पाठ्यक्रम: GS1/ कला और संस्कृति
समाचारों में
- प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने सामाजिक सुधार, शिक्षा और वैदिक चिंतन में आर्य समाज की 150 वर्षों की विरासत की सराहना की।
- प्रधानमंत्री मोदी ने आर्य समाज से “ज्ञान भारतम् मिशन” का समर्थन करने का आग्रह किया – प्राचीन पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण और भारत की ज्ञान परंपरा को संरक्षित करने हेतु युवाओं को प्रेरित करना।
आर्य समाज के बारे में
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने वैदिक शिक्षाओं से प्रेरित होकर 1875 में बॉम्बे में आर्य समाज की स्थापना की, जिसके दस सिद्धांतों को 1877 में लाहौर में अंतिम रूप दिया गया।
- इस आंदोलन के मूल सिद्धांत वेदों की अचूकता पर आधारित हैं, जो तर्कशीलता और वैदिक मूल्यों की ओर लौटने पर बल देते हैं।
- इसका नारा है “वेदों की ओर लौटो” और आदर्श वाक्य है “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” (“आओ हम विश्व को आर्य बनाएं”)।
मुख्य सुधार
- धार्मिक: मूर्तिपूजा, कर्मकांड और पुरोहितों के प्रभुत्व को अस्वीकार किया। एक ईश्वर और सत्य की खोज पर आधारित तर्कसंगत धार्मिक समझ को बढ़ावा दिया।
- सामाजिक: जन्म आधारित जाति, अस्पृश्यता, बाल विवाह और विधवा जीवन की मजबूरी का विरोध किया। अंतरजातीय विवाह, विधवा पुनर्विवाह, महिला शिक्षा और सामाजिक सेवा का समर्थन किया।
- शैक्षिक: वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय हेतु डीएवी स्कूलों और गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की, जिससे सामाजिक गतिशीलता एवं राष्ट्रवाद को बढ़ावा मिला।
भारतीय राष्ट्रवाद और सामाजिक परिवर्तन में भूमिका
- आर्य समाज के सदस्य जैसे लाला लाजपत राय, भगत सिंह आदि ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, स्वदेशी और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा दिया।
- उनके प्रयासों ने आधुनिक शिक्षा, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय गौरव पर बल दिया, जिससे औपनिवेशिक विरोध की भावना को बल मिला तथा सुधारवादी आदर्शों के भीतर कार्य हुआ।
आधुनिक भारत में आर्य समाज की प्रासंगिकता
- महिला नेतृत्व में प्रगति: आर्य समाज की प्रारंभिक महिला सशक्तिकरण की वकालत आज की राष्ट्रीय पहलों जैसे “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”, “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” और “ड्रोन दीदी” से सामंजस्यशील है।
- गुरुकुल परंपरा और शैक्षिक सुधार का संरक्षण: आर्य समाज ने भारत की गुरुकुल प्रणाली को पुनर्जीवित किया, जिसमें वैदिक शिक्षा और आधुनिक ज्ञान का समन्वय है।
- यह दृष्टिकोण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से सामंजस्यशील है, जो मूल्य आधारित और चरित्र निर्माण पर केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देता है।
- वैदिक आदर्श और वैश्विक प्रासंगिकता: “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” का आदर्श भारत की विकास नीति को दर्शाता है — राष्ट्रीय प्रगति के माध्यम से वैश्विक कल्याण।
- इसके आदर्श मिशन LiFE, एक सूर्य एक विश्व एक ग्रिड(One Sun One World One Grid) और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जैसी पहलों में परिलक्षित होते हैं, जो विश्व में सतत एवं आध्यात्मिक जीवनशैली को फैलाते हैं।
Source: PIB
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संक्षिप्त समाचार 31-10-2025
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