पाठ्यक्रम:GS2/शासन/GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
समाचार में
- अनुसंधान धोखाधड़ी एक वैश्विक समस्या है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के बढ़ते उपयोग के कारण यह अधिक गंभीर हो गई है।
वर्तमान परिदृश्य
- वैश्विक स्तर पर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उपकरणों के दुरुपयोग से अनुसंधान धोखाधड़ी बढ़ी है, जिससे नकली शोध पत्र तैयार करना आसान हो गया है।
- भारत उच्च शिक्षा में प्रणालीगत दबावों के कारण विशेष रूप से गंभीर संकट का सामना कर रहा है।
- भारत का उच्च शिक्षा क्षेत्र, जिसमें 40 मिलियन से अधिक छात्र नामांकित हैं, संस्थागत और करियर दबावों के कारण संदिग्ध प्रकाशनों में वृद्धि देख रहा है।
कारण
- संकाय पदोन्नति और करियर उन्नति शिक्षण गुणवत्ता के बजाय प्रकाशन संख्या से जुड़ी हुई है।
- राष्ट्रीय और वैश्विक रैंकिंग शोध उत्पादन को पुरस्कृत करती हैं, जिससे संस्थान संकाय को किसी भी कीमत पर प्रकाशित करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- कई कॉलेजों में पर्याप्त प्रयोगशालाएँ, पुस्तकालय, धन और शोध-सक्षम संकाय की कमी है, जिससे वास्तविक अनुसंधान कठिन हो जाता है।
- व्यापक विश्वास के बावजूद, साक्ष्य दृढ़ता से यह समर्थन नहीं करते कि अनुसंधान शिक्षण परिणामों में सुधार करता है।
प्रभाव
- धोखाधड़ीपूर्ण प्रकाशन वैश्विक स्तर पर भारतीय अनुसंधान में विश्वास को कमजोर करते हैं।
- 80% छात्र स्नातक स्तर के होने के कारण, शिक्षण की उपेक्षा सीखने के परिणामों को कमजोर करती है।
- भारत के विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों में विश्वसनीयता खोने के जोखिम में हैं।
- संसाधन वास्तविक नवाचार के बजाय धोखाधड़ीपूर्ण प्रकाशन की ओर स्थानांतरित किए जाते हैं।
सरकारी कदम
- UGC अकादमिक प्रदर्शन संकेतक (API) 2010 में प्रस्तुत किया गया, इसने पदोन्नति में प्रकाशन पूर्वाग्रह को सुदृढ़ किया।
- संशोधन किए गए हैं, लेकिन प्रकाशन पर ध्यान बना हुआ है।
- 2025 UGC मसौदा विनियम प्रकाशन संख्या जैसी मात्रात्मक मीट्रिक पर निर्भरता को कम करने और शैक्षणिक मानकों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का लक्ष्य रखते हैं।
- गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के विस्तार पर नीति आयोग की रिपोर्ट शासन, वित्तपोषण और रोजगार सुधारों पर बल देती है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय बुनियादी ढाँचा बनाने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और अकादमी-उद्योग अंतर को समाप्त करने के प्रयासों को उजागर करता है।
आगे की राह
- भारत का अनुसंधान धोखाधड़ी संकट गलत प्रोत्साहनों और कमजोर बुनियादी ढाँचे से उत्पन्न होता है, जिसके लिए शैक्षणिक अखंडता को पुनर्स्थापित करने हेतु प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता है।
- इसलिए, विशेष रूप से स्नातक छात्रों के लिए शिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने, अनुसंधान विश्वविद्यालयों और शिक्षण कॉलेजों के बीच अंतर करने वाली संदर्भ-संवेदनशील नीतियों को अपनाने तथा धोखाधड़ीपूर्ण प्रकाशनों को रोकने के लिए निगरानी को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
- संस्थानों को गुणवत्ता को मात्रा से ऊपर पुरस्कृत करना चाहिए, बुनियादी ढाँचे और संकाय प्रशिक्षण में निवेश करना चाहिए, और विश्व स्तर की सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित होना चाहिए ताकि विश्वसनीयता को पुनर्निर्मित किया जा सके तथा वास्तविक ज्ञान सृजन सुनिश्चित किया जा सके।
Source :TH
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