सरदार पटेल का दृष्टिकोण और राष्ट्रीय एकता का अर्थ

पाठ्यक्रम: GS1/इतिहास

संदर्भ

  • 31 अक्टूबर को भारत के प्रधानमंत्री ने गुजरात के केवड़िया स्थित एकता नगर में राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय एकता दिवस (Rashtriya Ekta Diwas) मनाया, जो सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।

सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में 

  • जन्म: 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में लेउवा पटेल पाटीदार समुदाय में। 
  • शिक्षा: कानून स्नातक, बाद में इंग्लैंड जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त की और बैरिस्टर बने। भारत लौटने के बाद अहमदाबाद, गुजरात में वकालत शुरू की।

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान 

  • सरदार पटेल ने अक्टूबर 1917 में महात्मा गांधी से भेंट की, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने अपना जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। 
  • उन्होंने 1917 में अहमदाबाद के स्वच्छता आयुक्त के रूप में सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की और बाद में नगरपालिका समिति के अध्यक्ष (1924–1928) के रूप में कार्य किया। 
  • उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल होकर ब्रिटिश दमन के विरुद्ध गुजरात में सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया। 
  • बाद में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में सक्रिय भूमिका निभाई और गांधीजी के साथ मिलकर स्वतंत्रता के लिए जनसमर्थन जुटाया।
सरदार पटेल और सत्याग्रह खेड़ा सत्याग्रह (1918):
– यह आंदोलन फसल की भारी बर्बादी के बाद भूमि राजस्व की माफी की मांग को लेकर शुरू हुआ। तीन महीने तक चले शांतिपूर्ण आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को राहत देने पर बाध्य कर दिया, हालांकि इस दौरान गिरफ्तारी और संपत्ति जब्ती जैसी कठोर कार्रवाई हुई।
बारडोली सत्याग्रह (1928): जब ब्रिटिश अधिकारियों ने भूमि राजस्व में 22% से 60% तक की वृद्धि की, तब सरदार पटेल ने किसानों के प्रतिरोध का नेतृत्व अनुशासन और एकता के साथ किया। 
– इस आंदोलन की सफलता के बाद महात्मा गांधी ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि दी, जिससे वे भारत के सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमुख नेता और संगठित प्रतिरोध के प्रतीक बन गए।

राष्ट्रीय एकीकरण के शिल्पकार (स्वतंत्रता के पश्चात) 

  • सरदार पटेल भारत के प्रथम गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री बने। 
  • उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान 560 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करना था। 
  • भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्हें भारतीय सेना का वास्तविक सर्वोच्च सेनापति माना गया। 
  • उनकी दूरदृष्टि बाद के कई ऐतिहासिक घटनाक्रमों में साकार हुई — गोवा का विलय (1961), सिक्किम का भारत में विलय (1975), और अनुच्छेद 370 का निरसन (2019), जिससे उनके पूर्ण एकता के स्वप्न की पूर्ति हुई।

सरदार पटेल की विरासत 

  • भारत के लौह पुरुष: सरदार पटेल का जीवन दृढ़ संकल्प, एकता और नेतृत्व का अद्वितीय उदाहरण था। ‘विविधता में एकता’ में उनकी गहरी आस्था और समान उद्देश्य के लिए उनका नेतृत्व उन्हें भारत का लौह पुरुष बनाता है।
    • राष्ट्रीय एकता दिवस की स्थापना 2014 में की गई थी, ताकि स्वतंत्रता के पश्चात 560 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में उनके ऐतिहासिक योगदान को स्मरण किया जा सके। 
  • सम्मान और भारत रत्न पुरस्कार: सरदार पटेल को भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 1991 में मरणोपरांत प्रदान किया गया — उनकी मृत्यु के 41 वर्ष बाद। 
  • सरदार पटेल की विरासत यह सिखाती है कि एकता जन्मजात नहीं होती — प्रत्येक पीढ़ी को इसे पुनर्निर्मित करना होता है। यह उदासीनता, अज्ञानता और क्षेत्रीयता जैसी शक्तियों के विरुद्ध सतत रक्षा की मांग करती है।
    • जैसे-जैसे भारत विकसित और विविध होता है, पटेल का संदेश प्रासंगिक बना रहता है: हमारी शक्ति समानता में नहीं, बल्कि एकजुटता में है।
  •  पटेल की एकता की कल्पना संघवाद पर आधारित थी — एक ऐसा संघ जो साझा विरासत से जुड़े मन और दिलों का मेल हो।

Source: TH

 

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