पाठ्यक्रम: GS2/शिक्षा
संदर्भ
- हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि आगामी शैक्षणिक सत्र (2026-27) से कक्षा 3 से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर आधारित पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा।
परिचय
- विभाग CBSE, NCERT, KVS और NVS जैसे संस्थानों के साथ-साथ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को सहयोग प्रदान कर रहा है।
- उद्देश्य: राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) के व्यापक दायरे में एक सार्थक और समावेशी पाठ्यक्रम तैयार करना।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संगणनात्मक चिंतन (AI & CT) सीखने, सोचने एवं पढ़ाने की अवधारणाओं को सुदृढ़ करेगा, तथा धीरे-धीरे “जनहित के लिए AI” की दिशा में विस्तार करेगा।
- प्रशिक्षण: NISHTHA एवं अन्य संस्थानों के माध्यम से शिक्षकों को कक्षा-विशिष्ट और समयबद्ध प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- संसाधन सामग्री: दिसंबर 2025 तक संसाधन सामग्री, पुस्तिकाएं और डिजिटल संसाधनों का विकास किया जाएगा।
- NCERT और CBSE के बीच समन्वय समिति के माध्यम से सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे एकीकृत संरचना और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।
समर्थन में तर्क
- AI साक्षरता की प्रारंभिक नींव: प्रारंभिक स्तर पर परिचय बच्चों को AI की कार्यप्रणाली, क्षमताओं और सीमाओं को समझने में सहायता करता है।
- AI से प्रभावित विश्व में, AI साक्षरता उतनी ही आवश्यक हो जाती है जितनी डिजिटल या वित्तीय साक्षरता।
- भविष्य की कार्यशक्ति के लिए तैयारी: AI की अवधारणाओं, उपकरणों और अनुप्रयोगों की समझ दीर्घकालिक रूप से रोजगार की संभावनाएं बढ़ा सकती है।
- शिक्षा को अधिक रोचक और व्यक्तिगत बनाना: AI उपकरण शिक्षा को वैयक्तिकृत कर सकते हैं — व्यक्तिगत सीखने की खामियों की पहचान, संसाधनों की सिफारिश, और अनुकूल प्रतिक्रिया प्रदान कर सकते हैं।
- डिजिटल और सामाजिक अंतर का समापन: यदि समावेशी पहुंच और प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए तो संरचित AI शिक्षा असमानताओं को कम कर सकती है।
- मूलभूत मानवीय कौशल को सुदृढ़ करना: यदि सही मार्गदर्शन मिले तो AI आधारित शिक्षा समस्या-समाधान, रचनात्मकता और सहयोग को बढ़ा सकती है, न कि उन्हें प्रतिस्थापित कर सकती है।
विरोध में तर्क
- तेजी से बदलती तकनीक: AI तकनीक इतनी तीव्रता से विकसित हो रही है कि शैक्षणिक प्रणाली उसके अनुरूप नहीं हो पा रही।
- हजारों स्कूलों में AI पाठ्यक्रम को नियमित रूप से डिजाइन और अपडेट करना प्रशासनिक रूप से चुनौतीपूर्ण है।
- डिजिटल और आधारभूत संरचना की कमी: भारत के कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है — जैसे कंप्यूटर, विद्युत या इंटरनेट।
- इन खामियों को दूर किए बिना AI शिक्षा शुरू शैक्षणिक असमानताओं को बढ़ाएगा, जिससे केवल शहरी या विशेषाधिकार प्राप्त छात्र लाभान्वित होंगे।
- अप्रशिक्षित और पहले से ही बोझिल शिक्षक: अधिकांश शिक्षक स्वयं AI साक्षर नहीं हैं और AI की अवधारणाओं को प्रभावी ढंग से पढ़ाने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं।
- बड़े पैमाने पर शिक्षकों को प्रशिक्षित करना भारी निवेश और समय की मांग करेगा।
- “अशिक्षा” और सीखने की प्रेरणा में कमी का जोखिम: AI उपकरणों पर अत्यधिक निर्भरता छात्रों की जिज्ञासा और सीखने के प्रयास को कम कर सकती है।
- इससे गहन सीखने, रचनात्मकता तथा आलोचनात्मक सोच का क्षरण हो सकता है, और प्रयास की जगह शॉर्टकट ले सकते हैं।
- अप्रमाणित और पक्षपाती तकनीक: AI प्रणाली प्रायः पक्षपाती या अधूरी जानकारी पर प्रशिक्षित होती हैं, जिससे अविश्वसनीय या भेदभावपूर्ण परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं।
- बच्चों को ऐसी प्रणालियों पर निर्भर रहने देना उनकी समझ को विकृत कर सकता है और रूढ़ियों को सुदृढ़ कर सकता है।
आगे की राह
- चरणबद्ध और आयु-उपयुक्त मॉडल अपनाना: प्रारंभिक कक्षाओं में AI साक्षरता पर ध्यान दें, और उच्च कक्षाओं में AI कौशल (कोडिंग, डेटा उपयोग) पर।
- शिक्षकों और संरचना को सुदृढ़ करना: डिजिटल साक्षरता और AI जागरूकता में निरंतर शिक्षक प्रशिक्षण प्रदान करें।
- नैतिकता और सुरक्षा उपायों का समावेश: जिम्मेदार AI उपयोग, पक्षपात और डेटा गोपनीयता पर आधारित मॉड्यूल शामिल करें।
- स्कूलों में उपयोग किए जाने वाले AI उपकरणों के लिए बाल संरक्षण मानदंड और सुरक्षा उपाय लागू करें।
- रचनात्मकता और आजीवन सीखने को बढ़ावा देना: AI का उपयोग समस्या-समाधान, नवाचार और सहयोग को बढ़ाने के लिए करें — प्रयास के विकल्प के रूप में नहीं।
- छात्रों को तकनीक-प्रेरित भविष्य के लिए अनुकूलनशीलता और सतत सीखने की मानसिकता विकसित करने के लिए तैयार करें।
Source: TH
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