पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- भारत की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ विकास गति का अनुभव कर रही है, जिसमें मुद्रास्फीति में कमी और निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि देखी जा रही है। यह घरेलू परिवारों को राहत प्रदान कर रही है एवं देश की वैश्विक व्यापार स्थिति को सुदृढ़ बना रही है।
वर्तमान स्थिति
- भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में सबसे तीव्रता से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, जिसमें वास्तविक GDP वृद्धि 2024–25 में 6.5% अनुमानित है और 2025–26 में भी इसी दर से वृद्धि की संभावना है।
- वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, मजबूत घरेलू मांग, घटती मुद्रास्फीति, बढ़ते निर्यात और सशक्त पूंजी बाजार इस वृद्धि को समर्थन दे रहे हैं।
- विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड स्तर, नियंत्रित चालू खाता घाटा और बढ़ते विदेशी निवेश जैसे प्रमुख संकेतक भारत की आर्थिक लचीलता एवं दीर्घकालिक संभावनाओं में वैश्विक विश्वास को दर्शाते हैं।
GDP वृद्धि
- भारत की वास्तविक GDP 2024–25 में 6.5% की दर से बढ़ी, और भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2025–26 में भी इसी तरह की वृद्धि की भविष्यवाणी की है।

- संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष 6.3% और आगामी वर्ष 6.4% वृद्धि का अनुमान लगाया है, जबकि भारतीय उद्योग परिसंघ ने 6.4% से 6.7% के बीच वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो भारत की मजबूत और निरंतर आर्थिक प्रदर्शन को दर्शाता है।
भारत में मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति जून 2025 में घटकर 2.10% पर आ गई, जो जनवरी 2019 के बाद सबसे कम है और भारतीय रिज़र्व बैंक के 4% ±2% के लक्ष्य सीमा के अंदर है।
- थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति भी जून 2025 में मामूली गिरावट के साथ –0.13% पर रही।
- WPI खाद्य सूचकांक मुद्रास्फीति –0.26% पर आ गई, जो वर्ष भर में खाद्य कीमतों में स्थिरता का संकेत देती है।
| भारत में मुद्रास्फीति को मापने वाले संकेतक – थोक मूल्य सूचकांक (WPI): उपभोक्ता तक पहुँचने से पहले वस्तुओं की कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है। – यह प्राथमिक वस्तुओं, ईंधन और शक्ति तथा विनिर्मित उत्पादों की थोक कीमतों के आधार पर गणना की जाती है। – उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI): उन वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन को मापता है जिन्हें लोग दैनिक उपयोग के लिए खरीदते हैं, जैसे खाद्य और पेय पदार्थ, वस्त्र और जूते, आवास, ईंधन और प्रकाश आदि। |

भारत का निर्यात वृद्धि
- वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2025–26 की प्रथम तिमाही (अप्रैल–जून 2025) में कुल निर्यात US$ 210.31 बिलियन रहा, जो विगत वर्ष की तुलना में 5.94% की वृद्धि दर्शाता है, जबकि आयात केवल 4.38% बढ़ा।
- इससे व्यापार घाटे में 9.4% की कमी आई, जो –US$ 22.42 बिलियन से घटकर –US$ 20.31 बिलियन हो गया।
- सेवाओं का निर्यात प्रमुख वृद्धि चालक के रूप में उभरा, जो US$ 98.13 बिलियन तक पहुँच गया, विगत वर्ष की तुलना में 10.93% की वृद्धि।
- गैर-पेट्रोलियम निर्यात में 5.98% और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात में 7.23% की स्पष्ट वृद्धि दर्ज की गई।


भारत के निर्यात परिदृश्य को सुदृढ़ करने वाली सरकारी पहलें
- विदेशी व्यापार और निर्यात प्रोत्साहन
- नई विदेशी व्यापार नीति (FTP) 2023: निर्यात प्रोत्साहनों, व्यापार करने में सुलभ और ई-कॉमर्स व उच्च तकनीकी उत्पाद जैसे उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित। लंबित प्राधिकरणों को निपटाने के लिए एक बार की माफी योजना शुरू की गई।
- RoDTEP और RoSCTL योजनाएँ: निर्यातकों को कर और शुल्क की प्रतिपूर्ति प्रदान करती हैं, जिससे फार्मास्यूटिकल्स, रसायन एवं इस्पात जैसे क्षेत्रों को लाभ मिलता है।
- जिलों को निर्यात केंद्र के रूप में विकसित करना: प्रत्येक जिले में उच्च संभावनाओं वाले उत्पादों की पहचान कर उनके लिए अवसंरचना और बाज़ार संपर्क प्रदान करना।
- निर्यात योजना हेतु व्यापार अवसंरचना (TIES) और बाज़ार पहुँच पहल (MAI): निर्यात वृद्धि के लिए अवसंरचना विकास और विपणन प्रयासों को समर्थन देना।
- अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) और पीएम गति शक्ति योजना: लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और GIS आधारित योजना के माध्यम से बहु-मोडल संपर्क को बढ़ावा देने का लक्ष्य।
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ: सरकार ने 2025–26 में प्रमुख क्षेत्रों के लिए PLI योजना के अंतर्गत बजट आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे घरेलू विनिर्माण को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई है।
- व्यापार सुगमता और डिजिटल पहल
- अनुपालन और अपराधीकरण सुधार: मार्च 2025 तक सरकार ने 42,000 से अधिक अनुपालनों को हटाया है और 2014 से अब तक 3700 से अधिक कानूनी प्रावधानों को अपराधमुक्त किया है। जन विश्वास अधिनियम 2023 में 180 से अधिक कानूनी प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया।
- राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (NSWS): अनुमोदनों को सुव्यवस्थित करता है, जिससे व्यवसायों को 670 केंद्रीय और 6880 राज्य अनुमोदनों के लिए आवेदन करने की सुविधा मिलती है।
- ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म: 17 लाख से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को भारतीय मिशनों और निर्यात परिषदों से जोड़ता है, जिससे व्यापार सुगमता सुनिश्चित होती है।
- MSME निर्यातकों को समर्थन: अप्रैल 2025 में MSME मंत्रालय ने निर्यात प्रोत्साहन के लिए 65 निर्यात सुविधा केंद्र (EFCs) स्थापित किए हैं।
निष्कर्ष
- घटती कीमतें और बढ़ता निर्यात यह दर्शाते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर विकास पथ पर है, जो घरेलू परिवारों को राहत प्रदान कर रही है।
- सुदृढ़ मांग एवं निरंतर सुधारों के साथ, भारत आत्मविश्वास के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है, जिससे देशवासियों के लिए स्थिरता और नए अवसर सुनिश्चित होंगे।
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