केंद्र द्वारा पारस्परिक कानूनी सहायता संधि का आह्वान 

पाठ्यक्रम: GS2/IR

संदर्भ

  • भारत ने औपचारिक रूप से सिंगापुर के साथ पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (Mutual Legal Assistance Treaty – MLAT) को लागू किया है, ताकि दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में गायक जुबिन गर्ग की मृत्यु की जांच में सहयोग प्राप्त किया जा सके।

 पारस्परिक कानूनी सहायता (Mutual Legal Assistance) 

  • पारस्परिक कानूनी सहायता एक ऐसा तंत्र है जिसके माध्यम से देश अपराध की रोकथाम, दमन, जांच और अभियोजन में औपचारिक सहायता प्रदान करने तथा प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं। 
  • उद्देश्य: यह सुनिश्चित करना कि अपराधी विभिन्न देशों में उपलब्ध साक्ष्यों की कमी के कारण कानून की प्रक्रिया से बच न सकें या उसे बाधित न कर सकें। 
  • भारत द्विपक्षीय/बहुपक्षीय समझौतों, अंतरराष्ट्रीय अभिसंधियों या पारस्परिकता के आश्वासन के आधार पर आपराधिक मामलों में परस्पर कानूनी सहायता प्रदान करता है। 
  • भारत ने 45 से अधिक देशों के साथ MLAT पर हस्ताक्षर किए हैं। 
  • नोडल मंत्रालय: गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs – MHA)
MLAT का उल्लेखनीय उपयोग
2G स्पेक्ट्रम मामला (2010–2012): जांच एजेंसियों ने UAE, मॉरीशस और UK जैसे देशों से कॉल डेटा रिकॉर्ड और वित्तीय साक्ष्य प्राप्त किए।
– मनी लॉन्ड्रिंग श्रृंखला में कड़ियाँ स्थापित करने में सहायता मिली।
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला (2013 से आगे): भारत ने इटली, मॉरीशस, सिंगापुर और UK से साक्ष्य प्राप्त करने के लिए MLAT अनुरोध भेजे।
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी (PNB घोटाला, 2018): भारत ने हांगकांग, सिंगापुर, स्विट्ज़रलैंड और UAE को MLAT अनुरोध भेजे ताकि संपत्तियों का पता लगाया जा सके तथा वित्तीय साक्ष्य एकत्र किए जा सकें।
– संपत्ति जब्ती और प्रत्यर्पण प्रक्रिया को मजबूत करने में सहायता मिली।

उद्देश्य और प्रमुख प्रावधान 

  • उद्देश्य:
    • अपराधों की जांच और अभियोजन को सुगम बनाना।
    • साक्ष्य और जानकारी का शीघ्र आदान-प्रदान सुनिश्चित करना।
    • लंबी कूटनीतिक प्रक्रियाओं का विकल्प प्रदान करना।
  • प्रावधान:
    • दस्तावेज़ों, रिकॉर्ड और साक्ष्यों का आदान-प्रदान।
    • व्यक्तियों की पहचान और स्थान का पता लगाना।
    • गवाहों की जांच।
    • संपत्तियों की तलाशी और जब्ती।
    • संपत्ति पुनर्प्राप्ति, ज़ब्ती और राजस्व वसूली में सहायता।
    • न्यायिक दस्तावेजों की सेवा।
    • गवाही के लिए व्यक्तियों का स्थानांतरण।

MLAT में चुनौतियाँ

  • समय लेने वाली प्रक्रिया: नौकरशाही बाधाओं के कारण अनुरोधों में प्रायः महीनों लग जाते हैं।
  • कानूनी प्रणालियों में असमानता: विभिन्न देशों में साक्ष्य मानकों, स्वीकार्यता नियमों और न्यायिक प्रक्रियाओं में भिन्नता होती है।
    • कुछ अनुरोध स्थानीय कानूनी आवश्यकताओं को पूरा न करने के कारण अस्वीकार कर दिए जाते हैं।
  • सीमित कवरेज: भारत के पास सभी देशों के साथ MLAT नहीं हैं, जिससे उन क्षेत्रों में सहयोग बाधित होता है जहां संधियाँ नहीं हैं।
  • डिजिटल साक्ष्य की समस्याएँ: बढ़ते साइबर अपराधों के कारण सर्वर लॉग, ईमेल, क्लाउड डेटा तक त्वरित पहुंच की आवश्यकता है।
    • बड़ी तकनीकी कंपनियाँ प्रायः उन देशों में स्थित होती हैं जहां भारत के पास तेज़ MLAT पहुंच नहीं है।
  • संप्रभुता और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: देश संवेदनशील जानकारी साझा करने से संकोच करते हैं, संप्रभुता या डेटा संरक्षण कानूनों का उदाहरण देते हुए।
  • संसाधन की कमी: कई विकासशील देशों के पास प्रशिक्षित कर्मियों, बुनियादी ढांचे और MLAT अनुरोधों को कुशलतापूर्वक संसाधित करने की क्षमता की कमी होती है।

महत्व

  • अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटना: यह सीमा पार अपराधों जैसे आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, साइबर अपराध और धन शोधन की जांच और अभियोजन के लिए एक कानूनी तंत्र प्रदान करता है।
  • तेज़ और विश्वसनीय साक्ष्य साझा करना: अनौपचारिक चैनलों या कूटनीतिक मार्गों के विपरीत, MLATs एक प्रत्यक्ष, कानूनी रूप से बाध्यकारी ढांचा प्रदान करते हैं जो स्वीकार्य साक्ष्य एकत्र करने और साझा करने में सहायता करता है।
  • आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करना: आतंकवाद वित्तपोषण का पता लगाने, ऑपरेटिव की पहचान करने और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क को समाप्त करने में सहायता करता है।
  • वित्तीय अपराधों से लड़ना: भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और विदेशों में जमा काले धन से प्राप्त संपत्तियों का पता लगाने, उन्हें फ्रीज़ करने और ज़ब्त करने में सहायता करता है।
  • कानून का शासन और पारस्परिक विश्वास को बढ़ावा देना: कानूनी सहयोग को बढ़ाता है और देशों के बीच विश्वास निर्माण करता है।
  • राजनयिक संबंधों को सुदृढ़ करना: MLATs कानून और सुरक्षा के संवेदनशील क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देकर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को गहरा करते हैं।
अन्य तंत्र
प्रत्यर्पण संधियाँ: इसका उद्देश्य एक आरोपी/दोषी व्यक्ति को मुकदमे का सामना करने या सजा काटने के लिए एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित करना है।
भारत की स्थिति: भारत ने UK, USA, फ्रांस, UAE सहित 40 से अधिक देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियाँ की हैं।
लेटर रोगेटरी (LRs): ये भारतीय अदालत से विदेशी अदालत को न्यायिक सहायता के लिए औपचारिक अनुरोध होते हैं जैसे साक्ष्य संग्रह, समन की सेवा।
– यह कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से किया जाता है और आमतौर पर MLAT की तुलना में धीमा होता है।
इंटरपोल तंत्र: यह निम्नलिखित उपकरणों का उपयोग करता है:
– रेड नोटिस – प्रत्यर्पण की प्रतीक्षा में किसी व्यक्ति को ढूंढने और अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने का अनुरोध।
– ब्लू/ग्रीन नोटिस – जानकारी एकत्र करने के लिए।
– भारत इनका उपयोग तब करता है जब द्विपक्षीय MLAT/प्रत्यर्पण संधियाँ मौजूद नहीं होतीं।

Source: TH

 

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