पाठ्यक्रम: GS3/ आपदा प्रबंधन
संदर्भ
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट “भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याएँ” के अनुसार, वर्ष 2023 में आकाशीय बिजली ‘प्राकृतिक शक्तियों’ से संबंधित 6,444 मृत्युओं में से 39.7% के लिए जिम्मेदार रही, जो कि सबसे अधिक है।
परिचय
- विगत कुछ वर्षों में, आकाशीय बिजली भारत के लिए एक नई जलवायु चुनौती के रूप में उभरी है, जिसमें 2019-20 से 2024-25 के बीच बिजली गिरने की घटनाओं में 400 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
- बिजली गिरने से प्रभावित प्रमुख राज्य/केंद्र शासित प्रदेश (UTs) थे: मध्य प्रदेश (397), बिहार (345), ओडिशा (294), उत्तर प्रदेश (287), और झारखंड (194)।
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 “आपदा” को व्यापक रूप से परिभाषित करता है, लेकिन आकाशीय बिजली को विशेष रूप से केंद्र द्वारा अधिसूचित आपदा के रूप में सूचीबद्ध नहीं करता।
- केंद्र सरकार ने इसे आपदा घोषित करने की मांगों का विरोध किया है, यह तर्क देते हुए कि अधिकांश मृत्युओं को जन जागरूकता और सुरक्षा उपायों के माध्यम से रोका जा सकता है।
2023 में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्राकृतिक शक्तियों से हुई मृत्युओं का विवरण

आकाशीय बिजली क्या है?
- आकाशीय बिजली बादल में चार्ज कणों और पृथ्वी के बीच एक विद्युत निर्वहन होती है।
- हालाँकि सामान्यतः वायु एक विद्युत इन्सुलेटर के रूप में कार्य करती है, लेकिन जब वोल्टेज लगभग 30 लाख वोल्ट प्रति मीटर (V/m) तक पहुँचता है, तो वायु की इन्सुलेटिंग क्षमता टूट जाती है, जिससे एक शक्तिशाली विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
- इससे ऊर्जा का अचानक उत्सर्जन होता है, जो एक चमकदार चमक और उससे जुड़ी ध्वनि तरंग (गर्जना) उत्पन्न करता है।

भारत में आकाशीय बिजली की घटनाओं में वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारक
- भौगोलिक और जलवायु स्थितियाँ: उच्च आर्द्रता वाले क्षेत्र जैसे पूर्वी राज्य और तटीय क्षेत्र गरज के साथ बारिश और बिजली के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं।
- हिमालय और पश्चिमी घाट जैसी स्थलाकृति भी बिजली की आवृत्ति को प्रभावित करती है।
- मानसून की गतिशीलता: मानसून का मौसम, अपनी तीव्र वर्षा और संवहन गतिविधियों के साथ, भारत में बिजली का प्रमुख चालक है।
- मानसून के दौरान आर्द्र वायु द्रव्यमानों का अभिसरण और गर्म, आर्द्र वायु का ऊपर उठना प्रायः गरज के साथ बारिश और बिजली का कारण बनता है।
- शहरीकरण और औद्योगीकरण: तीव्र शहरीकरण और औद्योगीकरण वातावरण में कृत्रिम ऊष्मा स्रोतों एवं एरोसोल की संख्या बढ़ाते हैं।
- ये संवहन को बढ़ाते हैं और अधिक बार गरज के साथ बारिश की घटनाओं में योगदान देते हैं, जिससे बिजली की घटनाएँ बढ़ती हैं।
- अध्ययनों से पता चलता है कि तापमान में प्रत्येक 1°C वृद्धि के साथ बिजली गिरने की घटनाओं में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि होती है।
- जलवायु परिवर्तन: वैश्विक जलवायु पैटर्न में परिवर्तन स्थानीय मौसम घटनाओं को प्रभावित कर रहे हैं।
- बढ़ते तापमान एवं आर्द्रता स्तरों में बदलाव तूफानों की गतिशीलता को बदलते हैं, जिससे अधिक बार और तीव्र बिजली की घटनाएँ हो सकती हैं।
- कृषि प्रथाएँ: कृषि अवशेषों का जलाना और वनों की कटाई वातावरण में कणों के संचय में योगदान कर सकते हैं।
- ये कण बादलों के निर्माण को प्रभावित करते हैं और गरज के साथ बारिश एवं बिजली की संभावना बढ़ाते हैं।
सरकारी पहलें
- CROPC (जलवायु लचीला अवलोकन प्रणाली संवर्धन परिषद) ने भारत की प्रथम आकाशीय बिजली पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित की है, जिसका उद्देश्य बिजली गिरने की भविष्यवाणी करना और चेतावनी जारी करना है।
- मोबाइल ऐप “सचेत” को जनता को आसन्न बिजली खतरों के बारे में सतर्क करने के लिए लॉन्च किया गया।
- 2020 में, “दामिनी” बिजली ऐप्स भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM)-पुणे द्वारा विकसित किए गए।
आगे की राह
- संचार प्रणालियों को सुदृढ़ करना ताकि चेतावनियाँ प्रभावी रूप से संवेदनशील जनसंख्या तक पहुँच सकें।
- स्थानीय अधिकारियों को प्रारंभिक चेतावनियों पर शीघ्र कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित करना।
- पूर्व-मानसून और मानसून मौसम के दौरान बिजली सुरक्षा उपायों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।
- NDMA प्रोटोकॉल के बुनियादी स्तर पर कार्यान्वयन को बेहतर बनाना ताकि मृत्युओं को न्यूनतम किया जा सके।
Source: DTE
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