पाठ्यक्रम: GS1/भूगोल
संदर्भ
- ग्रेट निकोबार इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (GNIP) के लिए किए गए पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) अध्ययन में भविष्य में भूकंप और 2004 जैसी सुनामी की आशंका को कम करके आंका गया है।
परिचय
- GNIP के अंतर्गत ग्रेट निकोबार द्वीप (GNI) में एक ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, टाउनशिप विकास, और 450 मेगावोल्ट-एंपियर (MVA) की गैस और सौर ऊर्जा आधारित पावर प्लांट की योजना है।
- इस परियोजना को केंद्र सरकार द्वारा पर्यावरण और प्रारंभिक वन स्वीकृति प्रदान की गई है।
चिंताएं
- जैवविविधता की संभावित हानि, वृक्षों की कटाई और निवास करने वाली जनजातियों पर प्रभाव को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने परियोजना के पर्यावरणीय पहलुओं की समीक्षा का आदेश दिया है।
- 2004 की हिंद महासागर सुनामी-भूकंप के दौरान यह क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था।
- यह क्षेत्र भूकंपीय श्रेणी पांच में आता है, जो सबसे उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है, क्योंकि भारतीय प्लेट अंडमान ट्रेंच के साथ बर्मी माइक्रोप्लेट के नीचे खिसकती है, जिसे “क्षेपण” कहा जाता है।
भूकंप
- भूकंप क्या है?
- भूकंप पृथ्वी की सतह का तीव्र कंपन होता है। यह कंपन पृथ्वी की बाहरी परत में होने वाली गतिविधियों के कारण होता है।
- पृथ्वी चार मुख्य परतों से बनी है: ठोस क्रस्ट, गर्म और लगभग ठोस मैंटल, तरल बाहरी कोर और ठोस आंतरिक कोर।

- ठोस क्रस्ट और कठोर ऊपरी मैंटल मिलकर लिथोस्फीयर बनाते हैं।
- लिथोस्फीयर टेक्टोनिक प्लेटों से बनी होती है, जो धीरे-धीरे मैंटल पर तैरती रहती हैं।
- यह निरंतर गति पृथ्वी की सतह पर तनाव उत्पन्न करती है, जिससे दरारें (faults) बनती हैं।
- जब यह तनाव बहुत अधिक हो जाता है, तो भ्रंश लाइन पर अचानक गति होती है, जिससे भूकंप आता है।
- एपिसेंटर: भूकंप की शुरुआत जिस स्थान से होती है, उसे एपिसेंटर कहते हैं। भूकंप का सबसे तीव्र कंपन आमतौर पर एपिसेंटर के पास महसूस होता है।

भूकंप का मापन
- भूकंप से उत्पन्न ऊर्जा पृथ्वी में कंपन (seismic waves) के रूप में यात्रा करती है।
- वैज्ञानिक इन तरंगों को सिस्मोमीटर नामक यंत्र से मापते हैं।
- मापन की इकाइयाँ:
- रिक्टर स्केल: भूकंप की तीव्रता को 0 से 10 के पैमाने पर मापता है।
- मर्कल्ली स्केल: भूकंप से हुए दृश्य नुकसान के आधार पर तीव्रता को मापता है।
सिस्मिक वेव्स (भूकंपीय तरंगें)
- भूकंप से उत्पन्न ऊर्जा तरंगें पृथ्वी की परतों से होकर गुजरती हैं और सतह को हिला देती हैं। इन्हें दो मुख्य प्रकारों में बांटा जाता है:
- बॉडी वेव्स (Body Waves):
- ये पृथ्वी के आंतरिक भागों से होकर गुजरती हैं।
- ये तेज होती हैं और सतही तरंगों से पहले आती हैं।
- सरफेस वेव्स (Surface Waves):
- ये पृथ्वी की सतह पर चलती हैं।
- ये धीमी होती हैं लेकिन इनकी अम्प्लीट्यूड अधिक होती है, जिससे ये अधिक हानि करती हैं।
- बॉडी वेव्स (Body Waves):
बॉडी वेव्स के प्रकार:
- P-तरंगें (प्राथमिक तरंगें):
- सबसे तीव्र होती हैं और सर्वप्रथम दर्ज की जाती हैं।
- ये संपीडन (compressional) या अनुदैर्ध्य (longitudinal) रूप में चलती हैं।
- ये ठोस, तरल और गैस सभी माध्यमों से गुजर सकती हैं।
- S-तरंगें (द्वितीयक तरंगें):
- ये अनुप्रस्थ (transverse) होती हैं, अर्थात् कण तरंग की दिशा के लंबवत गति करते हैं।
- ये केवल ठोस माध्यमों से गुजर सकती हैं, क्योंकि तरल और गैस में shear stress नहीं होता।

भारत में भूकंप की संवेदनशीलता
- भारत का लगभग 58.6% भूभाग मध्यम से लेकर अत्यधिक तीव्रता वाले भूकंपों के प्रति संवेदनशील है।
- देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों में बांटा गया है:
- Zone V: सबसे अधिक सक्रिय क्षेत्र (~11%)
- Zone IV: उच्च जोखिम (~18%)
- Zone III: मध्यम जोखिम (~30%)
- Zone II:सबसे कम जोखिम वाला क्षेत्र (बाकी भाग)

Source: TH
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संक्षिप्त समाचार 05-07-2025