पाठ्यक्रम: GS2/शासन; GS4/ एथिक्स
समाचार में
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने हाल ही में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के अंतर्गत बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के कारण 178 प्रशिक्षण भागीदारों (TPs) और प्रशिक्षण केंद्रों (TCs) को ब्लैकलिस्ट कर दिया।
- समस्याओं में फर्जी दस्तावेज़, अनुपस्थित छात्र, फर्जी बिल और अस्तित्वहीन केंद्र शामिल थे।
PMKVY के बारे में
- प्रारंभ: 2015, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के अंतर्गत
- क्रियान्वयन एजेंसी: नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC)
- उद्देश्य: युवाओं को कौशल प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान करना ताकि उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हो।
- लाभार्थी (जून 2025 तक): 1.64 करोड़ से अधिक युवा प्रशिक्षित
- बजट (वित्त वर्ष 2024–25): ₹1,538 करोड़
- नवीनतम चरण: PMKVY 4.0 (2022–2026) – उद्योग-आधारित पाठ्यक्रमों, डिजिटल मॉनिटरिंग और स्थानीय स्तर पर कौशल हब पर केंद्रित
उदाहरण
- इसी तरह की भ्रष्टाचार की प्रवृत्तियाँ पहले सर्व शिक्षा अभियान के “भूतिया स्कूलों(ghost schools)” और मनरेगा के फर्जी जॉब कार्ड्स में भी देखी गई थीं — जो योजनाओं के शासन में व्यापक संरचनात्मक समस्या को दर्शाती हैं।
शासन और नैतिक/प्रशासनिक चिंता
- निष्ठा और जवाबदेही: युवाओं के सशक्तिकरण हेतु सार्वजनिक धन निजी लाभ के लिए उपयोग किया गया, जिससे न्यासी विश्वास का उल्लंघन हुआ।
- पारदर्शिता: आरटीआई के अंतर्गत जानकारी देने से “गोपनीयता” का हवाला देकर मना करना सार्वजनिक प्रशासन में अपारदर्शिता को दर्शाता है।
- सार्वजनिक हित बनाम निजी लाभ: PPP मॉडल पर्याप्त नियंत्रण के बिना शोषणकारी बन गया, जिससे सार्वजनिक सेवा उन्मुखता का सिद्धांत टूटा।
- व्यावसायिक नैतिकता: अधिकारियों और भागीदारों ने उचित परिश्रम, ईमानदारी एवं निष्पक्षता जैसे मूलभूत सिविल सेवा मूल्यों की अनदेखी की।
- न्याय और समानता: असली प्रशिक्षुओं को अवसरों से वंचित कर दिया गया क्योंकि संसाधन फर्जी लाभार्थियों को आवंटित कर दिए गए।
- नैतिक जोखिम: कमजोर दंड तंत्र ने कदाचार की पुनरावृत्ति को प्रोत्साहित किया।
प्रभाव
- आर्थिक: करदाताओं के धन की बर्बादी; भारत के कौशल अंतर को समाप्त करने में विफलता।
- सामाजिक: युवाओं और नियोक्ताओं में सरकारी प्रमाणपत्रों पर विश्वास का क्षरण।
- प्रशासनिक: कई जिलों में प्रशिक्षण गतिविधियों पर रोक; रोजगार पाइपलाइन में व्यवधान।
- प्रतिष्ठात्मक: भारत के “स्किल इंडिया मिशन” को कमजोर करता है और “विकसित भारत 2047” की दृष्टि को कमजोर करता है।
आगे की राह
- निगरानी और मूल्यांकन को सुदृढ़ करना:
- आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति और प्रशिक्षुओं का जियो-टैगिंग लागू करें।
- स्वतंत्र एजेंसियों जैसे CAG-मान्यता प्राप्त फर्मों द्वारा TCs का तृतीय-पक्ष ऑडिट।
- NSDC शासन संरचना में सुधार:
- कार्यान्वयन और विनियमन विंग को अलग करें ताकि हितों का टकराव न हो।
- संसदीय निगरानी और वार्षिक प्रदर्शन ऑडिट सुनिश्चित करें।
- पारदर्शिता को बढ़ावा देना:
- ब्लैकलिस्टेड संस्थाओं, निरीक्षण रिपोर्टों और फंड रिकवरी की स्थिति का सार्वजनिक प्रकटीकरण करें।
- RTI अनुपालन और डिजिटल डैशबोर्ड को सुदृढ़ करें।
- फंड को परिणामों से जोड़ना:
- परिणाम-आधारित फंडिंग मॉडल अपनाएँ – केवल सत्यापित प्लेसमेंट और कौशल प्रमाणन के बाद ही भुगतान जारी करें।
Source: TH
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