएप बॉट भी शामिल है, के माध्यम से दी जाएगी, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में भी पहुँच सुनिश्चित होगी।
- यह परियोजना सबसे पहले महाराष्ट्र में आईसीएआर की कृषि-मौसम विज्ञान क्षेत्र इकाइयों (एएमएफयू) के माध्यम से छोटे किसानों तक पहुँचने के लिए लागू की जाएगी। इस चरण से प्राप्त जानकारी राष्ट्रीय स्तर पर इसके कार्यान्वयन को प्रेरित करेगी और दक्षिण-दक्षिण विस्तार के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य करेगी।
Source: AIR
DNTs के लिए स्थायी राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की मांग में वृद्धि
पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन
संदर्भ
- अधिसूचित, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों (DNTs) के राष्ट्रीय सम्मेलन में इन समुदायों के लिए एक स्थायी राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की मांग तीव्र हो रही है।
घुमंतू, अर्ध-घुमंतू और अधिसूचित जनजातियाँ (NTs, SNTs और DNTs)
- घुमंतू समुदाय: ऐसे समुदाय जो एक स्थान पर स्थायी रूप से निवास न करके निरंतर स्थान परिवर्तन करते रहते हैं। ये पारंपरिक व्यवसायों जैसे पशुपालन, व्यापार या हस्तशिल्प में संलग्न होते हैं।
- अर्ध-घुमंतू जनजातियाँ: आंशिक रूप से घुमंतू और आंशिक रूप से स्थायी रूप से निवासित समुदाय, जो मौसमी रूप से प्रवास करते हैं और अस्थायी बस्तियाँ भी स्थापित करते हैं।
- अधिसूचित जनजातियाँ (DNTs): ब्रिटिश शासन के दौरान 1871 के आपराधिक जनजाति अधिनियम के अंतर्गत “आपराधिक जनजातियों” के रूप में वर्गीकृत की गई थीं। यह अधिनियम 1952 में निरस्त कर दिया गया और इन समुदायों को “अधिसूचित से मुक्त” किया गया।
- जबकि अधिकांश DNTs अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणियों में फैले हुए हैं, कुछ DNTs ऐसे भी हैं जो SC, ST या OBC श्रेणियों में शामिल नहीं हैं।
- स्थिति: इदाते आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि देश भर में कुल 1,526 DNT, NT और SNT समुदाय हैं, जिनमें से 269 को अभी तक SC, ST या OBC के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।
- भारत में कुल 425 अधिसूचित जनजातियाँ, 810 घुमंतू जनजातियाँ और 27 अर्ध-घुमंतू जनजातियाँ हैं।
- DNT समुदायों में, लांबाड़ा (ST) सबसे मुखर और दृश्य हैं, इसके बाद वड्डेरा (BC) समुदाय सरकारी क्षेत्र एवं राजनीतिक परिदृश्य में सक्रिय हैं।
DNTs से संबंधित समितियाँ
- अय्यंगार समिति (1949–50): यह समिति आपराधिक जनजाति अधिनियम की समीक्षा के लिए गठित की गई थी। इसने अधिनियम को निरस्त करने की सिफारिश की और इन समुदायों के कल्याण एवं पुनर्वास की आवश्यकता पर बल दिया।
- अधिनियम 1952 में निरस्त कर दिया गया।
- कालेलकर समिति (1953): यह प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग थी, जिसे 29 जनवरी 1953 को श्री काकासाहेब कालेलकर की अध्यक्षता में नियुक्त किया गया था।
- इसने “आपराधिक जनजाति” शब्द को हटाकर “अधिसूचित समुदाय” शब्द अपनाने की सिफारिश की।
- साथ ही इन समुदायों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए बिखरी हुई बसावट की सिफारिश की।
- इदाते आयोग (2014–2017): इस आयोग को अधिसूचित, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों (DNT/NT/SNT) की पहचान एवं सूचीकरण, उनके विकास का मूल्यांकन और व्यवस्थित कल्याण उपायों की सिफारिश करने का कार्य सौंपा गया था।
- इसकी रिपोर्ट के आधार पर 2019 में DNTs के लिए विकास और कल्याण बोर्ड (DWBDNC) की स्थापना की गई।
Source: TH
टी सेल (T cell)
पाठ्यक्रम: GS3/जैव प्रौद्योगिकी, GS2/ स्वास्थ्य
संदर्भ
- हार्वर्ड के वैज्ञानिकों की एक टीम ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करते हुए AI-डिज़ाइन किए गए प्रोटीनों के माध्यम से बड़ी संख्या में प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उत्पादन किया है और कैंसर से लेकर वायरल संक्रमणों तक की बीमारियों के विरुद्ध प्रतिरक्षा को बढ़ाया है।
परिचय
- खोज का महत्व:
- प्रयोगशाला बायोरिएक्टरों में बड़े पैमाने पर टी-कोशिकाओं का उत्पादन संभव हुआ, जो CAR टी-सेल इम्यूनोथेरेपी के लिए महत्वपूर्ण है।
- चूहों में, इन एगोनिस्ट्स के इंजेक्शन से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में वृद्धि हुई और मेमोरी टी-कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ा, जिससे टीकों की प्रभावशीलता में सुधार हुआ।

- संभावित अनुप्रयोग:
- इम्यूनोथेरेपी
- वैक्सीन विकास
- प्रतिरक्षा कोशिका पुनर्जनन
बी और टी-कोशिकाएँ क्या हैं?
- बी-कोशिकाएँ और टी-कोशिकाएँ श्वेत रक्त कोशिकाओं की एक विशिष्ट श्रेणी होती हैं जिन्हें लिम्फोसाइट्स कहा जाता है।
- ये प्रतिरक्षा प्रणाली को रोगाणुओं से लड़ने और बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने में सहायता करती हैं।
- टी-कोशिकाओं के प्रकार:
- साइटोटॉक्सिक टी-कोशिकाएँ: ये वायरस और बैक्टीरिया से संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट करती हैं, साथ ही ट्यूमर कोशिकाओं को भी खत्म करती हैं।
- हेल्पर टी-कोशिकाएँ: ये अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संक्रमण से लड़ने के लिए संकेत भेजती हैं।
- रेगुलेटरी टी-कोशिकाएँ (Tregs): ये अत्यधिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को दबाकर ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाओं को रोकती हैं और प्रतिरक्षा सहिष्णुता बनाए रखती हैं।
- ये शरीर की अपनी कोशिकाओं और ऊतकों पर प्रतिरक्षा प्रणाली के हमले को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- टी-कोशिकाएँ अस्थि मज्जा (bone marrow) में उत्पन्न होती हैं, थाइमस (thymus) में परिपक्व होती हैं और अंततः लिम्फ ऊतक या रक्तप्रवाह में स्थानांतरित हो जाती हैं।
- बी-कोशिकाएँ: बी-कोशिकाएँ एंटीजन (antigen) के प्रति प्रतिक्रिया में एंटीबॉडी बनाती हैं।
- बी-कोशिकाओं के दो मुख्य प्रकार होते हैं:
- प्लाज़्मा कोशिकाएँ
- मेमोरी कोशिकाएँ
- दोनों प्रकार संक्रमण और बीमारी से सुरक्षा प्रदान करने में सहायक होती हैं।
Source: TH
ऑपरेशन मुस्कान-XI
पाठ्यक्रम: GS2/सरकारी पहल
संदर्भ
- तेलंगाना पुलिस ने विगत महीने के दौरान राष्ट्रव्यापी ऑपरेशन मुस्कान-XI पहल के अंतर्गत 7,600 से अधिक बच्चों को बचाया।
पहल के बारे में
- उद्देश्य: बाल श्रम, भीख मांगने या असुरक्षित परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों को बचाना।
- उच्च जोखिम वाले क्षेत्र लक्षित किए गए: रेलवे एवं बस स्टेशन, ईंट भट्टियाँ, मैकेनिक की दुकानें, निर्माण स्थल, चाय की दुकानें और धार्मिक स्थल।
- समन्वय में संचालित: महिला विकास और बाल कल्याण विभाग, श्रम एवं स्वास्थ्य विभाग, बाल कल्याण समितियाँ (CWCs), जिला बाल संरक्षण इकाइयाँ (DCPUs), और गैर-सरकारी संगठन (NGOs)।
क्या आप जानते हैं?
- ऑपरेशन मुस्कान, जिसे ऑपरेशन स्माइल भी कहा जाता है, गृह मंत्रालय (MHA) की एक पहल है।
- यह एक महीने लंबा अभियान होता है, जिसे राज्य पुलिस बलों द्वारा संचालित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य लापता या तस्करी के शिकार बच्चों को खोजकर, बचाकर, पुनर्वासित कर उनके परिवारों से पुनर्मिलन कराना है।
Source: TH