पाठ्यक्रम: GS3/ ऊर्जा
संदर्भ
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की है कि वित्त वर्ष 2025–26 के अंत तक 6 गीगावाट (GW) नई पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी जाएगी।
भारत में पवन ऊर्जा
- भारत वर्तमान में विश्व में चौथी सबसे बड़ी स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता वाला देश है, जिसकी कुल स्थापित क्षमता 51.67 GW है (12 अगस्त 2025 तक), जिसमें से 4.15 GW वित्त वर्ष 2024–25 के दौरान जोड़ी गई।
- पवन ऊर्जा ने अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच 78.21 बिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न की, जो देश में कुल विद्युत उत्पादन का 4.69% है।
- राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान के अनुसार, देश की अनुमानित पवन ऊर्जा क्षमता 1,164 GW है, जो भूमि से 150 मीटर की ऊंचाई पर मापी गई है।

पवन ऊर्जा का महत्व
- स्वच्छ ऊर्जा स्रोत: पवन ऊर्जा संचालन के दौरान शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करती है, जिससे भारत के राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (NDCs) और नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- ग्रामीण और तटीय विकास: पवन ऊर्जा संयंत्र मुख्यतः ग्रामीण या तटीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं, जिससे बुनियादी ढांचे का विकास, स्थानीय रोजगार और सामुदायिक आय में वृद्धि होती है।
- सतत विकास: दूरदराज के क्षेत्रों को बिजली प्रदान कर समावेशी विकास को समर्थन देना।
- स्वच्छ तकनीकों में नवाचार और निवेश को प्रोत्साहित करना।
- तेजी से विकसित हो रहे देश के लिए ऊर्जा की बढ़ती मांग को सतत रूप से पूरा करना।
| भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य – संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) को 2022 में प्रस्तुत अद्यतन NDC के अंतर्गत:भारत ने 2030 तक अपने उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर की तुलना में 45% तक कम करने का संकल्प लिया है। – 2030 तक कुल विद्युत शक्ति क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य है।’LIFE’ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) आंदोलन के माध्यम से सतत जीवनशैली को बढ़ावा देना। – ये लक्ष्य भारत के दीर्घकालिक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य (2070) में भी योगदान करते हैं।राष्ट्रीय विद्युत योजना (NEP) 2032 तक नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि की परिकल्पना करती है, जिसमें सौर ऊर्जा से 50% योगदान की अपेक्षा है। |
भारत में पवन ऊर्जा की चुनौतियाँ
- स्थल संबंधी सीमाएं: उच्च पवन क्षमता वाले स्थल मुख्यतः कुछ राज्यों — तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र — में केंद्रित हैं, जिससे भौगोलिक विस्तार सीमित होता है।
- भूमि उपलब्धता, वन स्वीकृति और सामाजिक विरोध जैसी समस्याएं परियोजना समयसीमा को प्रभावित करती हैं।
- पवन ऊर्जा उत्पादन की अनियमितता ग्रिड स्थिरता को चुनौती देती है और इसके लिए ऊर्जा भंडारण एवं पूर्वानुमान प्रणाली में निवेश की आवश्यकता होती है।
- नीतिगत अनिश्चितता: निविदा दिशानिर्देशों, ऑफटेक तंत्र और RPO (नवीकरणीय खरीद दायित्व) लक्ष्यों में बार-बार परिवर्तित से अनिश्चितता उत्पन्न होती है।
- डेटा की कमी: कई आंतरिक क्षेत्रों के लिए पवन संसाधन डेटा अभी भी अपर्याप्त या प्राचीन है।
सरकारी पहलें
- राष्ट्रीय पवन ऊर्जा मिशन: भारत में पवन ऊर्जा के विकास और विस्तार पर केंद्रित। 2030 तक पवन ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य 140 GW निर्धारित किया गया है।
- घरेलू निर्माण और नीतिगत प्रोत्साहन:
- वर्तमान में भारत की पवन उद्योग में 70% स्थानीय सामग्री है। 2030 तक इसे 85% तक बढ़ाने का लक्ष्य है ताकि घरेलू निर्माण को सुदृढ़ किया जा सके।
- कर प्रोत्साहन: पवन उपकरणों पर GST को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है, जिससे प्रति MW टरबाइन लागत में लगभग ₹25 लाख की कमी आई है।
- वैश्विक निर्माण महत्वाकांक्षा: ALMM (स्वीकृत मॉडल और निर्माता सूची)–पवन ढांचे जैसी पहलों के माध्यम से भारत का लक्ष्य 2030 तक वैश्विक पवन मांग का 10% और 2040 तक 20% पूरा करना है, जिससे भारत को टरबाइन और घटकों के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात और तमिलनाडु के तट पर 500 MW प्रत्येक के 1 GW अपतटीय पवन परियोजनाओं एवं बंदरगाह उन्नयन के लिए ₹7,453 करोड़ की व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना को स्वीकृति दी है।
आगे की राह
- पवन ऊर्जा संयंत्रों के साथ ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (बैटरी और पंप्ड हाइड्रो) को एकीकृत करें ताकि निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
- NIWE जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी में पवन तकनीक के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करें ताकि अपतटीय, हाइब्रिड और उन्नत टरबाइन डिज़ाइन में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
- ग्रिड दक्षता और भूमि उपयोग को अधिकतम करने के लिए पवन, सौर और भंडारण को मिलाकर हाइब्रिड निविदाओं को बढ़ावा दें।
Source: TH
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