पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने प्रोजेक्ट चीता के विस्तार का मूल्यांकन किया और मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के उपायों की समीक्षा की।
मानव-वन्यजीव संघर्ष (HWC) क्या है?
- मानव-वन्यजीव संघर्ष (HWC) मनुष्यों और जंगली जानवरों के बीच नकारात्मक अंतःक्रिया को संदर्भित करता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव जीवन, फसल, पशुधन और अन्य संपत्तियों की हानि या चोट होती है, तथा साथ ही जंगली जानवरों एवं उनके आवासों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- भारत में, संघर्ष सबसे अधिक हाथियों, बाघों, तेंदुओं, भालुओं और जंगली सूअरों से जुड़ा होता है, विशेषकर जंगल की सीमाओं और गलियारा क्षेत्रों में।
मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि के कारण
- क्षतिग्रस्त आवास: वनों की कटाई, विकासात्मक गतिविधियाँ और कृषि विस्तार ने वन्यजीव आवासों को सिकोड़ दिया और खंडित कर दिया है।
- कुछ पशु जनसंख्या में वृद्धि: जंगली सूअरों और बंदरों, विशेषकर बोनट मकाक की जनसंख्या विस्फोट ने संघर्ष को बढ़ा दिया है।
- मानव गतिविधियाँ: जंगल क्षेत्रों में मवेशियों का चरना और फसल पैटर्न में बदलाव जंगली जानवरों को आकर्षित करते हैं।
- पारिस्थितिक असंतुलन: ऐतिहासिक शिकार नीतियों के कारण शीर्ष शिकारी प्रजातियों में गिरावट आई है, जिससे शाकाहारी प्रजातियों में अप्राकृतिक वृद्धि हुई है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- भारत की राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2017–2035): यह भारत के लिए वन्यजीव संरक्षण का दीर्घकालिक रणनीतिक रोडमैप है। इसमें बल दिया गया है:
- परिदृश्य-स्तरीय संरक्षण।
- मानव–वन्यजीव संघर्ष का शमन।
- सामुदायिक भागीदारी और आजीविका एकीकरण।
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण और वैज्ञानिक निगरानी को सुदृढ़ करना।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972: यह भारत में पशुओं के संरक्षण और सुरक्षा के लिए नियम और विनियम निर्धारित करता है।
- संरक्षित क्षेत्र और रिज़र्व: 107 राष्ट्रीय उद्यान, 573 वन्यजीव अभयारण्य, 115 संरक्षण रिज़र्व।
- प्लान बी: इसे नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NFR) द्वारा अपनाया गया है, जो हाथियों को रेलवे ट्रैक से दूर रखने की एक अनोखी विधि है, और इसे पूरे देश में लागू करने की योजना है ताकि हाथियों की जान बचाई जा सके।
- ऑपरेशन थंडरबर्ड: वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा भारत में वन्यजीव अपराध से लड़ने के लिए समन्वित अभियान।
- प्रजाति-विशिष्ट संरक्षण कार्यक्रम: प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट आदि राष्ट्रीय पहलें हैं जो प्रतिष्ठित प्रजातियों पर केंद्रित हैं, जिनमें आवास संरक्षण और शिकार-रोधी उपाय शामिल हैं।
- हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (MIKE): इसे 1997 में दसवें पक्षकार सम्मेलन में वन्य जीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) द्वारा स्थापित किया गया था।
- त्वरित प्रतिक्रिया दल: केरल में, जहाँ मानव-जानवर संघर्ष की घटनाएँ सबसे अधिक होती हैं, वहाँ स्थायी और अस्थायी दोनों प्रकार के त्वरित प्रतिक्रिया दल स्थापित किए गए हैं।
आगे की राह
- मानव–वन्यजीव संघर्ष शमन को विकास योजना में मुख्यधारा में लाना चाहिए, बजाय इसके कि इसे बाद की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाए।
- जागरूकता और संचार तंत्र को सुदृढ़ करना चाहिए, जिसमें वन विभागों और स्थानीय समुदायों के बीच नियमित बातचीत में सुधार, लोगों को पशु व्यवहार एवं प्रारंभिक चेतावनी संकेतों के बारे में संवेदनशील बनाना शामिल है।
- वन्यजीव गलियारों की रक्षा और पुनर्स्थापना करनी चाहिए ताकि जानवर आवास पैचों के बीच सुरक्षित रूप से घूम सकें, बिना मानव-निर्मित बाधाओं को पार किए, जिससे आकस्मिक मुठभेड़ों, सड़क दुर्घटनाओं और फसल क्षति को कम किया जा सके।
Source: TH
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संक्षिप्त समाचार 22-12-2025