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समाचार में
- हाल ही में भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया गया, जिसका उद्देश्य उपभोक्ता अधिकारों के महत्व और उपभोक्ता संरक्षण के व्यापक ढाँचे को उजागर करना है।
राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
- भारत में इसे 1986 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अधिनियमन की स्मृति में स्थापित किया गया था, जिसे 24 दिसंबर 1986 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया।
- इसी उपलक्ष्य में 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को प्रतिस्थापित किया।
- इसका उद्देश्य उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा करना, वस्तुओं एवं सेवाओं से संबंधित शिकायतों का समाधान करना और उपभोक्ताओं के लिए न्याय तक निष्पक्ष पहुँच सुनिश्चित करना है।
प्रमुख विशेषताएँ
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(28) “भ्रामक विज्ञापन” को परिभाषित करती है। यह किसी उत्पाद या सेवा का झूठा वर्णन, गलत गारंटी देना, उपभोक्ताओं को उसकी प्रकृति या गुणवत्ता के बारे में गुमराह करना, अनुचित व्यापार प्रथा के रूप में भ्रामक दावे करना या महत्वपूर्ण जानकारी को जानबूझकर छिपाना शामिल है।

- अधिनियम की धारा 21 CCPA को अधिकार देती है कि वह झूठे या भ्रामक विज्ञापनों के विरुद्ध कार्रवाई कर सके। यह व्यापारियों, निर्माताओं, प्रमोटरों, विज्ञापनदाताओं या प्रकाशकों को ऐसे विज्ञापनों को बंद करने या संशोधित करने का निर्देश दे सकता है यदि वे उपभोक्ताओं के लिए हानिकारक पाए जाते हैं या उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
| केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) यह भारत का सर्वोच्च उपभोक्ता प्रहरी है। इसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 10(1) के अंतर्गत स्थापित किया गया और 24 जुलाई 2020 को परिचालन में आया।इसका कार्य उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार प्रथाओं और उपभोक्ताओं तथा जनता के हितों के प्रतिकूल झूठे या भ्रामक विज्ञापनों को नियंत्रित करना है।यह झूठे या भ्रामक विज्ञापनों के निर्माताओं या प्रमोटरों पर ₹10 लाख तक का जुर्माना और दो वर्ष तक की कैद लगा सकता है। पुनरावृत्ति पर यह जुर्माना ₹50 लाख और पाँच वर्ष तक की कैद तक बढ़ सकता है। साथ ही, यह प्रमोटरों को भविष्य के प्रचार से एक वर्ष तक प्रतिबंधित कर सकता है, जिसे बाद में तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। |
अन्य संबंधित कदम
- भारत में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने कई पहलों के माध्यम से उपभोक्ता संरक्षण को सुदृढ़ किया है:
- उपभोक्ता कल्याण कोष: राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। 2024–25 में ₹38.68 करोड़ जारी किए गए।
- ई-जागृति प्लेटफ़ॉर्म: जनवरी 2025 में लॉन्च किया गया। यह कई शिकायत प्रणालियों को एकीकृत करता है ताकि शिकायतों को डिजिटल रूप से दर्ज, ट्रैक और हल किया जा सके। 1.35 लाख से अधिक मामले दर्ज हुए और 1.31 लाख का निपटारा हुआ, जिससे घरेलू एवं एनआरआई उपभोक्ताओं को लाभ मिला।
- राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 2.0: एआई-सक्षम, बहुभाषी प्लेटफ़ॉर्म जो प्रति वर्ष 12 लाख से अधिक शिकायतों को संभालता है। इनमें से कई शिकायतें 21 दिनों के भीतर हल हो जाती हैं। डिजिटल चैनलों से 65% शिकायतें दर्ज होती हैं।
- जागो ग्राहक जागो पोर्टल और ऐप्स: डिजिटल उपकरण जो डार्क पैटर्न का पता लगाते हैं, सत्यापित ई-कॉमर्स जानकारी प्रदान करते हैं और उपभोक्ताओं को संदिग्ध वेबसाइटों की रिपोर्ट करने की अनुमति देते हैं।
- भारतीय मानक ब्यूरो (BIS): मानकों, प्रमाणन और BIS Care ऐप के माध्यम से हॉलमार्क सत्यापन द्वारा उत्पाद सुरक्षा एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।
- नेशनल टेस्ट हाउस (NTH): परीक्षण, अंशांकन और गुणवत्ता नियंत्रण सेवाएँ प्रदान करता है। डिजिटल प्रणालियों और मोबाइल ऐप्स के साथ संचालन का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। 2024–25 में 45,926 नमूनों का परीक्षण किया गया।
- कानूनी मापविज्ञान संशोधन (2025): चिकित्सा उपकरणों की लेबलिंग और पैकेजिंग से संबंधित नियमों को सुदृढ़ करता है, ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर देश-की-उत्पत्ति का खुलासा अनिवार्य करता है और पान मसाला के लिए मूल्य निर्धारण मानदंडों को सख्त करता है। इसका उद्देश्य नियामक स्पष्टता, पारदर्शिता और उपभोक्ता संरक्षण में सुधार करना है।
Source :PIB
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