हेल्गोलैंड
पाठ्यक्रम :GS1/स्थान
समाचार में
- हेल्गोलैंड को क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) के जन्मस्थल के रूप में स्मरण किया जाता है।
हेल्गोलैंड
- यह उत्तर सागर में स्थित एक छोटा सा लाल बलुआ पत्थर का द्वीप है, जो जर्मनी के तट से लगभग 50 किमी दूर है।
- यह एक वर्ग किलोमीटर से भी कम क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
- यह कभी एक नौसैनिक किला था और बाद में स्वस्थ्य वातावरण की खोज में आने वाले पर्यटकों के लिए एक अवकाश स्थल बन गया।
प्रासंगिकता
- हेल्गोलैंड भौतिकी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया जब जून 1925 में 23 वर्षीय वर्नर हाइजेनबर्ग ने क्वांटम यांत्रिकी की नींव रखी।
- उन्होंने इलेक्ट्रॉनों के नाभिक के चारों ओर घूमने की पारंपरिक अवधारणाओं को त्याग दिया और केवल मापने योग्य आंकड़ों — जैसे परमाणुओं द्वारा अवशोषित या उत्सर्जित प्रकाश की आवृत्तियाँ और तीव्रताएँ — पर ध्यान केंद्रित किया।
- उन्होंने इन आंकड़ों को मैट्रिक्स (गणितीय सारणियों) के रूप में व्यवस्थित किया।
- जब उन्होंने देखा कि गुणा करने के क्रम का परिणाम पर प्रभाव पड़ता है, तो उन्होंने ऐसे समीकरण निकाले जो हाइड्रोजन के स्पेक्ट्रम का सटीक वर्णन करते थे — और इसी के साथ मैट्रिक्स यांत्रिकी का विकास हुआ।
- इस क्रांतिकारी खोज के बाद मैक्स बॉर्न, पास्कुअल जॉर्डन और एर्विन श्रोडिंगर के योगदानों ने अनिश्चितता सिद्धांत (Uncertainty Principle) और क्वांटम सिद्धांत के अन्य प्रमुख विकासों को जन्म दिया, जो आज लेज़र और सेमीकंडक्टर जैसी आधुनिक तकनीकों की नींव हैं।
Source :TH
ताइवान जलडमरूमध्य
पाठ्यक्रम: GS1/ भूगोल, GS2/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- ताइवान ने ताइवान जलडमरूमध्य से होकर गुजरने वाले एक संवेदनशील विमानन मार्ग को खोलने के चीन के कदम की निंदा की है।
- ताइवान ने चेतावनी दी है कि यह परिवर्तन दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ा सकता है और “क्षेत्रीय अस्थिरता” को उत्पन्न कर सकता है।
ताइवान जलडमरूमध्य के बारे में
- स्थान: ताइवान जलडमरूमध्य, जिसे फॉर्मोसा जलडमरूमध्य या ताई-हाई (ताई सागर) भी कहा जाता है, मुख्य भूमि चीन (फुजियान प्रांत) को ताइवान द्वीप से अलग करता है।
- यह दक्षिण चीन सागर को पूर्वी चीन सागर से जोड़ता है और एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्ग है।
- इसकी चौड़ाई सबसे संकीर्ण बिंदु पर लगभग 180 किलोमीटर है।
भू-राजनीतिक तनाव
- चीन ताइवान को एक “विचलित प्रांत” (विद्रोही प्रांत) मानता है और द्वीप तथा जलडमरूमध्य पर अपना दावा करता है।
- यह क्षेत्र लंबे समय से चीन एवं ताइवान के बीच तनाव का केंद्र रहा है, और हालिया घटनाक्रमों ने इस तनाव में वृद्धि की है।

Source: TH
ब्लू नील
पाठ्यक्रम: GS1/भूगोल
संदर्भ
- इथियोपिया ने ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां डैम (GERD) के निर्माण को पूरा करने की घोषणा की है, जो ब्लू नील पर स्थित अफ्रीका का सबसे बड़ा जलविद्युत संयंत्र है।
- यह परियोजना लंबे समय से मिस्र और सूडान के साथ तनाव का कारण रही है।
ब्लू नील के बारे में
- ब्लू नील की उत्पत्ति: ब्लू नील की शुरुआत पूर्वी अफ्रीका के इथियोपियाई उच्चभूमि में स्थित टाना झील से होती है।
- यह खार्तूम (सूडान की राजधानी) में अल-मुकरीन नामक स्थान पर व्हाइट नील से मिलती है।
- इस संगम के बाद नदी उत्तर की ओर सूडान और मिस्र से होकर प्रवाहित होती है और अंततः भूमध्य सागर में जाकर मिल जाती है।
नील नदी
- नील नदी विश्व की सबसे लंबी नदी है, जो 11 देशों से होकर बहती है: कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, बुरुंडी, युगांडा, केन्या, दक्षिण सूडान, इथियोपिया, इरीट्रिया, रवांडा, तंजानिया, सूडान और मिस्र।

Source: BBC
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM)
पाठ्यक्रम :GS2/शासन
समाचार में
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) अप्रैल 2025 से कार्यरत नहीं है, क्योंकि इसके अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो गया है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM)
- यह एक वैधानिक निकाय है जिसे भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत स्थापित किया गया है।
- इसका मुख्य उद्देश्य भारत में अधिसूचित धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा करना और उन्हें संरक्षित करना है। वर्तमान में इनमें शामिल हैं: मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी (ज़रथुष्ट्रियन), और जैन।
- आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पाँच सदस्य होते हैं, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है।
- इनमें से कम से कम पाँच सदस्य, जिनमें अध्यक्ष भी शामिल हैं, अल्पसंख्यक समुदायों से होने चाहिए।
- प्रत्येक सदस्य, जिसमें अध्यक्ष भी शामिल हैं, तीन वर्षों के लिए नियुक्त होता है और पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होता है।
- जांच करते समय आयोग को दीवानी न्यायालय (सिविल कोर्ट) के समान अधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे कि:
- व्यक्तियों को समन जारी करना और उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करना।
- दस्तावेज़ों की प्रस्तुति की माँग करना।
- हलफनामों के रूप में साक्ष्य स्वीकार करना।
- न्यायालयों या कार्यालयों से सार्वजनिक अभिलेखों की माँग करना।
संवैधानिक संरक्षण
- अनुच्छेद 29: यह धार्मिक और भाषाई दोनों प्रकार के अल्पसंख्यकों की संस्कृति, भाषा और लिपि को संरक्षित करने का अधिकार देता है। यह शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के समय विशेष आधारों पर भेदभाव को भी निषिद्ध करता है।
- अनुच्छेद 30: यह अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने का अधिकार देता है, तथा उन्हें सरकारी सहायता प्राप्त करने में भेदभाव से सुरक्षा प्रदान करता है। यह धार्मिक एवं भाषाई दोनों प्रकार के अल्पसंख्यकों पर लागू होता है।
Source: TH
NMC द्वारा चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे पर नियमों में छूट
पाठ्यक्रम :GS 2/शासन
समाचार में
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने “चिकित्सा संस्थान (शिक्षकों की योग्यता) विनियम, 2025” जारी किए हैं।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC)
- यह आयोग राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के अंतर्गत स्थापित किया गया था, जो 25 सितंबर 2020 से प्रभावी हुआ और इसने भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) का स्थान लिया।
- इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण और सुलभ चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देना तथा देशभर में कुशल चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
- यह समान एवं समुदाय-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने, चिकित्सा अनुसंधान को प्रोत्साहित करने, और चिकित्सा संस्थानों का पारदर्शी मूल्यांकन करने के लिए कार्य करता है।
- यह एक राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर बनाए रखता है, चिकित्सा सेवाओं में उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखता है, और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करता है।
चिकित्सा संस्थान (शिक्षकों की योग्यता) विनियम, 2025
- यह विनियम केंद्र सरकार की पाँच वर्षों में 75,000 नई मेडिकल सीटें जोड़ने की योजना का समर्थन करते हैं।
- इसका उद्देश्य शिक्षकों की पात्रता का दायरा बढ़ाकर और MBBS तथा MD/MS सीटों के विस्तार को सक्षम बनाकर चिकित्सा शिक्षा को सुलभ बनाना है।
मुख्य प्रावधान
- 220 से अधिक बिस्तरों वाले गैर-शिक्षण सरकारी अस्पतालों को शिक्षण संस्थानों के रूप में नामित करना।
- अनिवार्य सीनियर रेजिडेंसी के बिना अनुभवी विशेषज्ञों को फैकल्टी के रूप में नियुक्त करना।
- M.Sc. और Ph.D. धारकों की नियुक्ति को अतिरिक्त विभागों में विस्तारित करना।
- प्रीक्लिनिकल और पैराक्लिनिकल विषयों में सीनियर रेजिडेंट की अधिकतम आयु सीमा को 50 वर्ष तक बढ़ाना।
- प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर पदों के लिए NBEMS-मान्यता प्राप्त संस्थानों में अनुभव के आधार पर अधिक लचीले मानदंड लागू करना।
प्रभाव
- NMC का कहना है कि ये विनियम कठोर मानदंडों से हटकर योग्यता, अनुभव और शैक्षणिक उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- नेशनल M.Sc. मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने इस कदम का स्वागत किया है।
- हालांकि, कुछ डॉक्टरों ने इसे शिक्षण मानकों में शिथिलता के रूप में आलोचना की है और चेतावनी दी है कि इससे चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता और रोगी देखभाल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
Source: TH
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