पाठ्यक्रम: GS2/शासन
संदर्भ
- विशाखापट्टनम में आयोजित 28वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन में “ई-गवर्नेंस पर विशाखापट्टनम घोषणा” को अपनाया गया।
मुख्य विशेषताएं
- आयोजनकर्ता: प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (MeitY), तथा आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित।
- विषय: “विकसित भारत: सिविल सेवा और डिजिटल परिवर्तन” — दृष्टिकोण: “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन”।
- डिजिटल समावेशन: उत्तर-पूर्व और लद्दाख जैसे कम सेवा प्राप्त एवं कनेक्टिविटी से वंचित क्षेत्रों में अनिवार्य ई-सेवाओं के विस्तार के माध्यम से डिजिटल शासन को पहुंचाने पर ध्यान, जिसे NeSDA (राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन) ढांचे के अंतर्गत बढ़ाया जा रहा है।
- एआई प्लेटफॉर्म: डिजिटल इंडिया भाषिनी (बहुभाषीय संचार), डिजी यात्रा (हवाई अड्डा चेक-इन), और NADRES V2 (कृषि आपदा जोखिम न्यूनीकरण) जैसे एआई-संचालित पहलों का विस्तार, जिसमें नैतिक एवं पारदर्शी एआई उपयोग पर बल है।
- क्षेत्रीय नवाचार मॉडल: महाराष्ट्र के रोहिणी जैसे स्थानों से प्राप्त बुनियादी स्तर की डिजिटल शासन सफलताओं को दोहराने और डिजिटल पंचायत मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार देने की योजना।
- कृषि सहायता: किसानों को ऋण, परामर्श और बाजारों तक पहुंच प्रदान करने के लिए नेशनल एग्री स्टैक को तीव्रता से लागू करना, जलवायु-स्मार्ट और सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
- सिविल सेवा सुधार: सिविल सेवाओं को डिजिटल कौशल और कुशल, डेटा-आधारित शासन ढांचे से सशक्त बनाना, तथा पूरे-सरकार दृष्टिकोण को समर्थन देना।
- विशाखापट्टनम को आईटी हब बनाना: आंध्र प्रदेश की विशाखापट्टनम को एक प्रमुख आईटी और नवाचार केंद्र के रूप में विकसित करने की दृष्टि को समर्थन, जिसमें अवसंरचना और विशेष आईटी ज़ोन शामिल हैं।
ई-गवर्नेंस क्या है?
- भारत में ई-गवर्नेंस का अर्थ है सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग करके सरकार द्वारा सेवाएं प्रदान करना, जानकारी का आदान-प्रदान करना, और नागरिकों से संवाद करना।

लाभ
- प्रभावशीलता: तीव्र, सस्ता, कागज रहित लेन-देन।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: भ्रष्टाचार में कमी, प्रत्यक्ष निगरानी।
- समावेशिता: ग्रामीण/दूरदराज क्षेत्रों तक सेवाएं कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से।
- नागरिक सशक्तिकरण: 24×7 पहुंच, भागीदारी आधारित शासन।
- आर्थिक वृद्धि: स्टार्टअप, आईटी उद्योग और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा।
ई-गवर्नेंस की प्रमुख चुनौतियाँ
- कार्यान्वयन असमानता: कुछ राज्य या स्थानीय सरकारें डिजिटल क्षमता, अवसंरचना, वित्तपोषण या केंद्रीय ई-गवर्नेंस ढांचे को अपनाने में पीछे हैं।
- डिजिटल विभाजन: इंटरनेट/स्मार्टफोन की पहुंच और डिजिटल साक्षरता विशेष रूप से दूरस्थ, जनजातीय या अविकसित जिलों में बाधा बनी हुई है।
- डेटा सुरक्षा, गोपनीयता और विश्वास: जैसे-जैसे पैमाना बढ़ता है, कमजोरियाँ, डेटा लीक और दुरुपयोग का जोखिम भी बढ़ता है। गोपनीयता, सहमति एवं कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।
- सततता और क्षमता निर्माण: प्रणालियों को बनाए रखना और उन्नत करना, कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना, सतत प्रतिक्रिया तंत्र एवं उपयोगकर्ता सहायता संसाधन-सघन तथा निरंतर कार्य हैं।
- शासन बनाम क्रियान्वयन अंतर: नीति सुदृढ़ होने पर भी बुनियादी स्तर पर उसे लागू करना प्रायः प्रशासनिक जड़ता, तकनीकी स्टाफ की कमी या पुराने सिस्टम के कारण बाधित होता है।
| प्रमुख पहलें – कनेक्टिविटी और अवसंरचना: वर्षों में डिजिटल इंडिया ने देशभर में सुदृढ़ डिजिटल अवसंरचना का निर्माण किया है। – आधार और DBT: आधार-सक्षम ई-केवाईसी ने सत्यापन को सरल बनाया, कागजी कार्यवाही को कम किया और पारदर्शिता बढ़ाई। – DBT ने कल्याणकारी लाभों का सीधा हस्तांतरण सुनिश्चित किया, जिससे रिसाव रुका। – कर्मयोगी भारत: यह पहल भविष्य-उन्मुख सिविल सेवा को तैयार करने का लक्ष्य रखती है, जिसमें अधिकारियों को सही दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान (ASK) से लैस किया जाता है ताकि वे कुशल एवं नागरिक-केंद्रित शासन प्रदान कर सकें। – जुलाई 2025 तक इसमें 1.26 करोड़+ उपयोगकर्ता, 3000 पाठ्यक्रम, और 3.8 करोड़+ प्रमाणपत्र जारी किए जा चुके हैं। – डिजीलॉकर: नागरिकों को उनके डिजिटल दस्तावेज़ वॉलेट में प्रामाणिक डिजिटल दस्तावेज़ों तक पहुंच प्रदान करके ‘डिजिटल सशक्तिकरण’ का लक्ष्य। – UMANG: सभी भारतीय नागरिकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर केंद्र से लेकर स्थानीय सरकारी निकायों तक की ई-गवर्नेंस सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है। |
Source: PIB
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