पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य
सन्दर्भ
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और ITU(अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ) के अनुसार, डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में प्रति वर्ष प्रति मरीज अतिरिक्त 0.24 अमेरिकी डॉलर का निवेश, अगले दशक में गैर-संचारी रोगों से 2 मिलियन से अधिक लोगों की जान बचाने में सहायता कर सकता है।
प्रमुख निष्कर्ष
- ये निवेश अगले 10 वर्षों में लगभग 7 मिलियन अस्पताल में भर्ती होने से भी बचा सकते हैं।
- इससे स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर दबाव काफी कम हो जाएगा और वैश्विक स्तर पर कुल 199.2 बिलियन डॉलर का आर्थिक लाभ होगा।
- डिजिटल स्वास्थ्य निवेश के आर्थिक लाभ विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए आकर्षक पाए गए, जहाँ औसत आवश्यक खर्च प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष केवल $0.10 था।
- उच्च मध्यम आय वाले देशों के लिए लागत $0.16 और उच्च आय वाले देशों के लिए $0.67 होने का अनुमान है।
- कुल मिलाकर, इन हस्तक्षेपों के लिए आवश्यक वैश्विक खर्च 10 वर्ष की अवधि में कुल $9.8 बिलियन होगा।
- रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवा असमानताओं को दूर करने के लिए भारत द्वारा डिजिटल तकनीकों के उपयोग का उल्लेख किया गया है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ 65% से अधिक जनसँख्या रहती है।
- रिपोर्ट में सरकारों और हितधारकों से निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैश्विक स्तर पर NCD के बढ़ते भार से निपटने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों को स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में प्रभावी ढंग से एकीकृत किया जाए।
गैर-संचारी रोग (NCDs) – गैर-संचारी रोग, जिन्हें क्रॉनिक रोग भी कहा जाता है, लंबे समय तक बने रहते हैं और ये आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरणीय तथा व्यवहारिक कारकों के संयोजन का परिणाम होते हैं। – NCDs के मुख्य प्रकार हृदय संबंधी रोग (जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक), कैंसर, क्रॉनिक श्वसन रोग (जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अस्थमा) और मधुमेह हैं। – मुख्य NCDs में चार व्यवहारिक जोखिम कारक शामिल हैं- अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी और तंबाकू और शराब का सेवन। – NCDs के बढ़ने में योगदान देने वाले कारकों में उम्र बढ़ना, तेजी से अनियोजित शहरीकरण और वैश्वीकरण भी शामिल हैं। – हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर, मधुमेह और क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारी सहित NCDs, विश्व भर में होने वाली सभी मृत्यु में से 74% के लिए सामूहिक रूप से उत्तरदायी हैं। |
डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल (GIDH)
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2023 में डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल (GIDH) शुरू की।
- इस पहल के चार मुख्य घटक हैं:
- उद्देश्य: डिजिटल स्वास्थ्य 2020-2025 पर वैश्विक रणनीति का समर्थन करने के लिए प्रयासों को संरेखित करना;
- वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं, मानदंडों और मानकों के अनुरूप मानक-आधारित तथा अंतर-संचालनीय प्रणालियों को विकसित एवं मजबूत करने के लिए गुणवत्ता सुनिश्चित तकनीकी सहायता का समर्थन करना;
- गुणवत्ता सुनिश्चित डिजिटल परिवर्तन उपकरणों के जानबूझकर उपयोग को सुविधाजनक बनाना जो सरकारों को उनके डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन यात्रा का प्रबंधन करने में सक्षम बनाते हैं।
डिजिटल स्वास्थ्य
- डिजिटल स्वास्थ्य का तात्पर्य स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग से है।
- इसमें कई तरह के उपकरण और समाधान शामिल हैं जो डिजिटल तकनीकों को स्वास्थ्य सेवाओं के साथ एकीकृत करते हैं, जिसका उद्देश्य रोगी के परिणामों को बेहतर बनाना, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना तथा पहुँच को बढ़ाना है।
- इसमें टेलीमेडिसिन, मोबाइल स्वास्थ्य (mHealth), इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHRs), पहनने योग्य उपकरण, स्वास्थ्य अनुप्रयोग आदि जैसे उपकरण शामिल हैं।
महत्त्व
- बेहतर पहुँच: डिजिटल उपकरण दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुँच सकते हैं, रोगियों को विशेषज्ञों से जोड़ सकते हैं, और आभासी परामर्श को सक्षम कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच का विस्तार हो सकता है।
- बढ़ी हुई वहनीयता: टेलीमेडिसिन, इलेक्ट्रॉनिक प्रिस्क्रिप्शन और डेटा-संचालित संसाधन आवंटन संभावित रूप से स्वास्थ्य सेवा लागत को कम कर सकते हैं।
- व्यक्तिगत देखभाल: इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHRs) और पहनने योग्य उपकरण व्यक्तिगत उपचार योजनाओं तथा निवारक देखभाल की सुविधा प्रदान करते हैं।
- सशक्त रोगी: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म रोगियों को शिक्षित कर सकते हैं, दवा के पालन को बढ़ा सकते हैं, और पुरानी बीमारियों के स्व-प्रबंधन को बढ़ावा दे सकते हैं।
- सुव्यवस्थित स्वास्थ्य सेवा वितरण: डिजिटलीकरण स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के अंदर कुशल डेटा प्रबंधन, प्रशासनिक प्रक्रियाओं और संसाधन अनुकूलन को सशक्त बनाता है।
सरकारी पहल
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) 2017: यह नीति स्वास्थ्य सेवाओं में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बल देती है और डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों के एकीकरण को बढ़ावा देती है।
- राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM): 2020 में लॉन्च किए गए NDHM का उद्देश्य भारत में एक डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
- यह प्रत्येक नागरिक के लिए एक स्वास्थ्य आईडी बनाने, स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने और स्वास्थ्य सेवाओं के एकीकरण को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM): यह स्वास्थ्य खातों, इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड और स्वास्थ्य सूचना आदान-प्रदान की स्थापना को सक्षम बनाता है।
- ई संजीवनी टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म: देश भर में डॉक्टरों और रोगियों के बीच आभासी परामर्श की सुविधा प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS): इस पहल का उद्देश्य बेहतर योजना और निर्णय लेने के लिए स्वास्थ्य डेटा के संग्रह तथा उपयोग में सुधार करना है।
- डिजिटल इंडिया पहल: व्यापक दायरे में होने के बावजूद, यह पहल स्वास्थ्य सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल साक्षरता और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देकर डिजिटल स्वास्थ्य का समर्थन करती है।
आगे की राह
- डिजिटल स्वास्थ्य स्वास्थ्य परिणामों को आगे बढ़ाने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) तथा स्वास्थ्य से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक सिद्ध त्वरक है।
- इसलिए, इसे प्रत्येक स्वास्थ्य नीति का अभिन्न अंग बनाने की आवश्यकता है। वर्तमान पहलों को बढ़ाकर, हितधारकों के बीच सहयोग करके तथा नवाचार को बढ़ावा देकर, भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त कर सकता है।
Source: DTE
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