पाठ्यक्रम: GS2/सामाजिक न्याय
संदर्भ
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है।
परिचय
- UNGA द्वारा स्थापित: इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा 26 नवंबर, 2007 को 62वें सत्र के दौरान की गई थी।
- फोकस: गरीबी, बहिष्कार, बेरोजगारी को संबोधित करने और एकजुटता, समानता एवं अवसर को बढ़ावा देने पर।
- ILO की भूमिका: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) निष्पक्ष वैश्वीकरण (2008) और सभ्य कार्य एजेंडा के लिए सामाजिक न्याय पर घोषणा के माध्यम से सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है।
- संयुक्त राष्ट्र की पहल के साथ संरेखित: 2009 में प्रारंभ की गई सामाजिक सुरक्षा मंजिल सहित संयुक्त राष्ट्र के मिशन के साथ संरेखित, सभी के लिए बुनियादी सामाजिक गारंटी सुनिश्चित करना।
भारत में सामाजिक न्याय का विकास
- विश्व सामाजिक न्याय दिवस (2009): भारत ने 2009 से इस दिन को मनाया है, जो सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
- स्वतंत्रता आंदोलन का प्रभाव: भारत में सामाजिक न्याय का आधार स्वतंत्रता के संघर्ष में हैं, जिसने समानता, सम्मान और न्याय की नींव रखी।
- संवैधानिक आधार: भारतीय संविधान सामाजिक न्याय की आधारशिला है, जो सभी के लिए समानता, सम्मान और न्याय सुनिश्चित करता है, विशेषकर वंचित समुदायों के लिए।
- मुख्य संवैधानिक प्रावधान:
- प्रस्तावना: सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करती है, समानता की गारंटी देती है और राष्ट्रीय एकता के लिए भाईचारे को बढ़ावा देती है।
- मौलिक अधिकार (भाग III):
- अनुच्छेद 23: मानव तस्करी और बलात् श्रम पर रोक लगाता है।
- अनुच्छेद 24: खतरनाक व्यवसायों में बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाता है।
- राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (भाग IV):
- अनुच्छेद 37: शासन में DPSP के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
- अनुच्छेद 38: राज्य को असमानताओं को कम करने का निर्देश देता है।
- अनुच्छेद 39: समान आजीविका, उचित मजदूरी और शोषण से सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
- अनुच्छेद 39A: निःशुल्क कानूनी सहायता की गारंटी देता है।
- अनुच्छेद 46: SCs, STs और कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा और आर्थिक उत्थान पर ध्यान केंद्रित करता है।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय: 1985-86 में, कल्याण मंत्रालय को महिला और बाल विकास विभाग और कल्याण विभाग में विभाजित किया गया था, जिसमें गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालयों के प्रभाग शामिल थे।
- बाद में मई 1998 में इसका नाम बदलकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय कर दिया गया।
- मुख्य फोकस क्षेत्र: शिक्षा, आर्थिक सहायता, पुनर्वास और सशक्तिकरण।
- लक्षित सामुदायिक कल्याण: समानता और समावेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों और पहलों के माध्यम से SCs, OBCs, वरिष्ठ नागरिकों, मादक द्रव्यों के सेवन के पीड़ितों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, DNTs और EWS के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करता है।
- केंद्रीय बजट 2025-26: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के लिए 13,611 करोड़ रुपये का आवंटन, वंचित समुदायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से कल्याणकारी योजनाओं के लिए 6% की वृद्धि को दर्शाता है।
भारत सरकार की प्रमुख पहल
- प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY): इसमें अनुसूचित जाति बहुल गांवों में कौशल विकास, आय सृजन और बुनियादी ढाँचे के लिए 3 योजनाओं को शामिल किया गया है।
- तीन घटक: आदर्श ग्राम विकास, सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता और उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रावास निर्माण।
- हाई स्कूलों में छात्रों के लिए आवासीय शिक्षा योजना (SRESHTA):
- उच्च गुणवत्ता वाले आवासीय विद्यालयों में कक्षा 9-12 में अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- CBSE/राज्य बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों एवं आवासीय/गैर-आवासीय स्कूलों और छात्रावासों को चलाने वाले गैर सरकारी संगठनों/स्वेच्छिक संस्था का समर्थन करता है।
- सेवा अंतराल को समाप्त करने और SC समुदायों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।
- पर्पल फेस्ट (समावेश का उत्सव):
- 2023 से DEPwD, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है।
- 2024 में, 10,000 से अधिक दिव्यांगजन और उनके अनुरक्षकों ने भाग लिया।
- नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA, 2020): 272 उच्च जोखिम वाले जिलों को लक्षित करके भारत को नशा मुक्त बनाने का लक्ष्य रखता है।
- तीन-आयामी दृष्टिकोण का पालन करता है: आपूर्ति में कमी (NCB), माँग में कमी (MoSJ&E), और उपचार (स्वास्थ्य विभाग)।
- 3.85 लाख शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी के साथ 4.42 करोड़ युवाओं और 2.71 करोड़ महिलाओं सहित 13.57 करोड़ लोगों तक पहुँची।
- PM-DAKSH योजना (2021):
- आर्थिक सशक्तीकरण के लिए वंचित समुदायों (SCs, OBCs, EBCs, DNTs, सफाई कर्मचारी) के कौशल स्तर को बढ़ाने का लक्ष्य।
- ₹450.25 करोड़ के बजट (2021-26) के साथ निःशुल्क अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- 18-45 आयु वर्ग के व्यक्तियों को लक्षित करते हुए, वेतन/स्व-रोज़गार में कम से कम 70% प्लेसमेंट सुनिश्चित करता है।
- स्माइल (SMILE) योजना:
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और भीख माँगने में लगे लोगों के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करती है।
- सर्वेक्षण, जागरूकता अभियान, आश्रय गृह, कौशल प्रशिक्षण, वैकल्पिक आजीविका और एसएचजी गठन के माध्यम से “भीख-मुक्त भारत” बनाने का लक्ष्य।
- 81 शहरों में सक्रिय, 50 और शहरों में विस्तार की योजना है।
- नमस्ते योजना (2023-24): शहरी भारत में सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्मान और आजीविका सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की एक संयुक्त पहल।
- मैनुअल स्कैवेंजर्स (SRMS) के पुनर्वास के लिए स्व-रोजगार योजना को एकीकृत करता है और वित्त वर्ष 2024-25 से कचरा बीनने वालों को कवरेज प्रदान करता है।
Source: PIB
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