भारत में उर्वरक सब्सिडी

पाठ्यक्रम: GS3/कृषि

संदर्भ

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने NBS सब्सिडी से परे डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) पर एकमुश्त विशेष पैकेज को 3,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से बढ़ाने के उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

DAP क्या है?

  • डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) एक प्रकार का उर्वरक है जिसमें फास्फोरस और नाइट्रोजन होते हैं, जो पौधों की वृद्धि के लिए दो आवश्यक पोषक तत्त्व हैं।
    • नैनो DAP में डायमोनियम फॉस्फेट (DAP) के नैनोकण होते हैं जो बेहतर फसल विकास और उपज में सहायता करते हैं।
  • DAP का उपयोग सामान्यतः कृषि में पौधों को पोषक तत्त्वों का त्वरित और आसानी से उपलब्ध स्रोत प्रदान करने के लिए किया जाता है।
  • यह भारत में यूरिया के बाद दूसरा सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला उर्वरक है।

उर्वरक सब्सिडी

  • उद्देश्य:
    • किसानों को कम कीमत पर उर्वरक उपलब्ध कराना।
    • यह सुनिश्चित करना कि खाद्य उत्पादन और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए कृषि क्षेत्र को पर्याप्त समर्थन मिले।
    • उर्वरक नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं, जो फसल की उपज बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  • सब्सिडी वाले उर्वरकों के प्रकार:
    • यूरिया: सबसे अधिक सब्सिडी वाला उर्वरक, जिसका उपयोग मुख्य रूप से चावल, गेहूँ और अन्य अनाजों के लिए किया जाता है।
    • डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP): फॉस्फोरस और नाइट्रोजन का एक प्रमुख स्रोत।
    • म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP): फसलों को पोटेशियम की आपूर्ति करता है।
    • पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी (NBS) नीति: NBS नीति के तहत सब्सिडी प्रति इकाई के आधार पर नहीं बल्कि उर्वरकों की पोषक तत्त्व सामग्री के आधार पर प्रदान की जाती है।
      • उर्वरक निर्माताओं या आयातकों को उनके द्वारा उत्पादित या आयातित उर्वरकों में पोषक तत्त्वों (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम और सल्फर) के आधार पर सीधे सब्सिडी प्रदान की जाती है।
      • इसके पश्चात् किसानों को ये उर्वरक डीलरों के माध्यम से कम कीमत पर मिल जाते हैं।
  • सब्सिडी की व्यवस्था
    • बिक्री मूल्य पर सब्सिडी: सरकार उर्वरक निर्माताओं या आयातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिससे किसानों को विक्रय जाने वाले उर्वरकों की कीमत कम हो जाती है।
    • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी): कुछ मामलों में, मध्यस्थों को कम करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सब्सिडी सीधे किसानों को उनके बैंक खातों के माध्यम से हस्तांतरित की जाती है।
    • निश्चित सब्सिडी दरें: यूरिया के लिए सब्सिडी प्रति किलोग्राम उत्पाद के हिसाब से तय होती है, और DAP जैसे अन्य के लिए इसे बाजार मूल्य के आधार पर समय-समय पर समायोजित किया जाता है।

चुनौतियाँ

  • अकुशलता: सब्सिडी प्रणाली को प्रायः अकुशल माना जाता है, क्योंकि इसका एक बड़ा हिस्सा सीधे लक्षित समूह को लाभ पहुँचाने के बजाय बड़े किसानों या मध्यस्थों को चला जाता है।
  • उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग: उर्वरकों, विशेषकर यूरिया पर भारी सब्सिडी, अत्यधिक उपयोग को प्रोत्साहित करती है, जिससे मृदा क्षरण और जल प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दे उत्पन्न होते हैं।
  • वित्तीय स्थिरता: सब्सिडी का बढ़ता राजकोषीय भार दीर्घकालिक स्थिरता और राजकोषीय समेकन की आवश्यकता के बारे में चिंताएं उत्पन्न करता है।

सुधार और हालिया पहल

  • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT): लक्ष्य निर्धारण में सुधार के लिए सरकार ने कुछ राज्यों में किसानों को सब्सिडी राशि सीधे हस्तांतरित करने के लिए DBT योजनाएं प्रारंभ की हैं।
  • पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी (NBS): संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभ की गई इस योजना का उद्देश्य यूरिया पर अत्यधिक निर्भरता को कम करना है।
  • जैविक उर्वरकों पर अधिक ध्यान: सरकार ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए जैविक उर्वरकों और सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना प्रारंभ कर दिया है।
  • नीम-लेपित यूरिया: सरकार ने पोषक दक्षता, फसल उपज और मृदा स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए देश में सभी सब्सिडी वाले कृषि ग्रेड यूरिया पर 100% नीम कोटिंग प्रारंभ की है।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का उद्देश्य मिट्टी की पोषकता स्थिति का आकलन करना और किसानों को पोषकता प्रबंधन के लिए अनुकूलित सिफारिशें प्रदान करना है।

आगे की राह

  • स्थायित्व: सरकार कुशल वितरण, दुरुपयोग को कम करने और पर्यावरण अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करके उर्वरक सब्सिडी प्रणाली को अधिक सतत् बनाने के तरीकों पर विचार कर रही है।
  • संतुलित उर्वरक: रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने और मृदा स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन दृष्टिकोण को बढ़ावा देने पर बल दिया जा रहा है।

Source: PIB

 

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