पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह का प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया।
NISAR उपग्रह
- NISAR एक पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह है, जिसका पूर्ण नाम है नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार।
- इसे NASA (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) और ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) द्वारा वर्ष 2014 में हुए साझेदारी समझौते के अंतर्गत संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।

- इसे 747 किलोमीटर की ऊँचाई और 98.4° के झुकाव पर एक ध्रुवीय सूर्य-समान्य प्रातः-गोधूलि कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा।
- NISAR प्रथम ऐसा उपग्रह मिशन है जो दो माइक्रोवेव बैंडविथ क्षेत्र—L-बैंड और S-बैंड—में रडार डेटा संग्रह करता है।
- S-बैंड पेलोड ISRO द्वारा और L-बैंड पेलोड अमेरिका द्वारा बनाया गया है।
पृथ्वी की सतह की निगरानी
- NISAR प्रणाली दोहरे आवृत्ति वाला, पूर्ण पोलरिमेट्रिक रडार है, जिसकी इमेजिंग चौड़ाई 150 मील (240 किमी) से अधिक है।
- यह डिज़ाइन हर 12 दिनों में वैश्विक कवरेज सुनिश्चित करता है, जिससे शोधकर्ता समयानुसार इंटरफेरोमेट्रिक इमेजरी बना सकते हैं और पृथ्वी की सतह में हो रहे बदलावों का सटीक मानचित्रण कर सकते हैं।
- यह प्रणाली विभिन्न पहलुओं की उच्च रिज़ॉल्यूशन में निगरानी करने में सक्षम है।
- 90-दिनों की प्रारंभिक जांच अवधि के पश्चात, मिशन कम से कम तीन वर्षों तक L-बैंड रडार का उपयोग करके NASA की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
- ISRO की योजना S-बैंड रडार के साथ पाँच वर्षों तक मिशन का संचालन करने की है।
Source: TH
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