पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
संदर्भ
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगामी पांच वर्षों में 75,000 चिकित्सा सीटें सृजित करने के लक्ष्य के अंतर्गत ₹15,034 करोड़ के निवेश के साथ 10,023 नई चिकित्सा सीटों को स्वीकृति दी है।
परिचय
- मंत्रिमंडल ने 2028-29 तक सरकारी कॉलेजों और अस्पतालों में 5,000 स्नातकोत्तर और 5,023 स्नातक (MBBS) सीटों को स्वीकृति दी है।
- इस परियोजना का 68.5% भाग (₹10,303.20 करोड़) केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा, जबकि शेष ₹4,731.30 करोड़ राज्यों द्वारा योगदान किया जाएगा।
भारत का समृद्ध चिकित्सा बुनियादी ढांचा
- भारत में चिकित्सा कॉलेजों की संख्या 2013-14 में 387 से बढ़कर 2025-26 में 808 हो गई है, जिसमें स्नातक सीटों में 141% और स्नातकोत्तर सीटों में 144% की वृद्धि हुई है।
- वर्तमान में भारत में 1,23,700 MBBS (बैचलर ऑफ मेडिसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी) सीटें हैं।
- प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 22 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य सभी लोगों को सुलभ और विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।
- नए संकाय की नियुक्ति को सुगम बनाने के लिए, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने हाल ही में चिकित्सा संस्थान (संकाय की योग्यता) विनियम, 2025 अधिसूचित किए हैं।

भारत में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के प्रभाव
- इच्छुक चिकित्सा छात्रों को भारत में चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने के अधिक अवसर मिलेंगे।
- चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और यह वैश्विक मानकों को प्राप्त करेगी।
- अधिक डॉक्टरों और विशेषज्ञों के साथ, भारत सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाला प्रमुख गंतव्य बन सकता है और विदेशी मुद्रा में वृद्धि कर सकता है।
- उपेक्षित ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा सुलभ होगी।
- नए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे (डॉक्टर, संकाय, पैरामेडिकल स्टाफ, शोधकर्ता, प्रशासक और सहायक सेवाएं)।
चुनौतियाँ
- ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी: प्रयासों के बावजूद, ग्रामीण भारत में डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों की भारी कमी बनी हुई है, जिससे स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में असमानता आती है।
- सीमित चिकित्सा अनुसंधान निधि: भारत में चिकित्सा अनुसंधान अपर्याप्त वित्तपोषण और संसाधनों की कमी से बाधित है, जिससे चिकित्सा शिक्षा में अनुसंधान एवं नवाचार में अंतर बना रहता है।
- ब्रेन ड्रेन: कई कुशल डॉक्टर और विशेषज्ञ बेहतर वेतन, अनुसंधान अवसरों एवं कार्य वातावरण के कारण विदेशों में काम करना पसंद करते हैं।
- सीटों का विस्तार अपने आप प्रतिभा को बनाए नहीं रखेगा यदि प्रोत्साहन और करियर विकास के अवसरों में सुधार नहीं किया गया।
आगे की राह
- अनुभवी विशेषज्ञों, सेवानिवृत्त संकाय और अतिथि प्रोफेसरों की सहायता से योग्य शिक्षकों की संख्या बढ़ाएं।
- ग्रामीण तैनाती के लिए सतत व्यावसायिक विकास कार्यक्रम और प्रोत्साहन शुरू करें।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: चिकित्सा शिक्षा में डिजिटल लर्निंग, टेलीमेडिसिन और एआई-आधारित प्रशिक्षण उपकरणों को एकीकृत करें।
- संसाधनों का उन्नयन: शिक्षण अस्पतालों को उन्नत प्रयोगशालाओं, सिमुलेशन सुविधाओं और अनुसंधान केंद्रों से आधुनिक बनाएं।
- अनुसंधान और नवाचार के अवसर: अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्रों की स्थापना करें और वैश्विक संस्थानों के साथ सहयोग करें ताकि डॉक्टर देश में ही उच्च अध्ययन करने के लिए प्रेरित हों।
निष्कर्ष
- चिकित्सा सीटों का विस्तार भारत की सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह चिकित्सा कार्यबल को सुदृढ़ करेगा, शिक्षा मानकों को ऊंचा करेगा और देशभर में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा का विस्तार करेगा, जिससे भारत सस्ती स्वास्थ्य सेवा में वैश्विक नेता बन सकेगा।
Source: PIB
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