संक्षिप्त समाचार 07-02-2025

पश्चिमी विक्षोभ

पाठ्यक्रम: GS1/ भूगोल

 संदर्भ

  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तरी पाकिस्तान पर सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण पूरे उत्तर भारत में तापमान में भारी गिरावट की सूचना दी है।

पश्चिमी विक्षोभ (WD) क्या है?

  • यह एक उष्णकटिबंधीय तूफान है जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र से उत्पन्न होता है।
    • यह विक्षोभ “पश्चिमी” से पूर्वी दिशा की ओर बढ़ता है और धीरे-धीरे ईरान, अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान से मध्य-पूर्व होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करता है।
      • विक्षोभ का अर्थ है “विक्षुब्ध” या कम वायुदाब का क्षेत्र।
      • प्रकृति में संतुलन विद्यमान रहता है जिसके कारण किसी क्षेत्र में वायु अपना दाब सामान्य बनाए रखने का प्रयास करती है।
    • “बहिरूष्ण-उष्णकटिबंधीय तूफान” शब्द में, तूफान का तात्पर्य निम्न दाब से है।
      • “बहिरूष्ण-उष्णकटिबंधीय” का अर्थ है उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से बाहर (क्योंकि WD उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के बाहर उत्पन्न होता है)।
पश्चिमी विक्षोभ

Image Courtesy: Weatherview

प्रभाव

  • यह उत्तरी भारत में वर्षा, बर्फबारी और कोहरा लाता है।
  • उत्तरी उपमहाद्वीप में रबी फसल की कृषि के लिए WD  महत्त्वपूर्ण है।
  • पश्चिमी विक्षोभ हमेशा अच्छे मौसम का सूचक नहीं होता है और कभी-कभी, यह बाढ़, अचानक बाढ़, भूस्खलन, धूल के तूफान, ओलावृष्टि और शीत लहर जैसी चरम मौसम की घटनाओं का कारण बन सकता है, जिससे लोगों की मृत्यु हो जाती है, बुनियादी ढाँचे को हानि होती  है और आजीविका प्रभावित होती है।
भारतीय मौसम विभाग
– 1875 में स्थापित
– भारत मौसम विज्ञान विभाग भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है।
– यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिए जिम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।

Source: PIB

डेरियन गैप

पाठ्यक्रम: GS1/विश्व भूगोल

संदर्भ

  • डेरियन गैप अमेरिका में अवैध प्रवास का एक प्रमुख मार्ग होने के कारण चर्चा में था।

डेरियन गैप

  • डेरियन गैप एक घना, दलदली वर्षावन है जो दक्षिण अमेरिका में उत्तरी कोलंबिया और उत्तरी अमेरिका में दक्षिणी पनामा के बीच लगभग 97 किमी. (60 मील) तक फैला हुआ है।
  • पर्यावरण: इस क्षेत्र की विशेषता पंक भरे रास्ते, आर्द्रभूमि और खड़ी पहाड़ियाँ हैं, जो इसे विश्व के सबसे दुर्गम और खतरनाक क्षेत्रों में से एक बनाती हैं।
  • चिंताएँ: यह क्षेत्र आपराधिक गिरोहों और सशस्त्र समूहों के नियंत्रण में है, जिससे इसे पार करने का प्रयास करने वालों के लिए खतरा और बढ़ जाता है।
डेरियन गैप

Source: IE

फर्लो (Furlough) प्रदान करने की शक्ति

पाठ्यक्रम :GS 2/शासन 

समाचार में

  • हाशिमपुरा नरसंहार के दोषियों ने छुट्टी संबंधी दिल्ली जेल नियम के विरुद्ध दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
    •  यह नियम उस न्यायालय को फर्लो देने का अधिकार देता है जहाँ दोषसिद्धि के विरुद्ध अपील लंबित है।

फर्लो के बारे में और यह पैरोल से किस प्रकार भिन्न है?

  • फर्लो और पैरोल दोनों ही सशर्त रिहाई हैं, लेकिन उनके निहितार्थ भिन्न हैं।
  • फर्लो के अंतर्गत दोषियों को उनकी सजा को निलंबित किए बिना अस्थायी रूप से रिहा किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि फर्लो पर बिताया गया समय सजा में गिना जाएगा।
    • यह सजा सामान्यतः दीर्घकालिक कैदियों को एकाकीपन से बचाने और सामाजिक संबंधों को बढ़ावा देने जैसे कारणों से दी जाती है।
  • पैरोल के अंतर्गत दोषी की सजा अस्थायी रूप से निलंबित कर दी जाती है और सामान्यतः बीमारी या कृषि संबंधी जरूरतों जैसे विशिष्ट कारणों के लिए दी जाती है।
  • दिल्ली जेल नियम 2018: चुनौती दिए गए नियम (नियम 1224 के नोट 2) में कहा गया है कि यदि उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में अपील लंबित है तो फर्लो नहीं दी जा सकती है और दोषी को न्यायालय  का निर्देश लेना होगा।
  • यह प्रावधान जाँच के दायरे में है क्योंकि यह अनुच्छेद 14 (समानता) और 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) सहित संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है, तथा दंड के सुधारात्मक दृष्टिकोण का खंडन कर सकता है।
  • उच्च न्यायालय की व्याख्या: दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने व्याख्या की है कि यह नियम दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों पर लागू होता है।
    • अब, एक खंडपीठ इस नियम की संवैधानिक वैधता की जाँच कर रही है तथा यह भी देख रही है कि क्या यह अच्छे आचरण के बावजूद अनुचित रूप से फर्लो (furlough) देने से मना करता है।
क्या आप जानते हैं?
– 1960 में के.एम. नानावटी के मामले ने एक उदाहरण प्रदर्शित किया , जिसमें उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि अपील के लंबित रहने के दौरान केवल न्यायालय ही, राज्यपाल नहीं, सजा को निलंबित कर सकता है।
– कुछ राज्य अपील के दौरान फर्लो देने से मना कर देते हैं, तथा NALSA ने इस बात पर बल प्रदान किया है कि ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि दोषी व्यक्ति न्यायालय से राहत की माँग कर सकता है। 
1. इस प्रथा के संबंध में कई राज्यों में मुकदमा चल रहा है।

Source :IE

ब्रूसिलोसिस (Brucellosis)

पाठ्यक्रम: GS 2/स्वास्थ्य

समाचार में

  • हाल ही में केरल की एक आठ वर्षीय लड़की की दो महीने तक ब्रुसेलोसिस का उपचार  के बाद मृत्यु हो गई।

ब्रुसेलोसिस के बारे में

  • यह ब्रुसेल्ला प्रजाति के कारण होने वाला जीवाणुजनित जूनोटिक रोग है, जो मुख्य रूप से मवेशियों, बकरियों, भेड़ों और सूअरों जैसे पशुओं को प्रभावित करता है।
  • संचरण: यह संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने, बिना पाश्चुरीकृत दूध या पनीर के सेवन, या वायुजनित कारकों के श्वास द्वारा मनुष्यों में फैलता है।
  • यह रोग स्थानिक क्षेत्रों में सामान्य है और इसके सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।
    • अधिकांश मामले कच्चे दूध या पनीर के सेवन से होते हैं, विशेष रूप से भेड़ और बकरियों से।
  • ब्रुसेलोसिस के लक्षणों में बुखार, कमजोरी, वजन कम होना और सामान्य बेचैनी शामिल हैं।
    •  कई मामलों में लक्षण हल्के होते हैं, जिससे निदान में विलंब हो सकती है। इन्क्यूबेशन अवधि एक सप्ताह से दो महीने तक भिन्न होती है, लेकिन सामान्यतः 2-4 सप्ताह तक रहती है।
  • जोखिम समूह: किसान, कसाई, पशु चिकित्सक और प्रयोगशाला कर्मचारी संक्रमित पशुओं, रक्त या शारीरिक तरल पदार्थ के सीधे संपर्क के कारण अधिक जोखिम में हैं।
  • रोकथाम और नियंत्रण: मुख्य रणनीति पशुओं में संक्रमण को समाप्त करना है, जिसमें टीकाकरण और वध शामिल है।
    • दूध का पाश्चुरीकरण और खाद्य सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने से मानव संक्रमण को कम करने में सहायता मिलती है।
    • ब्रुसेलोसिस का उपचार डॉक्सीसाइक्लिन के साथ स्ट्रेप्टोमाइसिन या रिफाम्पिसिन के संयोजन से किया जाता है, सामान्यतः 45 दिनों के लिए।

Source :TH

चंद्रयान-4 का प्रक्षेपण 2027 में होगा

पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी

संदर्भ

  • भारत 2027 में चंद्रमा की चट्टानों के नमूने पृथ्वी पर लाने के लिए चंद्रयान-4 मिशन प्रक्षेपित करेगा।

परिचय

  • चंद्रयान-1: इसे 2008 में प्रक्षेपित किया गया था और यह भारत का प्रथम चंद्र मिशन था। इससे भारत चंद्रमा पर पहुँचने वाला पाँचवां देश बन गया।
    • मिशन की सबसे महत्त्वपूर्ण खोज चंद्र सतह पर जल अणुओं की उपस्थिति थी, जिसकी पुष्टि नासा ने भी की।
  • चंद्रयान-2: इसे 2019 में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर (विक्रम) और एक रोवर (प्रज्ञान) के साथ प्रक्षेपित किया गया था।
    • इस मिशन का उद्देश्य चंद्र सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराना था, लेकिन लैंडिंग से ठीक पहले इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया, जिसके परिणामस्वरूप क्रैश लैंडिंग हुई।
    • इस बाधा के बावजूद, ऑर्बिटर ने कार्य करना जारी रखा और चंद्रमा की सतह और वायुमंडल पर महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान किया।
  • चंद्रयान-2 के अनुवर्ती मिशन चंद्रयान-3 ने 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की।
    • लैंडर पेलोड: तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए चंद्रा का सतह थर्मोफिजिकल प्रयोग (ChaSTE); लैंडिंग स्थल आदि के आसपास की भूकंपीयता को मापने के लिए चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (ILSA)।
    • रोवर पेलोड: लैंडिंग स्थल के आसपास के क्षेत्र में तात्विक संरचना का पता लगाने के लिए अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS)।

Source: TH

पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्च सिस्टम (MRLS)

पाठ्यक्रम: GS 3/रक्षा 

समाचार में

  • केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने सेना के पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्च सिस्टम (MRLS) को बढ़ाने के लिए गोला-बारूद के लिए 10,147 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

अनुबंधों के बारे में

  • इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) और म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL) के साथ किए गए अनुबंधों में क्रमशः एरिया डेनियल म्यूनिशंस (ADM) टाइप-1 और हाई एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैगमेंटेड (HEPF)-Mk-1 रॉकेट की खरीद शामिल है।
  • इन उन्नत हथियारों से पिनाका की मारक क्षमता और रेंज में सुधार होगा।

पिनाका के बारे में

  • पिनाका रॉकेट प्रणाली को आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, पुणे द्वारा विकसित किया गया है, जिसे DRDO की पुणे स्थित एक अन्य प्रयोगशाला, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला का समर्थन प्राप्त है।
  • पिनाका Mk1 की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है और यह विभिन्न प्रकार के गोले दाग सकता है।
    • उन्नत पिनाका प्रणाली, जो सेना की प्राथमिक लंबी दूरी की तोपखाना बनती जा रही है, ने पहले ही 75 किलोमीटर की रेंज वाले निर्देशित रॉकेटों के सफल उड़ान परीक्षण पूरे कर लिए हैं, तथा इस रेंज को 120 किलोमीटर और 300 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है।
    • पिनाका MLRS 44 सेकंड में 72 रॉकेट दाग सकता है, इसकी चार रेजिमेंट सेवा में हैं तथा छह और का आदेश दिया गया है।
  • स्वदेशी रूप से विकसित पिनाका के लिए अर्मेनिया पहला निर्यात ग्राहक बन गया तथा कई देशों ने इस प्रणाली में रुचि व्यक्त की।
    • भारतीय सेना में चार पिनाका रेजिमेंट सेवा में हैं तथा छह और रेजिमेंट का ऑर्डर दिया जा रहा है।

Source :TH 

स्ट्राइकर इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन

पाठ्यक्रम: GS3/ रक्षा

समाचार में

  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका अपने रक्षा सहयोग को और गहरा कर रहे हैं, जिसमें स्ट्राइकर इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल (ICV) सौदा एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में उभर रहा है।

स्ट्राइकर क्या है?

  • स्ट्राइकर एक अत्यंत गतिशील, आठ पहियों वाला बख्तरबंद पैदल सेना लड़ाकू वाहन है, जिसे अमेरिका और कनाडा में जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम्स (GDLS) द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसे तीव्र तैनाती, उच्च ऊँचाई वाले युद्ध और शहरी युद्ध परिदृश्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह आधुनिक युद्धक्षेत्रों के लिए एक महत्त्वपूर्ण परिसंपत्ति बन गई है।

स्ट्राइकर ICV की विशेषताएँ

  • संरक्षण और उत्तरजीविता:
    • डबल वी-हल डिजाइन: बारूदी सुरंगों और IEDs के विरुद्ध विस्फोट प्रतिरोध में सुधार करता है।
    • सिरेमिक टाइल्स के साथ मिश्रित कवच: छोटे हथियारों की आग और छर्रों से उन्नत बैलिस्टिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • मारक क्षमता और युद्ध क्षमता:
    • 30 मिमी ऑटोकैनन (बख्तरबंद खतरों के लिए बढ़ी हुई मारक क्षमता)।
    • टैंक रोधी क्षमताओं के लिए वैकल्पिक 105 मिमी मोबाइल गन सिस्टम (MGS)।
    • जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) अनुकूलता (भविष्य में उन्नयन पुराने संस्करणों की जगह ले सकता है)।
  • गतिशीलता और तैनाती:
    • अधिकतम गति: 100 किमी/घंटा
    • रेंज: एक बार ईंधन भरने पर 483 किमी.
    • सभी क्षेत्रों में कार्य करने की क्षमता: रेगिस्तान, जंगल और उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करता है।

भारत के लिए महत्त्व

  • इससे हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों  में भारतीय सैनिकों की गतिशीलता और सुरक्षा में सुधार होगा।
  • लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक तैनाती चीनी सीमा खतरों के विरुद्ध भारत की स्थिति मजबूत करती है।
  • मेक इन इंडिया पहल को भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) के साथ सह-उत्पादन के माध्यम से समर्थन दिया जाएगा।
  • सहयोग में संभवतः प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी शामिल होगा, जिससे भारत की विदेशी रक्षा आपूर्तिकर्त्ताओं पर निर्भरता कम हो जाएगी।

भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग

  • द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूत करना
    • पिछले भारत-अमेरिका समझौते पर आधारित रक्षा समझौते, जिनमें शामिल हैं:
      • जनरल इलेक्ट्रिक (GE) F414 जेट इंजन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण।
      • भारतीय नौसेना के लिए MH-60R  सीहॉक हेलीकॉप्टर।
      • समुद्री सुरक्षा के लिए P-8I पोसाइडन निगरानी विमान।
      • टोही और हमला मिशनों के लिए प्रीडेटर MQ-9B ड्रोन।
    • यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार के रूप में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करता है।
    • क्षेत्रीय खतरों का मुकाबला करने के लिए क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) रक्षा सहयोग के साथ संरेखित।

Source: TH