STEM शिक्षा और विकलांग छात्र

पाठ्यक्रम: GS2/सामाजिक मुद्दे

संदर्भ

  • भारत में लगभग 6.3 करोड़ दिव्यांगजन हैं (NFHS-5), फिर भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) शिक्षा में उनकी भागीदारी अत्यंत सीमित है। 
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) और दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (RPwD) (2016) जैसे प्रगतिशील कानूनों के बावजूद, समावेशन में प्रणालीगत बाधाएँ बनी हुई हैं। यह संयुक्त राष्ट्र दिव्यांगजन अधिकार संधि (UNCRPD, 2006) और समावेशी शिक्षा पर सतत विकास लक्ष्य-4 (SDG-4) जैसे वैश्विक मानकों के विपरीत है।

STEM में समावेशिता क्यों आवश्यक है?

  • समानता और क्षमता: अनुभवजन्य साक्ष्य दर्शाते हैं कि जब दिव्यांग छात्रों को अवसर दिए जाते हैं, तो वे अपने साथियों के बराबर प्रदर्शन करते हैं।
  • नवाचार प्रेरक: दिव्यांगता के प्रति जागरूकता ने ऐतिहासिक रूप से नवाचार को प्रेरित किया है — जैसे दृष्टि सुधार के लिए ऑप्टोमेट्री, ग्राहम बेल के टेलीफोन प्रयोग।
  • राष्ट्रीय प्रगति: समावेशी STEM शिक्षा डिजिटल इंडिया, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतरिक्ष अनुसंधान और विकसित भारत 2047 की आकांक्षाओं को समर्थन देती है।

STEM तक पहुँच में बाधाएँ

  • नीति बनाम व्यवहार का अंतर: भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 सभी के लिए समावेशी शिक्षा की कल्पना करती है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 सरकारी और सहायता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थानों में दिव्यांग छात्रों के लिए 4% आरक्षण अनिवार्य करता है।
    • अधिकांश संस्थान इस कोटा को पूरा नहीं करते, और यदि करते भी हैं, तो यह विभागीय स्तर पर लागू नहीं होता — विशेष रूप से STEM क्षेत्रों में।
  • अवसंरचना की कमी: परिसरों में सुलभ कक्षाएं, प्रयोगशालाएँ और छात्रावासों की कमी है।
    • कई पुराने संस्थानों में लिफ्ट, रैंप या सुलभ शौचालय नहीं हैं। 
    • राष्ट्रीय भवन संहिता (2016) का नए निर्माणों में शायद ही पालन होता है।
  • शैक्षणिक बहिष्करण: प्रयोगशालाएँ स्थिर ऊँचाई वाली बेंच और असुलभ उपकरणों के साथ डिज़ाइन की जाती हैं।
    • प्रयोग और शिक्षण पद्धतियाँ दृष्टिबाधित या गतिशीलता बाधित छात्रों के लिए अनुकूलित नहीं होतीं। 
    • परिणामस्वरूप, दिव्यांग छात्रों को STEM में प्रवेश से व्यवस्थित रूप से हतोत्साहित किया जाता है।
  • मानसिक पूर्वाग्रह: STEM विषयों को प्रायः दिव्यांग छात्रों के लिए ‘अनुपयुक्त’ माना जाता है। 
  • क्षैतिज कोटा प्रणाली: प्रवेश प्रक्रिया उनकी आवश्यकताओं के अनुसार नहीं होती, जिससे प्रवेश की संभावना घटती है। 
  • सहायक तकनीक की कमी: जो उपकरण अंतर को समाप्त कर सकते हैं, वे या तो उपलब्ध नहीं हैं या उनका उपयोग नहीं किया जाता।

सरकारी पहलें

  • वित्तीय सहायता: दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) की छात्रवृत्ति योजनाएँ ट्यूशन, उपकरण और रखरखाव के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
  • समावेशी शिक्षण मॉड्यूल: NCERT एवं CIET द्वारा विकसित मॉड्यूल शिक्षकों में जागरूकता और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देते हैं।
  • विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए डिजिटल तकनीक: CIET-NCERT का प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षकों को समावेशी कक्षाओं के लिए ICT उपकरणों के उपयोग में सक्षम बनाता है।
  • व्यावसायिक और उपचारात्मक सहायता: दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना (DDRS) जैसी पहलों के माध्यम से प्रदान की जाती है।
  • CBSE का राष्ट्रीय शिक्षक सम्मेलन 2025: विविध शिक्षार्थियों, विशेष रूप से दिव्यांग छात्रों के लिए नवाचारी शिक्षण रणनीतियों को प्रोत्साहित करता है।

क्या बदलने की आवश्यकता है

  • सुलभता ऑडिट और निवेश: उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) को नियमित रूप से सुलभता ऑडिट करने की आवश्यकता है ताकि बाधाओं की पहचान की जा सके और अवसंरचना उन्नयन में निवेश किया जा सके।
    •  इन उपायों को व्यय नहीं, बल्कि समावेशिता की दिशा में आवश्यक कदम माना जाना चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार: आधुनिक तकनीक के साथ समावेशी STEM शिक्षा संभव है:
    • गतिशीलता बाधित छात्रों के लिए वाणी-सक्रिय उपकरण
    • दृश्य डेटा को ऑडियो में या इसके विपरीत बदलने के लिए AI और सेंसर-आधारित इंटरफेस
    • विविध शिक्षार्थियों के लिए लचीले प्रयोगशाला डिज़ाइन
  • संवेदनशीलता और प्रशिक्षण: प्रशासकों, संकाय और छात्रों को पूर्वाग्रहों को दूर करने और समावेशिता को प्रोत्साहित करने के लिए संवेदनशीलता कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
    • नीतियों को केवल कागज़ी रूप में नहीं, बल्कि वास्तविक रूप से लागू किया जाना चाहिए, ताकि अवसर वास्तव में सुलभ हों।

आगे की राह: समावेशी नवाचार 

  • STEM शिक्षा का वास्तविक लोकतंत्रीकरण करने के लिए भारत को चाहिए कि वह:
    • परिसरों में सुलभ अवसंरचना में निवेश करे;
    • शिक्षकों को समावेशी शिक्षण पद्धति और सार्वभौमिक डिज़ाइन में प्रशिक्षित करे;
    • STEM शिक्षा के लिए उपयुक्त सहायक तकनीकों को लागू करे;
    • विभागीय स्तर पर दिव्यांग कोटा का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे;
    • वैज्ञानिक समुदायों में सम्मान और प्रतिनिधित्व की संस्कृति को बढ़ावा दे।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] विकलांग छात्रों के लिए STEM शिक्षा को समावेशी बनाने के महत्व पर चर्चा करें। समान पहुँच और भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक संस्थान वर्तमान बाधाओं को कैसे दूर कर सकते हैं?
 

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