पाठ्यक्रम: GS1/ भूगोल
संदर्भ
- कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 84 नदियों पर 36 वर्षों के उपग्रह डेटा का विश्लेषण किया ताकि यह समझा जा सके कि कुछ नदियाँ एकल-धारा चैनल क्यों बनाए रखती हैं, जबकि अन्य बहुधारा या ब्रेडेड प्रणाली में क्यों बदल जाती हैं।
नदी प्रक्रियाएँ और चैनल प्रकार
- नदियों को सामान्यतः एकल-धारा (single-thread) या बहुधारा (multi-thread: braided/anastomosing) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- एकल-धारा नदी में एक किनारे का पार्श्व अपरदन (lateral erosion) सामान्यतः विपरीत किनारे पर तलछट जमाव (sediment deposition) से संतुलित होता है।
- यह संतुलन चैनल की चौड़ाई को स्थिर रखता है और नदी को उसके बाढ़ के मैदान में घूमने देता है।
- बहुधारा नदियाँ वहाँ बनती हैं जहाँ किनारे का अपरदन जमाव से अधिक होता है।
- किनारों से कटकर निकली अतिरिक्त तलछट नदी के मध्य में बार्स और द्वीपों के रूप में जमा हो जाती है, जिससे प्रवाह कई उथली धाराओं में विभाजित हो जाता है।
अपरदन और जमाव के संतुलन को प्रभावित करने वाले कारक
- ढलान और प्रवाह: तीव्र ढलान और उच्च जल प्रवाह स्ट्रीम पावर को बढ़ाते हैं, जिससे किनारे का अपरदन होता है। बहुधारा चैनल “अधिक जल प्रवाह, मोटी तलछट और तीव्र ढलान” को पसंद करते हैं।
- कई हिमालयी और ज्वालामुखीय नदियाँ इन्हीं कारणों से ब्रेडेड होती हैं।
- तलछट का आकार और मात्रा: जो नदियाँ मोटी तलछट (कंकड़, रेत) ले जाती हैं, वे अपने चैनल को अधिभारित कर देती हैं और बार्स जमा करती हैं, जिससे ब्रेडिंग शुरू होती है।
- वनस्पति और तट सामग्री: स्थिर और वनस्पति युक्त किनारे अपरदन का प्रतिरोध करते हैं और एकल चैनल को बढ़ावा देते हैं।
- मानव हस्तक्षेप: बाँध, तटबंध और चैनलाइजेशन ब्रेडेड नदी को एकल धारा में सीमित कर देते हैं।
- वास्तव में, कई नदियाँ जो आज एकल-धारा हैं, मानव हस्तक्षेप से पहले ब्रेडेड थीं।
नदी ब्रेडिंग के उदाहरण
- अमेज़न नदी (दक्षिण अमेरिका): मुख्यतः एकल-धारा, क्योंकि इसमें पतली तलछट और सुदृढ़ तटीय वनस्पति होती है।
- मिसिसिपी नदी (अमेरिका): विसर्प एकल चैनल, पतली तलछट और इंजीनियरिंग कार्यों द्वारा नियंत्रित।
- भारतीय नदियाँ: गंगा (मैदानी क्षेत्र): पतली जलोढ़ और समतल स्थलाकृति के कारण घूमी हुई एकल-धारा।
- ब्रह्मपुत्र (असम): बहुधारा ब्रेडेड प्रणाली, जिससे बार-बार बाढ़ और अपरदन होता है।
- कोसी नदी (बिहार): “बिहार का शोक” के नाम से प्रसिद्ध, क्योंकि इसकी अस्थिर, तलछट-भरी धाराएँ निरंतर बदलती रहती हैं।
अध्ययन का महत्व
- यह अध्ययन ब्रेडेड नदी क्षेत्रों में बाढ़ के जोखिम की भविष्यवाणी करने में सहायता करता है, विशेष रूप से असम और बिहार जैसे बाढ़-प्रवण राज्यों में आपदा प्रबंधन के लिए उपयोगी है।
- ब्रेडेड नदियाँ निरंतर अपने चैनल बदलती हैं, जिससे वे गतिशील और अप्रत्याशित बन जाती हैं।
- यह बाँध, बैराज और तटबंध जैसे नदी इंजीनियरिंग परियोजनाओं में सहायक है।
- यह पर्यावरण संरक्षण में भी सहायता करता है, क्योंकि नदी का विभाजन आर्द्रभूमियों, मत्स्य पालन और आजीविका को प्रभावित करता है।
| विसर्प(Meanders) क्या हैं? – विसर्प किसी नदी के मध्य और निचले भाग में बड़े मोड़ या वक्र होते हैं, जो अपरदन और निक्षेपण दोनों प्रक्रियाओं के कारण बनते हैं। – विसर्प तब बनता है जब नदी में जल प्रवाह वेग कम हो जाता है, जिससे नीचे की ओर कटाव करने की उसकी क्षमता कम हो जाती है। इसके बजाय, यह पार्श्व (पार्श्व) दिशा में अपरदन करना शुरू कर देता है। 1. बाहरी अवतल तट पर, नदी की धारा अधिक प्रबल होती है, जिससे अपरदन होता है। 2. आंतरिक उत्तल तट पर, धारा कमजोर होती है, जिससे तलछट (बिंदु पट्टियाँ) का निक्षेपण होता है। – अपरदन और निक्षेपण का यह संयोजन एक घुमावदार चैनल बनाता है, जिससे विसर्प बनते हैं। |
Source: TH
Previous article
अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप
Next article
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025, तियानजिन