भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की सबसे बड़ी संभावनाएँ कृषि में निहित

पाठ्यक्रम: GS3/कृषि; नवीकरणीय ऊर्जा

संदर्भ

  • भारत का कृषि क्षेत्र हरित ऊर्जा क्रांति को आगे बढ़ाने की अपार संभावनाएँ रखता है, क्योंकि आधे से अधिक जनसंख्या खेती और ग्रामीण आजीविका पर निर्भर है।

भारत का कृषि एवं ऊर्जा संक्रमण

  • भारत का कृषि क्षेत्र देश के GDP में लगभग 18% योगदान देता है और 42% से अधिक कार्यबल को रोजगार प्रदान करता है।
भारत का कृषि एवं ऊर्जा संक्रमण
  • इंडिया एनर्जी स्टैटिस्टिक्स (2025) के अनुसार, कृषि क्षेत्र विद्युत उपयोग में लगभग 17% हिस्सेदारी रखता है, विशेषकर सिंचाई के लिए।
    • कई राज्यों में यह कुल विद्युत खपत का 20% से अधिक है।
  • भारत का कृषि क्षेत्र ऊर्जा-गहन होने के साथ-साथ ऊर्जा-अभावी भी है, जो डीज़ल चालित सिंचाई पंपों पर निर्भर है और अपर्याप्त कोल्ड स्टोरेज एवं प्रसंस्करण अवसंरचना के कारण कटाई के बाद भारी हानि होती है।
    • कई राज्य किसानों को मुफ्त या अत्यधिक सब्सिडी वाली विद्युत प्रदान करते हैं, जिससे अत्यधिक उपयोग और अक्षमताएँ उत्पन्न हुई हैं, जिनमें भूजल का क्षय शामिल है।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, भारत का नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण 37 लाख हरित रोजगार सृजित कर सकता है, जिनमें से कई कृषि प्रणालियों से जुड़ी होंगी।
    • प्रत्येक सौर-चालित कोल्ड स्टोरेज इकाई एक स्थानीय उद्यम का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें तकनीशियन, ऑपरेटर, लॉजिस्टिक्स कर्मी और सामुदायिक प्रबंधक की आवश्यकता होती है।

भारत के कृषि क्षेत्र की समस्याएँ

  • खाद्य हानि की छिपी लागत: भारत कटाई के बाद 30–40% फल और सब्जियाँ खो देता है, जो परिवहन, भंडारण एवं प्रसंस्करण के दौरान होती हैं तथा विश्वसनीय विद्युत पर निर्भर हैं।
    • बिजली रहित कोल्ड स्टोरेज इकाई निरर्थक है; इसी तरह प्रसंस्करण केंद्र और संरक्षण प्रणालियाँ भी अस्थिर विद्युत या महंगे डीज़ल जनरेटर पर निर्भर हैं।
  • नीतिगत विखंडन: ऊर्जा और कृषि नीतियाँ प्रायः अलग-अलग होती हैं, जिससे अंतःक्षेत्रीय नवाचार सीमित हो जाता है।
    • पीएम-कुसुम, राष्ट्रीय सौर मिशन और पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसी योजनाओं ने ग्रामीण भारत में सौर ऊर्जा की पहुँच बढ़ाई है, लेकिन नीतिगत विखंडन के कारण उनकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पाया है।
  • जागरूकता और प्रशिक्षण: कई किसान DRE समाधानों से अनजान हैं या उन्हें संचालित और बनाए रखने के कौशल की कमी है।
  • वित्तपोषण अंतराल: छोटे किसानों को नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों के लिए सस्ती ऋण तक पहुँच नहीं मिलती।
    • अन्य चुनौतियों में सब्सिडी के बावजूद सौर पंपों की उच्च प्रारंभिक लागत, दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में रखरखाव की कठिनाइयाँ और सौर सिंचाई से जल के अत्यधिक उपयोग का जोखिम शामिल है।

कृषि में स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग

  • विकेन्द्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (DRE) समाधान: सौर मिनी-ग्रिड, रूफटॉप पैनल और हाइब्रिड इकाइयाँ अविश्वसनीय ग्रिड एवं डीज़ल पर निर्भरता कम करती हैं, परिचालन लागत घटाती हैं तथा ऊर्जा परिसंपत्तियों पर सामुदायिक स्वामित्व सक्षम करती हैं।
    • DRE ग्रामीण खाद्य प्रणालियों को लचीला और सतत बना सकता है।
    • DRE समाधान खाद्य श्रृंखला के साथ रोजगार उत्पन्न करते हैं, जिससे आजीविका और खाद्य सुरक्षा दोनों में सुधार होता है।
  • ऊर्जा और डिजिटल नवाचार में संक्रमण: भारत का ग्रामीण परिवर्तन ITC MAARS जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म द्वारा आकार ले रहा है, जो AI-आधारित फसल परामर्श और बाज़ार जानकारी प्रदान करता है।
    • लेकिन डिजिटल उपकरण अकेले फसल को संरक्षित या कीमतों को स्थिर नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें सूचना पर कार्य करने के लिए ऊर्जा अवसंरचना की आवश्यकता होती है।
    • जब नवीकरणीय ऊर्जा कोल्ड स्टोरेज, ड्रायर और प्रसंस्करण इकाइयों को शक्ति देती है, तो किसान डिजिटल अंतर्दृष्टि को ठोस परिणामों में बदल सकते हैं।
    • स्मार्ट ऊर्जा और स्मार्ट सलाहकारी प्रणालियाँ मिलकर ग्रामीण लचीलापन के लिए एक शक्तिशाली इंजन बनाती हैं।
  • स्थानीय नवाचार और समाधान: भारत भर में किसान कम लागत वाले, संदर्भ-विशिष्ट ऊर्जा नवाचार विकसित कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं:
    • स्थानीय सामग्रियों से बने सौर ड्रायर;
    • परिवर्तित रेफ्रिजरेटेड ट्रक जिन्हें मोबाइल कोल्ड स्टोरेज के रूप में उपयोग किया जाता है;
    • सामुदायिक संचालित सौर प्रसंस्करण इकाइयाँ।
  • नीतिगत विखंडन को दूर करना: कृषि और ऊर्जा अलग-अलग मंत्रालयों और वित्तपोषण चैनलों द्वारा प्रबंधित होते हैं, जिससे अवसर चूक जाते हैं।
    • नवीकरणीय ऊर्जा पहलों को कृषि मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ना ग्रामीण अवसंरचना अंतराल को समाप्त करने और कटाई के बाद के नुकसान को कम करने में सहायता कर सकता है।
    • इन क्षेत्रों के बीच प्रभावी समन्वय जलवायु-स्मार्ट कृषि प्राप्त करने की कुंजी है।
ओडिशा का केस स्टडी
मारकोमा महिला किसान उत्पादक कंपनी (FPO) ने हरसा ट्रस्ट के सहयोग से स्थानीय सब्ज़ी उत्पादकों की सेवा के लिए 5-मीट्रिक-टन इकोज़ेन सौर-चालित कोल्ड स्टोरेज इकाई स्थापित की।
– 2018 में पायलट के बाद से इसने कटाई के बाद की हानि को कम किया है, संगठित बाज़ार संबंधों के माध्यम से कीमतों को स्थिर किया है और पड़ोसी समुदायों में सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता बढ़ाई है।
– यह दर्शाता है कि खाद्य हानि को कम करना केवल अवसंरचना के बारे में नहीं है, बल्कि स्मार्ट ऊर्जा प्रणालियों के बारे में है।

सरकारी नीति एवं ढाँचा

  • पीएम-कुसुम योजना (MNRE): इसका उद्देश्य किसानों की डीज़ल और ग्रिड विद्युत पर निर्भरता कम करना, उत्सर्जन घटाना और अधिशेष ऊर्जा बिक्री के माध्यम से अतिरिक्त आय प्रदान करना है।
    • घटक A: बंजर/पड़ी भूमि पर 10,000 मेगावाट विकेन्द्रीकृत ग्राउंड-माउंटेड ग्रिड-कनेक्टेड नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना।
    • घटक B: 20 लाख स्वतंत्र सौर कृषि पंपों की स्थापना।
    • घटक C: 15 लाख वर्तमान ग्रिड-कनेक्टेड कृषि पंपों का सौरकरण।
  • स्वैच्छिक कार्बन बाज़ार ढाँचा (कृषि मंत्रालय): यह जलवायु-स्मार्ट कृषि को प्रोत्साहित करता है और नई आय धाराएँ बनाता है।
    • GHG शमन परियोजनाओं का पंजीकरण (जैसे नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग, सतत प्रथाएँ)।
    • कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना के अंतर्गत कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र अर्जित करना।
    • पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं का मुद्रीकरण, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए लाभकारी।
  • कृषि में ऊर्जा डेटा प्रबंधन (नीति आयोग): यह प्रभावी स्वच्छ ऊर्जा हस्तक्षेपों को डिज़ाइन करने के लिए सटीक ऊर्जा खपत डेटा की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
    • यह अंतर-मंत्रालयी समन्वय और डेटा-आधारित नीतिगत योजना की सिफारिश करता है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में DRE तैनाती की निगरानी पर बल देता है।
  • अन्य नीतिगत पहलें:
    • क्लीन प्लांट प्रोग्राम (CPP): रोग-मुक्त पौध सामग्री के माध्यम से जलवायु-लचीली बागवानी को बढ़ावा देता है।
    • विभिन्न केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के अंतगर्त जलवायु-स्मार्ट कृषि के लिए समर्थन।
    • ग्रामीण अवसंरचना और कृषि-प्रसंस्करण में नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहन।

आगे की राह: एक लचीले, नेट-ज़ीरो भविष्य की ओर

  • नीति आयोग ‘एनर्जी एंड एग्रीकल्चर नेक्सस रिपोर्ट 2025’ संभावित सामंजस्य को रेखांकित करती है:
    • फसल अवशेषों से बायोएनर्जी 20 GW बिजली उत्पन्न कर सकती है, जिससे पराली जलाने में कमी आएगी।
    • एग्रो-वोल्टैक्स (सौर पैनलों के नीचे खेती) भूमि उत्पादकता को 60% तक बढ़ा सकता है, जैसा कि राजस्थान और तमिलनाडु में पायलट किया गया है।
    • बायोमास और वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्रों से ग्रीन हाइड्रोजन कृषि-सम्बद्ध स्वच्छ ऊर्जा के नए मोर्चे के रूप में उभर रहा है।
  • जैसे-जैसे भारत अपने 2070 नेट-ज़ीरो लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, नवीकरणीय ऊर्जा को खाद्य प्रणालियों से जोड़ना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बनना चाहिए। प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
    • सिंचाई से आगे बढ़कर कटाई के बाद की प्रणालियों में सौर एकीकरण का विस्तार करना;
    • किसान समूहों के लिए लक्षित ऋण उपलब्ध कराना;
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना;
    • हरित कौशल प्रशिक्षण में निवेश करना।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में कृषि की भूमिका का परीक्षण कीजिए। क्या आप सहमत हैं कि स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए कृषि में सबसे अधिक संभावनाएँ निहित हैं?

Source: BS

 

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