पाठ्यक्रम: GS2/शासन; GS3/ विज्ञान
संदर्भ
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “सिन्टर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना” को ₹7,280 करोड़ की वित्तीय राशि के साथ मंज़ूरी दी है।
योजना के बारे में
- यह अपनी तरह की प्रथम पहल है, जिसका उद्देश्य भारत में प्रति वर्ष 6,000 मीट्रिक टन (MTPA) एकीकृत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) विनिर्माण क्षमता स्थापित करना है।
- REPMs—जैसे नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) और समेरियम कोबाल्ट (SmCo)—विश्व के सबसे शक्तिशाली परमानेंट मैग्नेट्स में से हैं।
- क्षमता पाँच लाभार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से आवंटित की जाएगी, प्रत्येक को अधिकतम 1,200 MTPA तक।
- योजना एकीकृत REPM विनिर्माण सुविधाओं के निर्माण का समर्थन करेगी, जिसमें रेयर अर्थ ऑक्साइड्स को धातुओं में, धातुओं को मिश्रधातुओं में और मिश्रधातुओं को तैयार REPMs में परिवर्तित करना शामिल होगा।
- योजना की अवधि: 7 वर्ष
- 2 वर्ष: परियोजना पूरी होने की अवधि
- 5 वर्ष: प्रोत्साहन वितरण
भारत को इसकी आवश्यकता क्यों है?
- बढ़ती मांग: REPMs विद्युत वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन, एयरोस्पेस, रक्षा एवं रणनीतिक प्रणालियों जैसी उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- भारत की REPMs की मांग 2030 तक दोगुनी होने का अनुमान है।
- भारी आयात निर्भरता: भारत वर्तमान में अपनी ~900 टन वार्षिक REPM आवश्यकता लगभग पूरी तरह आयात करता है।
- वैश्विक आपूर्ति संकट (2021–22) ने कीमतों में 200–300% की वृद्धि की, जिससे भारत की कमजोरी उजागर हुई।
- रणनीतिक स्वायत्तता: REPMs को वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण सामग्री के रूप में वर्गीकृत किया गया है। REPM उत्पादन सुनिश्चित करना इनसे जुड़ा है:
- आत्मनिर्भर भारत
- राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति
- नेट ज़ीरो 2070
- विकसित भारत @2047
- खनिज क्षमता: भारत के पास विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा रेयर अर्थ भंडार (~6.9 मिलियन टन) है, जो मुख्यतः आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल, झारखंड और राजस्थान में स्थित है।
चुनौतियाँ
- प्रौद्योगिकीगत जटिलता: NdFeB और SmCo मैग्नेट उत्पादन में अल्ट्रा-हाई वैक्यूम सिन्टरिंग और क्रायोजेनिक मिलिंग शामिल है।
- भारत में रेयर अर्थ मैग्नेट तकनीकों में विशेषज्ञता रखने वाले प्रशिक्षित धातुकर्मियों और इंजीनियरों की कमी है।
- चीन का प्रभुत्व: चीन वैश्विक REPM उत्पादन का ~85–90% नियंत्रित करता है, जिससे प्रतिस्पर्धा कठिन हो जाती है।
- उच्च पूंजी लागत: एकीकृत REPM सुविधाओं के लिए उच्च तापमान भट्टियाँ, रेयर अर्थ शुद्धिकरण इकाइयाँ और पाउडर धातुकर्म लाइनें आवश्यक हैं।
- पर्यावरणीय और नियामक मुद्दे: रेयर अर्थ प्रसंस्करण से निकलने वाला अपशिष्ट जल रेडियोधर्मी थोरियम और भारी धातुओं से युक्त होता है।
भारत द्वारा उठाए गए कदम
- राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM): 2025 में शुरू किया गया, ताकि महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए एक सुदृढ़ ढाँचा स्थापित किया जा सके।
- इस मिशन के अंतर्गत, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) को 2024-25 से 2030-31 तक 1,200 अन्वेषण परियोजनाएँ करने का कार्य सौंपा गया है।
- घरेलू क्षमता को सुदृढ़ करना: IREL (India) Limited, परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत, प्रसंस्करण सुविधाओं का आधुनिकीकरण कर रहा है।
- परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) रेयर अर्थ धातु अपचयन और मिश्रधातु तकनीकों का विकास कर रहा है।
- अंतरराष्ट्रीय साझेदारियाँ: ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोप और जापान के साथ महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति एवं तकनीकी साझेदारी पर समझौता ज्ञापन (MoUs)।
- भारत 2023 में मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप (MSP) में शामिल हुआ।
- मांग-पक्ष प्रेरक: सौर मॉड्यूल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्रोन, ऑटो और EV घटकों के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना।
- EV मिशन अकेले 2047 तक प्रति वर्ष 15,000–20,000 टन REPMs की आवश्यकता कर सकता है।
- अनुसंधान और नवाचार: BARC, ARCI और IITs उच्च-प्रदर्शन मैग्नेट अनुसंधान, पुनर्चक्रण योग्य मैग्नेट और अपशिष्ट-मुक्त निष्कर्षण तकनीकों को आगे बढ़ा रहे हैं।
निष्कर्ष
- यह पहल भारत में आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी REPM पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है।
- स्वदेशी विनिर्माण को प्रोत्साहित करके यह महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करेगा, विद्युत गतिशीलता और नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन करेगा तथा राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करेगा।
- यह योजना भारत के नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्यों में योगदान देती है, आयात निर्भरता को कम करती है और विकसित भारत @2047 की व्यापक दृष्टि के अनुरूप है—एक तकनीकी रूप से उन्नत, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी एवं सतत औद्योगिक आधार का निर्माण।
Source: PIB
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