पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- भारत के आईटी क्षेत्र में जारी कार्यबल में कटौती, जिसे प्रायः ‘साइलेंट एग्ज़िट्स’ कहा जा रहा है, गहरे संरचनात्मक परिवर्तनों को दर्शाती है। टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो जैसी आईटी दिग्गज कंपनियाँ अपने कार्यबल को एआई एवं ऑटोमेशन द्वारा संचालित नई डिजिटल वास्तविकता के अनुरूप समायोजित कर रही हैं।
भारत का आईटी क्षेत्र
- भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्र लगभग तीन दशकों से भारत की आर्थिक वृद्धि, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और डिजिटल परिवर्तन का पर्याय रहा है।
- यह 2024–25 (FY25) में भारत के जीडीपी का लगभग 7% योगदान देता है, जबकि इसमें कुल कार्यबल का लगभग 1% कार्यरत है।
- अनुमान है कि यह योगदान 2026 तक 10% और 2030 तक 20% तक पहुँच सकता है।
- इसने भारत के कुल निर्यात का 25% अमेरिका, यूरोपीय देशों, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और कनाडा जैसे देशों को पहुँचाया है।
संरचनात्मक चुनौतियाँ: वैश्विक दबाव और स्थानीय वास्तविकताएँ
- कौशल असंगति (Skill Mismatch):
- भारत का आईटी कार्यबल, विशेषकर मध्य-कैरियर पेशेवर, उपलब्ध कौशल और बाज़ार की मांगों के बीच असंगति का सामना कर रहा है।
- मेनफ़्रेम प्रबंधन या नॉन-क्लाउड सिस्टम्स जैसी पुरानी क्षमताएँ अप्रासंगिक हो रही हैं।
- अब मांग है एआई इंटीग्रेशन, क्लाउड-नेटिव सिस्टम्स और जेनरेटिव टेक्नोलॉजीज में विशेषज्ञता की।
- डिजिटल असेंबली लाइन का अंत:
- भारत का आईटी चमत्कार एक स्केलेबल मॉडल पर आधारित था: इंजीनियरों की भर्ती, त्वरित प्रशिक्षण और वैश्विक तैनाती।
- यह मॉडल अब अप्रचलित हो चुका है।
- ग्राहक अब बड़ी संख्या में डेवलपर्स की बजाय क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सुरक्षा में क्रॉस-फंक्शनल क्षमताओं वाली एजाइल टीमों को प्राथमिकता देते हैं।
- ऑटोमेशन, एआई और वैश्विक प्रतिकूलताएँ:
- बड़ी छंटनियाँ: टीसीएस और अमेज़न जैसी कंपनियों ने लगभग दस हज़ार रोजगार में कटौती की है।
- घटती विदेशी मांग: वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने आउटसोर्सिंग बजट कम कर दिए हैं।
- एआई व्यवधान: जेनरेटिव एआई और ऑटोमेशन रूटीन कोडिंग और सपोर्ट भूमिकाओं का स्थान ले रहे हैं।
- सख्त वैश्विक नियम: अमेरिका में सख्त इमिग्रेशन नियम, विशेषकर उच्च H-1B वीज़ा शुल्क और लोकलाइज़ेशन अनिवार्यता ने भारतीय कंपनियों को विदेशों में स्थानीय स्तर पर अधिक भर्ती करने के लिए मजबूर किया है।
संबंधित सहयोग और नीतिगत पहल
- डिजिटल इंडिया मिशन: नागरिकों को डिजिटल अवसंरचना और सेवाओं के माध्यम से सशक्त बनाने की प्रमुख पहल।
- सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI): देशभर में 67 केंद्र, जो सॉफ्टवेयर निर्यात और नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
- 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): आईटी क्षेत्र में ऑटोमैटिक रूट के अंतर्गत अनुमति, जिससे वैश्विक निवेश को प्रोत्साहन।
- राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति (2019): भारत को सॉफ्टवेयर उत्पाद राष्ट्र के रूप में विकसित करने का लक्ष्य।
आगे की राह: छंटनी से पुनर्निर्माण तक
- बड़े पैमाने पर एआई अपस्किलिंग:
- टीसीएस ने पहले ही 5.5 लाख कर्मचारियों को बुनियादी एआई और 1 लाख कर्मचारियों को उन्नत एआई अनुप्रयोगों में प्रशिक्षित किया है।
- यह एक मानक है जिसे अन्य कंपनियों को भी अपनाना चाहिए।
- सरकारी पहल:
- NASSCOM और MeitY द्वारा शुरू किया गया फ्यूचरस्किल्स प्राइम कार्यक्रम, 10 लाख से अधिक पेशेवरों को डेटा, एआई और साइबर सुरक्षा में पुनः कौशल प्रदान करने का लक्ष्य रखता है।
- पाठ्यक्रम सुधार:
- इंजीनियरिंग शिक्षा को रटने वाली प्रोग्रामिंग से हटाकर नवाचार-आधारित सीखने की ओर मोड़ना होगा।
- राष्ट्रीय उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम रूपरेखा (2023) में एआई, मशीन लर्निंग और डिज़ाइन थिंकिंग को सभी तकनीकी धाराओं में शामिल करने की सिफारिश की गई है।
- स्टार्टअप्स और डीप-टेक को समर्थन:
- भारत की भविष्य की आईटी वृद्धि उत्पाद नवाचार और डीप-टेक उद्यमिता पर निर्भर करेगी।
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड और डिजिटल इंडिया इनोवेशन फंड एआई और साइबर सुरक्षा स्टार्टअप्स को पोषित कर रहे हैं।
- रणनीतिक फोकस क्षेत्र:
- डीप टेक (एआई, ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग) को प्रमुख वृद्धि चालक के रूप में पहचाना गया है।
- डिजिटल इंडिया 2.0 और भारतनेट जैसी सरकारी पहलें डिजिटल अवसंरचना और ग्रामीण कनेक्टिविटी का विस्तार कर रही हैं।
- मानव-केंद्रित परिवर्तन निर्माण:
- विस्थापित श्रमिकों को कैरियर ट्रांज़िशन सपोर्ट, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और पुनः कौशल अनुदान तक पहुँच मिलनी चाहिए।
- नीति-निर्माता 6–9 महीने के वेतन मुआवज़े का प्रावधान कर सकते हैं, ताकि बड़े पैमाने पर छंटनी की स्थिति में श्रमिकों को पुनः कौशल सीखने और बाज़ार में लौटने का अवसर मिल सके।
| दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] भारत के आईटी क्षेत्र के सामने उपस्थित वर्तमान चुनौतियों में योगदान देने वाले कारकों पर चर्चा करें और रणनीतिक उपाय सुझाएं जो आने वाले दशक में इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने में सहायता कर सकते हैं। |
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