पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
समाचार में
- थलसेनाध्यक्ष ने 2047 तक भविष्य-उन्मुख सेना बनाने के लिए एक व्यापक तीन-चरणीय रोडमैप प्रस्तुत किया है, जो भारत के विकसित भारत के दृष्टिकोण के साथ सैन्य परिवर्तन को संरेखित करता है।
व्यापक तीन-चरणीय रोडमैप
- योजना का बल आधुनिकीकरण, एकीकरण और लचीलापन पर है ताकि बदलती सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया जा सके।
- चरण:
- प्रथम चरण, ‘HOP 2032’, 2023 में शुरू की गई सेना की दशक-परिवर्तन पहल के अंतर्गत एक व्यापक ढाँचा तैयार करता है।
- द्वितीय चरण, ‘STEP 2037’, प्रथम चरण से प्राप्त लाभों को सुदृढ़ करने की पाँच-वर्षीय अवधि है।
- तृतीय चरण, ‘JUMP 2047’, जिसके अंतर्गत सेना एकीकृत और भविष्य-उन्मुख बल के रूप में उभरने का लक्ष्य रखती है।
| क्या आप जानते हैं? थलसेनाध्यक्ष ने परिवर्तन योजना को आगे बढ़ाने के लिए चार “स्प्रिंगबोर्ड” बताए: स्वदेशीकरण के माध्यम से आत्मनिर्भरता: घरेलू रक्षा विनिर्माण और तकनीकी आत्मसात को सुदृढ़ करना, जिसमें अधिक प्रगति की आवश्यकता है। त्वरित नवाचार: प्रयोग से बड़े पैमाने पर प्रभाव की ओर बढ़ना—एआई, साइबर, क्वांटम, स्वायत्त प्रणालियाँ, अंतरिक्ष और उन्नत सामग्रियों में। अनुकूलन और पारिस्थितिकी तंत्र सुधार: बदलती सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संरचनाओं और प्रक्रियाओं का पुनर्गठन। सैन्य-नागरिक समन्वय: अकादमिक जगत, उद्योग और सेना के बीच गहरा सामंजस्य बनाना, जैसे रेंज खोलना, स्टार्ट-अप्स को वित्तपोषित करना तथा राष्ट्रीय तकनीकी मिशनों में शामिल होना। |
उद्देश्य और आवश्यकता
- यह रोडमैप भारत के बदलते सुरक्षा वातावरण से उत्पन्न हुआ है, जिसमें हाइब्रिड युद्ध, साइबर खतरों और क्षेत्रीय अस्थिरता की स्थिति है।
- विघटनकारी तकनीकों और विवादित सीमाओं के बढ़ने के साथ, सेना पारंपरिक युद्ध से आगे विकसित हो रही है।
- यह योजना सरकार के आत्मनिर्भर भारत रक्षा अभियान के अनुरूप है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी और स्वदेशी उत्पादन बेहतर होगा।
चुनौतियाँ
- भारत की रक्षा आधुनिकीकरण को प्रमुख बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे वित्तीय अनुशासन और उच्च लागत के बीच संसाधन सीमाएँ।
- उन्नत प्रणालियों के सीमित घरेलू उत्पादन के कारण तकनीकी अंतराल।
- नई सैन्य सिद्धांतों को एकीकृत करते हुए युद्ध-तत्पर बने रहने की परिचालन जटिलता।
- मानव संसाधन चुनौतियाँ—साइबर, अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे उभरते क्षेत्रों में कर्मियों को प्रशिक्षित करना।
आगे की राह
- थलसेनाध्यक्ष ने भारत की सेना के लिए दीर्घकालिक परिवर्तन योजना प्रस्तुत की, जिसमें संरचनात्मक सुधार, सुदृढ़ नागरिक-सैन्य-औद्योगिक साझेदारी और सतत अनुसंधान एवं विकास निवेश पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- लक्ष्य है 2047 तक एक भविष्य-उन्मुख, लचीली सेना का निर्माण करना, जो संप्रभुता की रक्षा कर सके और भारत के वैश्विक शक्ति के रूप में उदय का समर्थन कर सके, साथ ही वित्तीय एवं तकनीकी चुनौतियों के बावजूद क्षमताओं का आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण कर सके।
Source :TH
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संक्षिप्त समाचार 28-11-2025