“भारत की जलमार्गों की पुनर्खोज: विकसित भारत के लिए एक नई दिशा तय करना

पाठ्यक्रम: GS3/अवसंरचना

संदर्भ

  • भारत की नदियाँ, जो कभी व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की जीवनरेखा थीं, अब आधुनिक आर्थिक विकास के इंजन के रूप में पुनः कल्पित की जा रही हैं। 
  • जैसे-जैसे इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 समीप आ रहा है, देश का अंतर्देशीय जलमार्गों पर ध्यान हरित लॉजिस्टिक्स, समावेशी विकास और सतत विकास की ओर बदलाव को दर्शाता है। 
  • भारत सरकार के अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के अंतर्गत किए जा रहे प्रयास विकसित भारत 2047 की उस दृष्टि को मूर्त रूप देते हैं, जहाँ पारिस्थितिक संतुलन और आर्थिक दक्षता साथ-साथ चलते हैं।

भारत में नदी परिवहन 

  • भारत की नदियाँ देश के पहले राजमार्ग थीं, जहाँ गंगा और ब्रह्मपुत्र से लेकर गोदावरी एवं कृष्णा तक सामान सहजता से पहुंचता था — अनाज, नमक और कहानियाँ नीचे की ओर जाती थीं।
    • वाराणसी और कोलकाता जैसे प्राचीन नगर नदी बंदरगाहों के रूप में विकसित हुए, और औपनिवेशिक शक्तियाँ व्यापार के लिए नदी मार्गों पर भारी निर्भर थीं। 
  • लेकिन समय के साथ, स्टील की पटरियों और डामर की सड़कों ने इन प्राकृतिक मार्गों को प्रत्स्तापित कर दिया, जिससे नदियाँ व्यापार के एक बीते युग की मौन साक्षी बन गईं। 
  • बुनियादी ढांचे की उपेक्षा और गाद जमाव ने नौवहन को और बाधित किया, जिससे यह कभी समृद्ध नेटवर्क अब कम उपयोग में रह गया।

जलमार्गों की ओर रणनीतिक बदलाव 

  • भारत के 14,500 किमी लंबे नौवहन योग्य अंतर्देशीय जलमार्गों के विशाल नेटवर्क को सतत अवसंरचना के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में स्थापित किया जा रहा है, जो ऐतिहासिक रूप से कम उपयोग में थे। इसमें शामिल हैं:
    • गंगा नदी पर जल मार्ग विकास परियोजना, जो हल्दिया से वाराणसी तक नौवहन को बेहतर बनाती है।
    • राष्ट्रीय जलमार्गों का विकास, जिनमें 100 से अधिक घोषित मार्ग शामिल हैं।
    • पीएम गतिशक्ति के साथ एकीकरण, जो बहु-मोडल संपर्क के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान है।

आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ 

  • जलमार्ग कई विशिष्ट लाभ प्रदान करते हैं: ईंधन की कम खपत, उत्सर्जन में कमी, और लागत प्रभावी लॉजिस्टिक्स।
    • माल परिवहन: 2013–14 में 18 मिलियन टन से बढ़कर 2024–25 में 145 मिलियन टन तक।
    • लक्ष्य: 2030 तक 200 मिलियन टन और 2047 तक 450 मिलियन टन।
  •  ये लाभ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 8–10% वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य रखता है। 
  • प्रत्येक लीटर ईंधन से सड़क द्वारा 24 टन/किमी, रेल द्वारा 95 टन/किमी, और जलमार्ग द्वारा 215 टन/किमी माल ले जाया जा सकता है।
  • इस प्रकार, अंतर्देशीय शिपिंग का विस्तार ईंधन आयात में अरबों की बचत कर सकता है और उत्सर्जन को कम कर सकता है, जो भारत की 2070 तक नेट-ज़ीरो प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
  • नदी आधारित अर्थव्यवस्थाओं का पुनरुद्धार:
    • बंदरगाह विकास और लॉजिस्टिक्स हब के माध्यम से स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देना।
    • विरासत नदी मार्गों के साथ पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।
    • विशेष रूप से पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में दूरस्थ क्षेत्रों के लिए संपर्क बढ़ाना।

संबंधित पहल और प्रयास

  • जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP): विश्व बैंक द्वारा समर्थित, यह गंगा को एक व्यवहारिक आर्थिक गलियारे के रूप में पुनर्स्थापित करने का लक्ष्य रखती है, जो वाराणसी से हल्दिया तक 1,390 किमी तक फैली है। 
  • इसके टर्मिनल वाराणसी, साहिबगंज, कालूघाट और हल्दिया में माल का संचालन करते हैं। 
  • यह पूर्वी जलमार्ग ग्रिड कनेक्टिविटी परियोजना का पूरक है, जो गंगा, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों को एक निर्बाध नेटवर्क में जोड़ती है।
  • अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI): इसने पुनरुद्धार का नेतृत्व किया — भारत की नदियों को सतत परिवहन मार्गों के रूप में पुनः खोजा, पुनः कल्पित किया और पुनर्जीवित किया।
    • भारत अब 111 राष्ट्रीय जलमार्गों का दावा करता है, जो 14,500 किमी नौवहन योग्य चैनलों को कवर करते हैं, जबकि 2014 में केवल 5 जलमार्ग थे। 
    • इनमें से 32 चालू हैं, जो एक दशक से भी कम समय में दस गुना विस्तार को दर्शाते हैं।
  • Ro-Ro, Ro-Pax और स्मार्ट रिवर सिस्टम्स: असम, केरल, बिहार और पश्चिम बंगाल में Ro-Ro एवं Ro-Pax सेवाओं की शुरुआत ने यात्रियों तथा वाहनों के लिए तैरते हुए पुल बनाए हैं, जिससे दैनिक आवागमन का स्वरूप बदल गया है।
    • इस बीच, डिजिटल उपकरण जैसे:
      • जल समृद्धि पोर्टल: जेटी और टर्मिनलों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाता है।
      • नौधर्षिका: एक रीयल-टाइम नदी यातायात निगरानी प्रणाली, जो भारत का समुद्री GPS बनती है।
    •  ये नवाचार भारत के जलमार्गों में सुरक्षा, पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करते हैं।
  • क्रूज़ पर्यटन: नदी पर्यटन एक दशक पहले केवल 5 जहाजों से बढ़कर अब 13 जलमार्गों पर 25 क्रूज़ जहाजों तक पहुँच गया है।
    • गंगा, ब्रह्मपुत्र और केरल बैकवाटर्स में लक्ज़री क्रूज़ संचालित होते हैं, जो इलेक्ट्रिक शोर पावर एवं 24 घंटे नौवहन प्रणाली से सुसज्जित हैं। भविष्य की योजनाओं में शामिल हैं:
      • नर्मदा और यमुना पर क्रूज़ पर्यटन;
      • रावी, चिनाब और झेलम के साथ ईको-टूरिज्म सर्किट;
      • कोच्चि के वाटर मेट्रो मॉडल पर आधारित 18 शहरों में शहरी जल मेट्रो, जो सततता को दैनिक जीवन से जोड़ता है।
  • प्रमुख विधायी सुधार और हरित नवाचार: भारत के विधायी सुधारों ने अंतर्देशीय जलमार्ग पारिस्थितिकी तंत्र को आधुनिक बनाया है:
    • राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम (2016): नेटवर्क का विस्तार किया गया।
    • अंतर्देशीय पोत अधिनियम (2021): सुरक्षा और प्रमाणन को मानकीकृत किया गया।
    • हरित नौका दिशानिर्देश (2024): हाइब्रिड और हरित पोतों को बढ़ावा दिया गया।
    • जलवाहक योजना: सड़क से जलमार्ग की ओर मोडल शिफ्ट को प्रोत्साहित करती है, और कार्बन क्रेडिट की संभावनाओं का पता लगाती है।
    • कोचीन शिपयार्ड ने वाराणसी में भारत का प्रथम हाइड्रोजन-फ्यूल-सेल पोत लॉन्च किया है।
    • उत्सर्जन को कम करने के लिए हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक बार्ज तैनात किए जा रहे हैं, जबकि CAR-D, PANI और वेसल ट्रैकर जैसे डिजिटल सिस्टम लॉजिस्टिक्स प्रबंधन को बेहतर बना रहे हैं।
  • ब्लू इकोनॉमी के लिए कौशल निर्माण: नदी राजमार्गों का पुनरुद्धार एक नई पीढ़ी के कुशल पेशेवरों — नाविकों, इंजीनियरों और पर्यावरणविदों — को तैयार करने की मांग करता है।
    • इस अंतर को समाप्त करने के लिए IWAI ने प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए हैं जैसे:
      • राष्ट्रीय अंतर्देशीय नौवहन संस्थान, पटना;
      • सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, बोगीबील (असम);
    •  ये संस्थान नवाचार और पारिस्थितिक संतुलन पर आधारित ब्लू इकोनॉमी के लिए भारत की कार्यबल को तैयार कर रहे हैं।

भारत के जलमार्ग परिवहन को सशक्त बनाना 

  • केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की है कि भारत 2047 तक समुद्री निवेश में 80 लाख करोड़ रुपये तथा 1.5 करोड़ रोजगारों के सृजन का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसमें शामिल हैं:
    • सभी 12 प्रमुख बंदरगाहों की बंदरगाह क्षमता का विस्तार;
    • 100 से अधिक घोषित मार्गों के साथ राष्ट्रीय जलमार्गों का विकास;
    • मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स के लिए पीएम गतिशक्ति के साथ एकीकरण;
  • भारत द्वारा अपने जलमार्गों की पुनर्खोज एक लॉजिस्टिक्स सुधार से कहीं अधिक है – यह एक सभ्यतागत पुनर्संयोजन है।
  • जहाँ एक ओर विकसित भारत 2047 एक उच्च-आय वाली, सतत अर्थव्यवस्था की परिकल्पना करता है, वहीं नदियाँ समावेशी विकास के उत्प्रेरक के रूप में अपनी भूमिका पर पुनः बल दे रही हैं।
  • अंतर्देशीय जलमार्ग नीतिगत निरंतरता, डिजिटल नेविगेशन प्रणालियों और निजी भागीदारी के साथ भारत के आवागमन, व्यापार एवं विकास के तरीके को बदल सकते हैं।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] चर्चा कीजिए कि भारत के अंतर्देशीय जलमार्गों का पुनरोद्धार किस प्रकार विकसित भारत के दृष्टिकोण में योगदान देता है। परिवहन रणनीति में इस परिवर्तन के आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक निहितार्थों का मूल्यांकन कीजिए।

Source: BS

 

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