पाठ्यक्रम: GS3: अर्थव्यवस्था / अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
संदर्भ
मेक्सिको ने गैर-FTA साझेदारों (जिसमें भारत भी शामिल है) से आयात पर 50% तक का शुल्क लगाने को स्वीकृति दी है, जो 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा।
व्यापार संरक्षणवाद क्या है?
- व्यापार संरक्षणवाद उन नीतिगत उपायों को संदर्भित करता है, जैसे शुल्क, कोटा, आयात लाइसेंसिंग, स्थानीय सामग्री नियम, जिनका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना होता है।
- वर्तमान संरक्षणवाद की लहर के प्रमुख कारण:
- वैश्विक विकास की मंदी और आपूर्ति-श्रृंखला की कमजोरियाँ।
- अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा रणनीतिक पुनःस्थापन।
- भू-राजनीतिक तनाव और घरेलू नौकरियों की रक्षा का दबाव।
- डंपिंग, सब्सिडी और अनुचित व्यापार प्रथाओं को लेकर चिंताएँ।
मेक्सिको के शुल्क उपाय की पृष्ठभूमि
- 2024 में, मेक्सिको ने उन देशों से आयातित वस्तुओं पर 5–50% शुल्क लगाया जिनके साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं है।
- यह उपाय एशियाई देशों जैसे भारत, चीन और थाईलैंड से आयात को लक्षित करता था। अब मेक्सिको की सीनेट ने इन शुल्कों को अप्रैल 2026 के बाद भी लागू रखने का निर्णय लिया है।
- भारत का वर्तमान में मेक्सिको के साथ कोई FTA या PTA (प्राथमिकता व्यापार समझौता) नहीं है, जिससे वह इन शुल्कों के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
मेक्सिको के शुल्क निर्णय के पीछे कारण
- अमेरिका को संतुष्ट करना (USMCA समीक्षा के अंतर्गत): माना जाता है कि मेक्सिको ने गैर-FTA साझेदारों से आयात पर उच्च शुल्क का विस्तार अमेरिका को खुश करने के लिए किया है, ताकि आगामी अमेरिका–मेक्सिको–कनाडा समझौते (USMCA) की समीक्षा से पहले त्रिपक्षीय समझौते के अंतगर्त व्यापार स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
- अमेरिका लैटिन अमेरिकी देशों पर दबाव डाल रहा है कि वे एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ अपने आर्थिक जुड़ाव को सीमित करें, जिन्हें वह क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी मानता है।
- राजस्व सृजन: शुल्क उपाय मेक्सिको की अगले वर्ष अनुमानित $3.76 बिलियन एकत्रित करने की आवश्यकता से भी प्रेरित हैं, ताकि उसके राजकोषीय घाटे को कम किया जा सके। आयात पर उच्च शुल्क तत्काल गैर-कर राजस्व स्रोत प्रस्तुत करते हैं।
भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर प्रभाव
- निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता का क्षरण: भारतीय कंपनियाँ, विशेषकर यात्री कार, मोटरसाइकिल और ऑटो-घटक क्षेत्रों में, उन देशों से सख्त प्रतिस्पर्धा का सामना करती हैं जिन्हें FTA-आधारित शून्य शुल्क पहुँच प्राप्त है।
- मेक्सिको भारत का तीसरा सबसे बड़ा कार निर्यात बाजार है, दक्षिण अफ्रीका एवं सऊदी अरब के बाद। यह भारत के कुल ऑटो और ऑटो पार्ट्स निर्यात का लगभग 10% और मोटरसाइकिल निर्यात का 12% हिस्सा है।
- भारत की विकास रणनीति के लिए जोखिम: ऑटोमोबाइल निर्यात MSME आपूर्तिकर्ता नेटवर्क में रोजगार, ‘मेक इन इंडिया’ के तहत विनिर्माण, विदेशी मुद्रा आय आदि का समर्थन करते हैं और संरक्षणवाद इन संबंधों को खतरे में डालता है।
- आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान: संरक्षणवादी बाधाएँ वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (GVCs) में एकीकरण को धीमा करती हैं। ऑटोमोबाइल घटक, जहाँ भारत पैमाना बना रहा है, छोटे शुल्क परिवर्तनों के प्रति भी संवेदनशील हैं।
आगे की राह
- व्यापार वार्ता शुरू करना: इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (EEPC) ने भारत सरकार से मेक्सिको के साथ FTA या PTA वार्ता शुरू करने का आग्रह किया है।
- EEPC ने चेतावनी दी है कि लगातार शुल्क भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर सकते हैं और स्थायी रूप से बाजार हिस्सेदारी घटा सकते हैं।
- ऑटो क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता की रक्षा: ऑटोमोबाइल, ऑटो घटक और इंजीनियरिंग वस्तुओं में प्रभावित निर्यातकों के लिए लक्षित समर्थन।
- निर्यात लचीलापन बढ़ाना: गुणवत्ता सुधार, लागत दक्षता और लॉजिस्टिक्स सुधार को बढ़ावा देना ताकि शुल्क आघातों को सहा जा सके।
- मेक्सिको में स्थानीय असेंबली या संयुक्त उद्यमों की खोज करना ताकि शुल्क बाधाओं को पार किया जा सके।
| भारत–मेक्सिको संबंधों पर संक्षिप्त जानकारी – राजनीतिक संबंध: मेक्सिको लैटिन अमेरिका का पहला देश था जिसने 1950 में स्वतंत्र भारत के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। वर्ष 2025 द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की हीरक जयंती (75 वर्ष) का प्रतीक होगा। –द्विपक्षीय व्यापार: USD 10.58 बिलियन के व्यापार के साथ, भारत 2023 में मेक्सिको का नौवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। 2023 में द्विपक्षीय व्यापार में भारत का मेक्सिको से आयात US$ 2.54 बिलियन और निर्यात US$ 8.03 बिलियन शामिल था। –भारतीय समुदाय: मेक्सिको में भारतीय समुदाय (PIOs/NRIs) छोटा है, लगभग 10,000 की संख्या में, जिनमें से लगभग पाँचवाँ हिस्सा मेक्सिको सिटी में रहता है। |
Source: TH
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