भारत की स्टार्टअप क्रांति: अवसर और चुनौतियाँ

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था; रोजगार; विकास एवं प्रगति

संदर्भ

  • भारत विश्व के सबसे गतिशील स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक के रूप में उभरा है, जो नवाचार, उद्यमिता एवं तकनीकी उन्नति का वैश्विक केंद्र बन रहा है।
    • हालाँकि, विश्व का अग्रणी स्टार्टअप इकोसिस्टम बनने के लिए विभिन्न चुनौतियों को पार करना होगा और अवसरों का दोहन करना होगा।

भारत के स्टार्टअप्स की वर्तमान स्थिति

  • विकास और नवाचार: 15 जनवरी, 2025 तक DPIIT द्वारा मान्यता प्राप्त 1.59 लाख से अधिक स्टार्टअप के साथ भारत ने स्वयं को अमेरिका और चीन के बाद वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में स्थापित कर लिया है। 20 से अधिक स्टार्टअप ने अरबों डॉलर के मूल्यांकन का आँकड़ा पार कर लिया है।
भारत के स्टार्टअप्स की वर्तमान स्थिति
  • निवेश परिदृश्य: भारत के स्टार्टअप्स ने 2022 में 25 बिलियन डॉलर का वेंचर कैपिटल फंडिंग आकर्षित किया, जिससे यह वैश्विक निवेशकों के लिए पसंदीदा गंतव्य बन गया। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के कारण 2023 में मंदी के बावजूद, SaaS (सॉफ़्टवेयर ऐज़ अ सर्विस) और क्लाइमेट टेक जैसे क्षेत्रों को महत्त्वपूर्ण वित्तपोषण मिलना जारी है।
  • सरकारी सहायता: स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी सरकारी पहलों ने उद्यमियों के लिए एक सहायक ढाँचा तैयार किया है। प्रमुख उपायों में कर छूट, तीव्र पेटेंट प्रक्रिया और आसान विनियामक अनुपालन (easier regulatory compliance) सम्मिलित हैं। 2023 में स्टार्टअप्स के लिए ₹10,000 करोड़ के फंड ऑफ फंड्स (FFS) और भारत स्टार्टअप नॉलेज एक्सेस रजिस्ट्री (BHASKAR) की शुरुआत का उद्देश्य पूँजी एवं सहयोग तक पहुँच को बढ़ाना है।
  • क्षेत्रीय मुख्य विशेषताएँ:
    • विस्तार: लगभग 50% स्टार्टअप अब टियर II एवं टियर III शहरों से प्रारंभ होते हैं, जिनमें इंदौर, जयपुर और अहमदाबाद जैसे उभरते केंद्र सम्मिलित हैं।
    • तमिलनाडु: 28 बिलियन डॉलर के इकोसिस्टम के साथ 23% की दर से बढ़ रहा है, अकेले चेन्नई में लगभग 5,000 स्टार्टअप हैं, जो रोजगार सृजन में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
    • केरल: राज्य का 1.7 बिलियन डॉलर का स्टार्टअप इकोसिस्टम 254% की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़ रहा है, जो तकनीकी प्रतिभाओं को लागत-प्रभावी तरीके से नियुक्त करने की इसकी क्षमता को दर्शाता है।

भारतीय स्टार्टअप्स के सामने चुनौतियाँ

  • फंडिंग की कमी: वैश्विक आर्थिक मंदी एवं बढ़ती ब्याज दरों ने उद्यम पूँजी प्रवाह को कम कर दिया है, जिससे व्यय एवं परिचालन संबंधी कटौती (layoffs and operational cutbacks) हुई है।
  • विनियामक और अनुपालन संबंधी मुद्दे: सरकारी समर्थन के बावजूद, स्टार्टअप को जटिल कर संरचनाओं, अनुपालन आवश्यकताओं एवं  विनियामक अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें हाल ही में डेटा सुरक्षा कानून और ESOP कराधान नीतियाँ सम्मिलित हैं।
  • स्केलिंग चुनौतियाँ: परिचालन अक्षमताएँ, बाज़ार अनुकूलन की कमी और अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा विभिन्न स्टार्टअप के लिए स्केलिंग प्रयासों में बाधा उत्पन्न करता है।
  • उच्च विफलता दर: खराब उत्पाद-बाज़ार फ़िट, अपर्याप्त वित्तीय योजना और उपभोक्ता माँगों के अनुकूल होने में असमर्थता जैसे कारकों के कारण 90% से अधिक भारतीय स्टार्टअप पाँच वर्षों के अन्दर विफल हो जाते हैं।
  • प्रतिभा अधिग्रहण और प्रतिधारण: विशेष रूप से AI, मशीन लर्निंग और साइबर सुरक्षा में कुशल प्रतिभा के लिए प्रतिस्पर्धा, आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ-साथ प्रतिधारण प्रयासों को जटिल बनाती है।

सुझाए गए उपाय

नीतिगत ढाँचे को सुदृढ़  बनाना:

  • विनियमन को सरल बनाना: स्टार्टअप पंजीकरण, वित्तपोषण अनुमोदन एवं सीमा पार संचालन को सुव्यवस्थित करना।
  • IP संरक्षण: अनुसंधान एवं विकास निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बौद्धिक संपदा ढाँचे को मजबूत करना।
  • क्षेत्र-विशिष्ट समर्थन: लक्षित नीतियों के माध्यम से AI, डीप टेक, हेल्थकेयर और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना।

वित्तपोषण तक पहुंच बढ़ाना:

  • घरेलू निवेश को बढ़ावा दें: पेंशन और सॉवरेन वेल्थ फंड सहित भारतीय निवेशकों को स्टार्टअप का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को सुदृढ़ करें: उभरते उद्यमों पर केंद्रित बड़े पैमाने पर फंड बनाएँ।
  • विकेंद्रीकृत फंडिंग: टियर II एवं III शहरों में एंजल नेटवर्क और माइक्रो-इन्वेस्टर्स को बढ़ावा दें।

विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचे का निर्माण:

  • इनोवेशन हब: अत्याधुनिक सुविधाओं एवं मार्गदर्शन के साथ टेक पार्क और इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करना।
  • डिजिटल कनेक्टिविटी: ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस सुनिश्चित करना।
  • लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन: संचालन को बढ़ाने के लिए कुशल बुनियादी ढाँचे का विकास करना।

कुशल कार्यबल का पोषण:

  • STEM शिक्षा: तकनीकी और उद्यमशीलता शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
  • अपस्किलिंग कार्यक्रम: उच्च माँग वाले कौशल में प्रशिक्षण के लिए उद्योग जगत की अग्रणी कंपनियों (industry leaders ) के साथ सहयोग करना।
  • विविधता और समावेशन: तकनीक एवं उद्यमिता में महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए अवसरों को बढ़ाना।

नवप्रवर्तन की संस्कृति को बढ़ावा देना:

  • अनुसंधान एवं विकास को सुदृढ़  करना: विश्वविद्यालय और निजी क्षेत्र के अनुसंधान के लिए अधिक संसाधन आवंटित करना।
  • जोखिम उठाने को प्रोत्साहित करना: उद्यमशीलता की विफलता के बारे में सामाजिक कलंक को कम करना।
  • घरेलू चुनौतियों का लाभ उठाना: जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण जैसे मुद्दों का उपयोग नवाचार के अवसरों के रूप में करना।

वैश्विक सहयोग और बाजार विस्तार:

  • वैश्विक भागीदारी: अंतर्राष्ट्रीय त्वरक और सरकारों के साथ सहयोग करना।
  • सीमा पार व्यापार को आसान बनाना: निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
  • प्रवासी नेटवर्क: विदेशों में भारतीय उद्यमियों को सम्मिलित करके उन्हें घरेलू स्टार्टअप में सलाह दें और निवेश करना।

स्थिरता को बढ़ावा देना (Promoting Sustainability):

  • ग्रीन टेक इनोवेशन: अक्षय ऊर्जा और सर्कुलर इकोनॉमी स्टार्टअप को बढ़ावा देना।
  • पर्यावरण के अनुकूल नीतियाँ: सतत लक्ष्यों के साथ जुड़े उद्यमों को प्रोत्साहित करना।
  • समावेशीपन और विविधता को बढ़ावा देना: नीति आयोग द्वारा महिला उद्यमिता मंच (WEP) जैसी पहलों का समर्थन करना और ग्रामीण क्षेत्रों में एग्रीटेक, एडटेक एवं  हेल्थ-टेक स्टार्टअप पर ध्यान केंद्रित करना।
  • एक लचीली डिजिटल अर्थव्यवस्था का निर्माण: स्टार्टअप को 5G एवं AI जैसी उभरती हुई तकनीकों का लाभ उठाते हुए UPI और आधार जैसे भारत के डिजिटल बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाना चाहिए। निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए साइबर सुरक्षा और डेटा सुरक्षा महत्त्वपूर्ण हैं।

निष्कर्ष और आगे की राह

  • भारत वैश्विक स्टार्टअप क्रांति का नेतृत्व करने के लिए तैयार ,एक महत्त्वपूर्ण बिंदु पर खड़ा है। वित्तपोषण, कौशल विकास, नवाचार एवं  समावेशिता से संबंधित चुनौतियों का समाधान पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक है। 
  • नीति निर्माताओं, निवेशकों, शिक्षाविदों एवं  उद्यमियों के मध्य  सहयोग से भारत की क्षमता को विश्व के सबसे जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में बदलने, रोजगारों का सृजन करने, नवाचार को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास को गति देने में सहायता मिलेगी।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की वर्तमान स्थिति का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए तथा भारत को वैश्विक नवाचार एवं उद्यमिता में अग्रणी बनाने के लिए सरकारी नीतियों और सुधारों को सम्मिलित करते हुए एक बहुआयामी रणनीति का प्रस्ताव कीजिए।

Source: IE

 

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