कोवाचिका की नैव (Naïve) पेंटिंग
पाठ्यक्रम: GS1/कला और संस्कृति
संदर्भ
- विगत वर्ष यूनेस्को ने कोवाचिका चित्रकारों को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में मान्यता दी।
परिचय
- सर्बिया के कोवाचिका की नैव (Naïve) पेंटिंग परंपरा का अर्थ है लोक जीवन, ग्रामीण परिवेश, इतिहास और दैनिक जीवन के चित्रण के साथ वस्तुओं को रंगना और सजाना।

- इसकी शुरुआत 1930 के दशक में कोवाचिका नगर से हुई और समय के साथ यह सर्बिया के अन्य स्लोवाक समुदाय वाले नगरों में फैल गई।
- कलाकार स्व-शिक्षित होते हैं, वे पारंपरिक संस्कृति, वस्तुओं, इतिहास और मूल्यों को दर्शाने के लिए चमकीले रंगों में तेल रंग का उपयोग करते हैं।
- एक पहचान योग्य पहलू यह है कि यह परंपरा सर्बिया में स्लोवाक समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर और इतिहास को संप्रेषित करने का माध्यम है।
- 2022 की जनगणना में स्लोवाक अल्पसंख्यक सर्बिया की जनसंख्या का एक प्रतिशत से भी कम था।
- 2024 के एक अध्ययन में पाया गया कि विगत तीन दशकों में यह समुदाय घटा है, आंशिक रूप से वृद्ध होती जनसंख्या और स्लोवाकिया में प्रवासन के कारण।
यूनेस्को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर

- अब तक लगभग 730 तत्व, जो 5 क्षेत्रों और 145 देशों से संबंधित हैं, अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सूचीबद्ध किए गए हैं।
- भारत के 15 तत्व इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल हैं, जो सभी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची का हिस्सा हैं।
- गुजरात का गरबा 2023 में इस सूची में सबसे हालिया जोड़ था।
Source: TH
भारत और इंडोनेशिया द्वारा ब्रह्मोस डील पर प्रगति
पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- भारत और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रियों ने नई दिल्ली में तीसरे भारत–इंडोनेशिया रक्षा मंत्रियों के संवाद की संयुक्त अध्यक्षता की।
परिचय
- दोनों पक्षों ने प्रस्तावित ब्राह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल सौदे पर उल्लेखनीय प्रगति की।
- इंडोनेशिया ने ब्राह्मोस प्राप्त करने में गहरी रुचि बनाए रखी है, विशेषकर मलक्का जलडमरूमध्य और व्यापक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए।
- इंडोनेशिया भारत से यह हथियार प्रणाली प्राप्त करने वाला दूसरा देश होगा, फिलीपींस के बाद, जिसने इसे 2022 में खरीदा था।
- सुपर गरुड़ शील्ड, गरुड़ शक्ति, समुद्र शक्ति, मिलन और आगामी वायु युद्धाभ्यास अभ्यासों में हुई प्रगति की समीक्षा की गई, साथ ही अधिकारियों के आदान-प्रदान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार करने की योजनाओं पर चर्चा हुई।
- बैठक ने रक्षा सहयोग समझौते और संयुक्त रक्षा सहयोग समिति द्वारा संचालित रक्षा संबंधों की सुदृढ़ नींव को पुनः पुष्टि की।
ब्राह्मोस के बारे में
- इस मिसाइल को रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित किया गया है और इसका नाम भारत की ब्रहमपुत्र और रूस की मॉस्कवा नदियों पर रखा गया है।
- यह सुपरसोनिक मिसाइल लगभग मैक 3 की गति से उड़ सकती है (सुपरसोनिक गति के मामले में और अधिक) और इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर तक है (इसके उन्नत संस्करणों में 500 या 800 किलोमीटर तक)।
- यह 200 से 300 किलोग्राम तक के उच्च-विस्फोटक वारहेड को ले जाने में सक्षम है।
- फायर-एंड-फॉरगेट: दागने के बाद किसी अतिरिक्त ऑपरेटर इनपुट की आवश्यकता नहीं होती।
- इसकी लगातार विकसित होती क्षमता—अधिक दूरी, गति और स्टील्थ तकनीक—ब्राह्मोस को विश्व की अग्रणी क्रूज़ मिसाइल प्रणालियों में शीर्ष पर स्थापित करती है।
Source: TH
टेक्स-रैम्प्स (Tex-RAMPS) योजना
पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- भारत सरकार ने वस्त्र क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता को सुदृढ़ करने के लिए टेक्सटाइल्स फोकस्ड रिसर्च, असेसमेंट, मॉनिटरिंग, प्लानिंग एंड स्टार्ट-अप (Tex-RAMPS) योजना को मंज़ूरी दी है।
टेक्सटाइल्स फोकस्ड रिसर्च, असेसमेंट, मॉनिटरिंग, प्लानिंग एंड स्टार्ट-अप (Tex-RAMPS) योजना
- यह अनुसंधान, डेटा और नवाचार को एक साथ लाकर भारत के वस्त्र क्षेत्र को सशक्त बनाती है तथा राष्ट्र को स्थिरता, प्रौद्योगिकी एवं प्रतिस्पर्धा में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करती है।
- इसे अनुसंधान, डेटा प्रणाली, नवाचार समर्थन और क्षमता विकास में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर करने के लिए तैयार किया गया है।
- इसे एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जिसका पूरा वित्तपोषण वस्त्र मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।
विशेषताएँ
- अनुसंधान और नवाचार: स्मार्ट टेक्सटाइल्स, स्थिरता और उभरती प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाकर नवाचार क्षमता को सुदृढ़ करना।
- डेटा, एनालिटिक्स और डायग्नोस्टिक्स: रोजगार अध्ययन, आपूर्ति श्रृंखला मानचित्रण और साक्ष्य-आधारित नीति के लिए सुदृढ़ प्रणालियाँ बनाना।
- इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल्स स्टैटिस्टिकल सिस्टम (ITSS): संरचित निगरानी और निर्णय लेने के लिए वास्तविक समय विश्लेषण मंच तैयार करना।
- क्षमता विकास और ज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र: राज्य-स्तरीय योजना को सुदृढ़ करना, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और कार्यशालाओं व क्षेत्रीय कार्यक्रमों का आयोजन करना।
- स्टार्ट-अप और नवाचार समर्थन: इनक्यूबेटर्स, हैकाथॉन और अकादमिक-उद्योग सहयोग को बढ़ावा देना ताकि उच्च-मूल्य वस्त्र उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जा सके।
लाभ
- वैश्विक बाज़ारों में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना
- अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करना
- डेटा-आधारित नीति निर्माण में सुधार करना
- रोजगार के अवसर उत्पन्न करना
- राज्यों, उद्योग, अकादमिक जगत और सरकारी संस्थानों के बीच गहरा सहयोग बढ़ाना
Source :PIB
बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी 2025
पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय तथा पंचायती राज मंत्रालय ने ‘बेसिक एनिमल हज़्बेंड्री स्टैटिस्टिक्स 2025’ का वार्षिक प्रकाशन जारी किया।
परिचय
- यह दूध, अंडे, मांस और ऊन उत्पादन पर व्यापक आँकड़े प्रदान करता है, साथ ही प्रति व्यक्ति उपलब्धता एवं उत्पादन में शामिल पशुओं की राज्यवार अनुमानित संख्या भी देता है।
मुख्य निष्कर्ष
- दूध :
- भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है, 2024-25 में 247.87 मिलियन टन उत्पादन किया गया, जो विगत वर्ष से 3.58% अधिक है।
- प्रति व्यक्ति उपलब्धता बढ़कर 485 ग्राम/दिन हो गई।
- शीर्ष उत्पादक राज्य: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र (कुल 54.09%)।
- वृद्धि: संकर गाय (+4.97%), देशी गाय (+3.51%), भैंस (+2.45%)।
- अंडे :
- भारत विश्व में द्वितीय स्थान पर है, 2024-25 में 149.11 बिलियन अंडे उत्पादित हुए, जो 4.44% की वृद्धि है।
- प्रति व्यक्ति उपलब्धता बढ़कर 106 अंडे/वर्ष हो गई।
- प्रमुख योगदानकर्ता राज्य: आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक (कुल 64.37%)।
- वाणिज्यिक पोल्ट्री का योगदान 84.49%, जबकि पिछवाड़ा पोल्ट्री (Backyard Poultry) का योगदान 15.51%।
- मांस:
- भारत विश्व में चौथे स्थान पर है, 2024-25 में 10.50 मिलियन टन उत्पादन हुआ, जो 2.46% अधिक है।
- पोल्ट्री का योगदान आधा उत्पादन (5.18 मिलियन टन) है।
- प्रमुख योगदानकर्ता राज्य: पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना (कुल 57.55%)।
- ऊन :
- उत्पादन 34.57 मिलियन किलोग्राम तक पहुँचा, जो 2.63% की वृद्धि है।
- राजस्थान 47.85% के साथ अग्रणी है, इसके बाद जम्मू एवं कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश आते हैं, जो मिलकर 85.98% योगदान करते हैं।
Source :PIB
केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति
पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण और संरक्षण
संदर्भ
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि केंद्र सरकार केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) को भंग करने के लिए कोई कदम न उठाए, जब तक कि पूर्व न्यायालय से पूर्व अनुमति प्राप्त न कर ले।
परिचय
- कैबिनेट सचिवालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का उदाहरण देते हुए कहा कि NGT और CEC दोनों के कार्यरत रहने से एजेंसियों की दोहराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे उनके अधिकार क्षेत्र तय करने में देरी हो रही है।
- कैबिनेट सचिवालय ने पर्यावरण मंत्रालय से CEC के भविष्य का मामला विधि आयोग को भेजने को कहा था।
केंद्रीय सशक्त समिति
- CEC का गठन 2002 में (और 2008 में पुनर्गठन) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुलपद बनाम भारत संघ के निर्णय के अंतर्गत किया गया था।
- यह 2023 में एक वैधानिक निकाय बन गई।
- समिति पर्यावरण मंत्रालय में केंद्र सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत कार्य करती है।
- संरचना (Composition): एक सदस्य सचिव और शेष तीन विशेषज्ञ सदस्य, जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा नियुक्त सिविल सेवक होते हैं।
- कार्य (Functions): यह समिति पर्यावरण और वन मामलों से संबंधित रिट याचिकाओं पर न्यायालय को परामर्श देती है और उसके आदेशों की निगरानी व अनुपालन में सहायता करती है।
- CEC किसी भी पीड़ित व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर भी विचार करती है।
Source: IE
स्काईरूट का प्रथम ऑर्बिटल रॉकेट, विक्रम-I
पाठ्यक्रम:GS3/अन्तरिक्ष
समाचार में
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट के इन्फिनिटी कैंपस और स्काईरूट के पहले ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-I का उद्घाटन किया, जिसमें उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित करने की क्षमता है।
क्या आप जानते हैं?
- स्काईरूट भारत की अग्रणी निजी अंतरिक्ष कंपनी है, जिसकी स्थापना पवन चंदना और भारत धाका ने की थी। दोनों भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के पूर्व छात्र एवं इसरो के पूर्व वैज्ञानिक रहे हैं, जिन्होंने बाद में उद्यमी बनने का मार्ग चुना।
- नवंबर 2022 में स्काईरूट ने अपना सब-ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-S लॉन्च किया, जिससे वह अंतरिक्ष में रॉकेट प्रक्षेपित करने वाली प्रथम भारतीय निजी कंपनी बन गई।
- निजी अंतरिक्ष उद्यमों का तीव्रता से उभार विगत कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनकारी सुधारों की सफलता का प्रमाण है, जिसने भारत की स्थिति को एक आत्मविश्वासी और सक्षम वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में सुदृढ़ किया है।
विक्रम-I (Vikram-I)
- इसे स्काईरूट एयरोस्पेस ने बनाया है और इसका नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।
- यह भारत का पहला निजी ऑर्बिटल-क्लास लॉन्च वाहन है, जिसे छोटे उपग्रह बाज़ार की सेवा के लिए तीव्र और किफायती प्रक्षेपण हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- यह चार-चरणीय, 20-मीटर लंबा रॉकेट है, जो 1,200 kN थ्रस्ट उत्पन्न करता है और इसमें ऑल-कार्बन कंपोज़िट संरचना है।
- इसमें ठोस ईंधन वाले चरणों के साथ एक हाइपरगोलिक लिक्विड अपर स्टेज है, जो सटीक संचालन सुनिश्चित करता है।
- यह निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में 350 किलोग्राम और सूर्य-समकालिक कक्षा (SSO) में 260 किलोग्राम तक उपग्रह तैनात कर सकता है।
- मिशन प्रोफ़ाइल के आधार पर इसकी विशिष्ट पेलोड क्षमता है, जैसे 500 किमी SSO में 290 किग्रा और 500 किमी LEO (45-डिग्री झुकाव पर) में 480 किग्रा।
- प्रमुख नवाचारों में 3D-प्रिंटेड इंजन, उन्नत एवियोनिक्स और लो-शॉक सेपरेशन सिस्टम शामिल हैं।
प्रासंगिकता
- विक्रम-I की प्रथम उड़ान 2026 की शुरुआत में होने वाली है, जो 2030 तक भारत की अनुमानित $77 बिलियन की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का समर्थन करेगी।
- उद्योग जगत के नेताओं ने इसके महत्व को रेखांकित किया है—यह इसरो का भार कम करेगा, स्वदेशी कक्षा तक पहुँच को बढ़ावा देगा और भारत के निजी अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करेगा।
- यह उपग्रह तैनाती और रक्षा, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण एवं बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में डाउनस्ट्रीम अनुप्रयोगों को तीव्र करेगा, जिससे भारत एक वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में स्थापित होगा।
Source :IE
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