पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध; GS3/रक्षा
समाचारों में
- भारत और अमेरिका ने रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग और साझेदारी को दिशा देने के लिए एक ऐतिहासिक 10-वर्षीय रोडमैप पर हस्ताक्षर किए।
- यह समझौता मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित 12वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक – प्लस (ADMM-Plus) के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके अमेरिकी समकक्ष पीट हेगसेथ के बीच द्विपक्षीय बैठक के बाद हुआ।
10-वर्षीय रोडमैप की प्रमुख विशेषताएँ
- यह संयुक्त रक्षा उत्पादन, खुफिया जानकारी साझा करने, तकनीकी सह-विकास और सैन्य अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाने पर बल देता है।
- दोनों पक्षों ने युद्ध अभ्यास, मालाबार एवं टाइगर ट्रायम्फ जैसे बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों को सुदृढ़ करने और आपदा प्रतिक्रिया तथा आतंकवाद-रोधी साझेदारी को विस्तार देने की प्रतिबद्धता जताई।
- यह समझौता प्रत्यक्ष रक्षा बिक्री और उन्नत उपकरणों जैसे गोला-बारूद, ड्रोन एवं निगरानी विमान के संयुक्त विकास को प्रोत्साहित करता है।
- यह “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” के अंतर्गत स्वदेशी निर्माण का समर्थन करता है और भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता एवं सैन्य आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग
- अमेरिका ने 2016 में भारत को “प्रमुख रक्षा साझेदार” (Major Defence Partner – MDP) घोषित किया।
- 2016 से 2020 के बीच दोनों देशों ने चार प्रमुख समझौते किए, जिनमें लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) 2016, कम्युनिकेशन्स कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA) 2018, और बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) 2020 शामिल हैं।
- 2024 में, दोनों देशों ने सुरक्षा आपूर्ति व्यवस्था (SOSA) और संपर्क अधिकारी नियुक्ति संबंधी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को मजबूती मिली।
- 2025 में, भारतीय और अमेरिकी सैनिकों ने अलास्का के फोर्ट वेनराइट में दो सप्ताह का सैन्य अभ्यास “युद्ध अभ्यास” किया।
- भारत की रक्षा सूची में अमेरिका-निर्मित उपकरण शामिल हैं जैसे सुपर हरक्यूलिस, ग्लोबमास्टर, पोसाइडन विमान; चिनूक, सीहॉक एवं अपाचे हेलीकॉप्टर; हारपून मिसाइलें; और M777 होवित्ज़र तोपें।
चुनौतियाँ
- रूस के साथ भारत के संबंध और रणनीतिक स्वायत्तता की नीति अमेरिकी अपेक्षाओं को जटिल बना सकती है।
- अमेरिकी निर्यात नियंत्रण और बौद्धिक संपदा (IP) संबंधी चिंताएँ अत्याधुनिक प्रणालियों तक पूर्ण पहुँच को सीमित कर सकती हैं।
- सैन्य सिद्धांतों और उपकरण मानकों में अंतर सैन्य अंतर-संचालन में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
Sources: TH
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