पाठ्यक्रम: GS2/ग्लोबल ग्रुपिंग; GS3/पर्यावरण
संदर्भ
- हाल ही में, भारत और नॉर्वे ने मोनाको मरीन कॉन्फ्रेंस (MCC) में समुद्री योजना, आर्कटिक अनुसंधान और ब्लू इकोनॉमी में सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
मुख्य बिंदु
- समुद्री स्थानिक योजना (MSP): भारत अपने समुद्र तटों पर समुद्री स्थानिक योजना (MSP) को बढ़ाने का लक्ष्य रखता है, जिससे सतत् महासागर प्रबंधन में उसकी नेतृत्वकारी भूमिका सशक्त होगी।
- MSP एक वैज्ञानिक आधारित ढाँचा है, जो समुद्री संसाधनों को अनुकूलित करने, जैव विविधता की रक्षा करने और तटीय आजीविका को सुनिश्चित करने में सहायता करता है।
- इसे भारत-नॉर्वे एकीकृत महासागर और अनुसंधान पहल के अंतर्गत लागू किया गया है।
- पुडुचेरी और लक्षद्वीप में पायलट परियोजनाओं के माध्यम से इसके स्पष्ट परिणाम देखने को मिले हैं।
- भारत-नॉर्वे समुद्री समझौता: दोनों देशों ने ध्रुवीय विज्ञान और महासागरीय स्थिरता में संयुक्त अनुसंधान के महत्त्व को उजागर किया।
- समुद्री योजना, आर्कटिक अनुसंधान और महासागरीय स्थिरता में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करना।
- नॉर्वे, जिसकी 70% निर्यात अर्थव्यवस्था समुद्री उद्योग पर निर्भर है, महासागरीय अर्थव्यवस्था में एक स्थापित विशेषज्ञ है।
- SAHAV पोर्टल: यह एक GIS-आधारित निर्णय सहायता प्रणाली है, जिसे एक डिजिटल सार्वजनिक संसाधन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- इसे विश्व महासागर दिवस (8 जून) के अवसर पर प्रस्तुत किया गया।
भारत-नॉर्वे संबंध
- परिचय: भारत और नॉर्वे 1947 से लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून के शासन जैसे साझा मूल्यों पर आधारित सौहार्दपूर्ण और मित्रवत संबंध बनाए हुए हैं।
- राजनीतिक और कूटनीतिक सहभागिता:
- 2014: पृथ्वी विज्ञान, संस्कृति, रक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान में सहयोग को मजबूत किया गया।
- 2019: भारत-नॉर्वे महासागर संवाद पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे समुद्री सहयोग को मजबूती मिली।
- भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन (2022): इसमें ब्लू इकोनॉमी, नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन और स्थायी नौवहन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- व्यापार और निवेश: मार्च 2025 में, भारत को नॉर्वे के निर्यात में वर्ष-दर-वर्ष 48% की वृद्धि हुई। प्रमुख नॉर्वेजियन निर्यात में गैर-लौह धातुएँ (जैसे कच्चा निकेल), रासायनिक पदार्थ और धात्विक अयस्क शामिल हैं।
- मार्च 2024 में भारत-EFTA व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि रही, जिससे भारत और नॉर्वे के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- वैज्ञानिक और पर्यावरणीय सहयोग: भारत और नॉर्वे ध्रुवीय अनुसंधान, समुद्री स्थानिक योजना और जलवायु कार्रवाई में सहयोग करते हैं।
- भारत ने नॉर्वे में तीन आर्कटिक मिशन (2007, 2008, और 2009) किए हैं।
- भारत का ध्रुवीय अनुसंधान स्टेशन “हिमाद्री”, नाई एल्सुंड, स्पिट्सबर्गेन द्वीप, नॉर्वे में स्थित है।
- निर्यात नियंत्रण व्यवस्था: नॉर्वे ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR), वासेनार समझौता (WA), और ऑस्ट्रेलिया समूह (AG) सहित प्रमुख निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है।
ब्लू इकोनॉमी क्या है? ब्लू इकोनॉमी का अर्थ महासागरीय संसाधनों के स्थायी उपयोग से आर्थिक वृद्धि, बेहतर आजीविका और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। भारत की दृष्टि वैश्विक प्रयासों के साथ सुमेलित है, जिससे आर्थिक विकास और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण के बीच संतुलन बना रहे। ब्लू इकोनॉमी संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य (SDG 14) में भी परिलक्षित होती है, जो महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और स्थायी उपयोग का समर्थन करता है। भारत, जिसकी 11,098 किमी विस्तृत समुद्री तटरेखा नौ राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों तक फैली है, और जिसका विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) 2.02 मिलियन वर्ग किमी है, ब्लू इकोनॉमी में अपार संभावनाएँ रखता है। प्रमुख नीति रूपरेखाएँ और पहल: राष्ट्रीय ब्लू इकोनॉमी नीति ढाँचा: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् द्वारा रूपरेखा तैयार की गई, जिसमें समुद्री मत्स्य पालन, तटीय पर्यटन और महासागर आधारित उद्योगों पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY): यह भारत की ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य पालन और जलीय कृषि को बढ़ाने का लक्ष्य रखती है। |