पाठ्यक्रम: GS3/अवसंरचना
संदर्भ
- मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान ने चार वर्ष पूरे कर लिए हैं।
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (PMGS-NMP)
- इसे 2021 में विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी अवसंरचना प्रदान करने और पूरे भारत में लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार के लिए लॉन्च किया गया था।
- यह किसी एक मंत्रालय के अधीन नहीं है, बल्कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा समन्वित है।
- उद्देश्य: परिवहन के विभिन्न साधनों में लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध एवं कुशल कनेक्टिविटी प्रदान करना, जिससे अंतिम-मील कनेक्टिविटी बढ़े तथा यात्रा का समय कम हो।
- पीएम गतिशक्ति सात इंजनों द्वारा संचालित है: रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, जन परिवहन और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना।
- 8 अवसंरचना, 22 सामाजिक और 27 आर्थिक एवं अन्य मंत्रालयों/विभागों सहित 57 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों को PMGS NMP में शामिल किया गया है।
विगत चार वर्षों में पीएम गतिशक्ति की प्रमुख उपलब्धियाँ
- राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों का एकीकरण: सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप राज्य मास्टर प्लान पोर्टल विकसित किए हैं।
- पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर 600 से अधिक परियोजनाओं की योजना बनाई गई और उनका मानचित्रण किया गया, जिससे पूंजी निवेश एवं कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित किया गया।
- सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में विस्तार: पीएम गतिशक्ति का विस्तार सामाजिक बुनियादी ढांचे – शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण तक हुआ।
- स्कूलों, अस्पतालों, आंगनवाड़ियों आदि में बुनियादी ढांचे की कमियों की पहचान की गई।
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, डाक सेवाओं और जनजातीय विकास के लिए उन्नत योजना बनाई गई, जिससे दूरस्थ एवं वंचित क्षेत्रों का कवरेज सुनिश्चित हुआ।
- जिला-स्तरीय योजना: BISAG-N के तकनीकी सहयोग से विकसित पीएम गतिशक्ति जिला मास्टर प्लान पोर्टल, 28 आकांक्षी जिलों के लिए सहयोगात्मक जिला-स्तरीय योजना की सुविधा प्रदान करता है।
- क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: DPIIT ने iGOT मॉड्यूल, कार्यशालाओं और इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से 20,000 से अधिक आधिकारिक प्रशिक्षण आयोजित किए।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: पीएम गतिशक्ति ढांचे के माध्यम से भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और एकीकृत बुनियादी ढांचे की योजना को बढ़ावा देने के लिए नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मेडागास्कर, सेनेगल एवं गाम्बिया के साथ जुड़ाव।
भारत में लॉजिस्टिक्स परिदृश्य का अवलोकन
- भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का मूल्य 2021 में 215 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह 2026 तक 10.7% की अपेक्षित चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ सुदृढ़ विकास के लिए अच्छी स्थिति में है।

- 2017 में, वाणिज्य विभाग के अंतर्गत लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के एकीकृत विकास की देखरेख के लिए एक अलग लॉजिस्टिक्स इकाई बनाई गई थी।
- लॉजिस्टिक्स उद्योग, इन्वेंट्री, परिवहन, भंडारण, वेयरहाउसिंग और वितरण का प्रबंधन करके, घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़कर, विनिर्माण, खुदरा, ई-कॉमर्स तथा सेवाओं का समर्थन करता है।
चुनौतियाँ
- उच्च रसद लागत: भारत की रसद लागत सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 13-14% के बराबर है, जिससे भारतीय निर्यात वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी हो जाता है।
- बुनियादी ढाँचे की कमी: यह क्षेत्र वेयरहाउसिंग, कोल्ड स्टोरेज और अंतिम-मील कनेक्टिविटी में बुनियादी ढाँचे की कमी से ग्रस्त है।
- बहुविध परिवहन समस्याएँ: माल परिवहन में रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्गों की कम हिस्सेदारी एक कुशल बहुविध प्रणाली के विकास में बाधा डालती है।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: डीज़ल-आधारित ट्रकिंग पर अत्यधिक निर्भरता कार्बन उत्सर्जन को बढ़ाती है और पर्यावरण प्रदूषण में योगदान करती है।
रसद में प्रमुख सरकारी पहल
- समुद्री अमृत काल विज़न 2047: यह नीली अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के अनुरूप है और भारत के समुद्री क्षेत्र में परिवर्तन के लिए एक दीर्घकालिक रोडमैप प्रस्तुत करता है।
- इस विज़न का उद्देश्य तटीय पर्यटन को बढ़ावा देना, समुद्री कौशल विकास को सुदृढ़ करना और भारत को जहाज निर्माण एवं मरम्मत के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
- समर्पित माल ढुलाई गलियारे: रेल मंत्रालय वर्तमान में दो समर्पित माल ढुलाई गलियारे विकसित कर रहा है।
- इन विशिष्ट रेलवे लाइनों का उद्देश्य वर्तमान यात्री मार्गों पर भीड़भाड़ कम करना, परिवहन लागत कम करना और ऊर्जा दक्षता में सुधार करना है।

- मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क: चेन्नई, बेंगलुरु, नागपुर, इंदौर आदि जैसे 35 प्रमुख स्थानों को निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के प्रयासों से मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क के विकास के लिए मंजूरी दी गई है। इनमें से 5 के 2027 तक चालू होने की उम्मीद है।
- यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म : यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो विभिन्न लॉजिस्टिक्स-संबंधित मंत्रालयों और विभागों के डेटा को एक ही इंटरफेस पर लाता है; इसने 2025 में 100 करोड़ एपीआई लेनदेन दर्ज किए हैं।
- गति शक्ति विश्वविद्यालय : GSV भारत का प्रथम विश्वविद्यालय है जो परिवहन और लॉजिस्टिक्स शिक्षा के लिए समर्पित है।
- जीएसवी इस राष्ट्रीय लक्ष्य का समर्थन करने के लिए कुशल पेशेवरों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गति शक्ति विश्वविद्यालय ने लगभग 40 विभिन्न औद्योगिक और शैक्षणिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
- स्थायित्व: जागरूकता बढ़ाने और सतत विकास का समर्थन करने के लिए परिवहन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की कुल लागत की गणना तथा तुलना के लिए फ्रेट ग्रीनहाउस गैस कैलकुलेटर विकसित किया गया है।
- भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई करने वाले ग्राहकों के लिए रेल ग्रीन प्वाइंट्स शुरू किए हैं, जिससे उन्हें संभावित कार्बन उत्सर्जन बचत देखने को मिलेगी।
Source: AIR
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