पाठ्यक्रम: GS3/अवसंरचना
संदर्भ
- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 के दौरान मैरीटाइम लीडर्स कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के समुद्री क्षेत्र ने ‘ऐतिहासिक प्रगति’ की है, जिससे देश वैश्विक समुद्री व्यापार में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है।
भारत का समुद्री क्षेत्र
- भारत के कुल व्यापार का लगभग 95% मात्रा के आधार पर और लगभग 70% मूल्य के आधार पर समुद्री मार्गों से होता है।
- वित्त वर्ष 2024–25 में प्रमुख बंदरगाहों ने लगभग 855 मिलियन टन कार्गो को संभाला, जो समुद्री व्यापार और बंदरगाह दक्षता में मजबूत वृद्धि को दर्शाता है।
- मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 में 150+ पहलों की रूपरेखा है, जिसमें ₹3–3.5 लाख करोड़ के अनुमानित निवेश की योजना है, जिसे हाल ही में ₹69,725 करोड़ के शिपबिल्डिंग पैकेज से समर्थन मिला है।
भारत के बंदरगाह: नए मानक
- क्षमता और दक्षता में विस्तार: भारत की बंदरगाह क्षमता 2014 में 1,400 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) से बढ़कर 2025 में 2,762 MMTPA हो गई है।
- कार्गो हैंडलिंग वॉल्यूम 972 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) से बढ़कर 1,594 MMT हो गया है, जिसमें प्रमुख बंदरगाहों ने FY 2024–25 में 855 MMT संभाला, जो विगत वर्ष के 819 MMT से अधिक है।
- औसत पोत टर्नअराउंड समय 93 घंटे से घटकर 48 घंटे हो गया है, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा और थ्रूपुट में सुधार हुआ है।
- वित्तीय मजबूती और उत्पादकता: भारत के समुद्री क्षेत्र का वार्षिक शुद्ध अधिशेष ₹1,026 करोड़ से बढ़कर ₹9,352 करोड़ हो गया है, जबकि परिचालन अनुपात 73% से घटकर 43% हो गया है, जो सुदृढ़ वित्तीय अनुशासन और संचालन स्थिरता को दर्शाता है।
भारतीय शिपिंग: बेड़े और क्षमता का विस्तार
- बेड़े और टन भार में वृद्धि: भारत का शिपिंग बेड़ा 1,205 से बढ़कर 1,549 भारतीय ध्वजवाहक जहाजों तक पहुंच गया है, और सकल टन भार 10 MGT से बढ़कर 13.52 MGT हो गया है, जो समुद्री व्यापार में राष्ट्रीय क्षमता को दर्शाता है।
- तटीय शिपिंग का उदय: तटीय कार्गो परिवहन 87 MMT से बढ़कर 165 MMT हो गया है, जो कम लागत और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन की रणनीतिक दिशा को दर्शाता है।
- समुद्री कार्यबल को सशक्त बनाना: भारत का नाविक समुदाय 1.25 लाख से बढ़कर 3 लाख से अधिक हो गया है, जो अब वैश्विक कार्यबल का 12% है।
- भारत प्रशिक्षित नाविकों के शीर्ष तीन वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में शामिल है, जिससे जहाज संचालन और लॉजिस्टिक्स में वैश्विक अवसर सृजित हो रहे हैं।
भारत की अंतर्देशीय जलमार्ग प्रणाली
- अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने 2025 में रिकॉर्ड 146 MMT कार्गो परिवहन की सूचना दी, जो 2014 के 18 MMT से 710% की वृद्धि है।
- चालू जलमार्गों की संख्या 3 से बढ़कर 29 हो गई है, जिससे भारत का नदी आधारित लॉजिस्टिक्स नेटवर्क सुदृढ़ हुआ है।
- हाल्दिया मल्टी-मोडल टर्मिनल (MMT), पश्चिम बंगाल — जिसे विश्व बैंक के सहयोग से विकसित किया गया और पीपीपी मोड में IRC प्राकृतिक संसाधन को सौंपा गया — की क्षमता 3.08 MMTPA है, जो मल्टीमॉडल परिवहन एकीकरण में एक माइलस्टोन है।
- फेरी और रो-पैक्स क्रांति: 2024–25 में 7.5 करोड़ से अधिक यात्रियों ने फेरी और रो-पैक्स सेवाओं का उपयोग किया, जो जल आधारित परिवहन में जनविश्वास को दर्शाता है।

भारत के समुद्री क्षेत्र की समस्याएं और चुनौतियाँ
- विखंडित शासन और पुराना कानून: समुद्री क्षेत्र कई कानूनों द्वारा शासित है, जिनमें से कुछ 19वीं सदी के हैं, जैसे कि भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908।
- हालिया सुधार जैसे कि भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 शासन को आधुनिक बनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन शक्ति के केंद्रीकरण और संघीय संतुलन के क्षरण को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।
- गैर-प्रमुख बंदरगाहों का प्रदर्शन कमजोर: नीति आयोग के एक अध्ययन में पाया गया कि गैर-प्रमुख बंदरगाहों में पर्याप्त बुनियादी ढांचा, कुशल जनशक्ति और कनेक्टिविटी की कमी है, जिससे उनका राष्ट्रीय व्यापार में योगदान सीमित है।
- इनमें से कई बंदरगाह क्षमता से कम पर कार्य करते हैं और नियामक बाधाओं का सामना करते हैं।
- बुनियादी ढांचा और लॉजिस्टिक्स की बाधाएं: कई बंदरगाह परियोजनाएं भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय मंजूरी और एजेंसियों के बीच समन्वय में देरी का सामना कर रही हैं।
- अंतर्देशीय जलमार्ग विकास धीमी गति से हो रहा है, जिससे मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स की दक्षता प्रभावित हो रही है।
- पर्यावरण और स्थिरता संबंधी चिंताएं: बंदरगाहों पर हरित तकनीकों को अपनाने का दबाव है, लेकिन शोर पावर, अपशिष्ट प्रबंधन और उत्सर्जन नियंत्रण का कार्यान्वयन असमान है।
- पारादीप, तूतीकोरिन और कांडला में हरित हाइड्रोजन हब की पहल आशाजनक है, लेकिन अभी प्रारंभिक चरण में है।
- सीमित घरेलू शिपिंग क्षमता: भारत का शिपिंग बेड़ा वैश्विक मानकों की तुलना में छोटा है, जिससे कार्गो परिवहन के लिए विदेशी जहाजों पर भारी निर्भरता है।
- कर असमानताएं और प्रोत्साहनों की कमी ने घरेलू जहाज निर्माण एवं बेड़े विस्तार को हतोत्साहित किया है।
- कौशल अंतर और समुद्री शिक्षा: समुद्री प्रशिक्षण संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आधुनिक बनाने की आवश्यकता है।
- बंदरगाह संचालन, समुद्री इंजीनियरिंग और लॉजिस्टिक्स प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की कमी है।
- सुरक्षा और रणनीतिक कमजोरियाँ: समुद्री सुरक्षा चुनौतियों में समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ना और हिंद महासागर क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव शामिल हैं।
- तटीय राज्यों और एजेंसियों के बीच समन्वय अभी भी प्रगति पर है।
संबंधित प्रयास और पहलें
- रणनीतिक निवेश और योजनाएं:मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV) 2030 के अंतर्गत भारत बंदरगाहों, शिपिंग और अंतर्देशीय जलमार्गों में ₹3–3.5 लाख करोड़ के निवेश की योजना बना रहा है। प्रमुख वित्तीय स्तंभों में शामिल हैं:
- मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड (MDF): दीर्घकालिक शिपिंग वित्त के लिए ₹25,000 करोड़ का कोष।
- शिपबिल्डिंग वित्तीय सहायता योजना (SBFAS): घरेलू लागत असमानताओं की भरपाई के लिए ₹24,736 करोड़।
- शिपबिल्डिंग विकास योजना (SbDS): ग्रीनफील्ड क्लस्टर और यार्ड विस्तार के लिए ₹19,989 करोड़।
- भारतीय जहाज प्रौद्योगिकी केंद्र (ISTC): विशाखापत्तनम में R&D, डिज़ाइन और कौशल के लिए ₹305 करोड़ की सुविधा।
- सागरमाला कार्यक्रम: यह मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV) 2030 और मैरीटाइम अमृत काल विज़न 2047 का एक प्रमुख घटक है, जिसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना, बंदरगाह-आधारित विकास को बढ़ावा देना और रोजगार सृजित करना है।
- ₹5.8 लाख करोड़ की लागत वाली 840 परियोजनाओं में से 272 परियोजनाएं (₹1.41 लाख करोड़) पूरी हो चुकी हैं, जबकि 217 परियोजनाएं (₹1.65 लाख करोड़) प्रगति पर हैं — जो भारत के तटीय और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना को रूपांतरित कर रही हैं।
- पूर्वोत्तर और पर्यटन को बढ़ावा: पूर्वोत्तर भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग अवसंरचना में ₹1,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया गया है। क्रूज़ भारत मिशन के अंतर्गत असम की ब्रह्मपुत्र नदी के लिए ₹250 करोड़ मूल्य के लक्ज़री क्रूज़ जहाजों का निर्माण किया जा रहा है।
- मैरीटाइम अमृत काल विज़न 2047: यह ₹80 लाख करोड़ के निवेश के साथ एक दीर्घकालिक रोडमैप प्रस्तुत करता है, जिसका लक्ष्य हरित बंदरगाह, सतत शिपिंग, डिजिटल लॉजिस्टिक्स और जहाज निर्माण नवाचार है। प्रमुख पहलों में शामिल हैं:
- हरित कॉरिडोर और मिथेनॉल-ईंधन चालित पोत
- प्रमुख बंदरगाहों पर हरित हाइड्रोजन बंकरिंग
- भारत को 2047 तक वैश्विक समुद्री नेतृत्व में लाने के लिए 300 से अधिक क्रियाशील पहलें
- अन्य प्रमुख परियोजनाएं:
- बहुड़ा (ओडिशा) में ग्रीनफील्ड पोर्ट: 150 MTPA क्षमता, ₹21,500 करोड़ का निवेश
- वाटर मेट्रो परियोजना (पटना): ₹908 करोड़ की इलेक्ट्रिक फेरी प्रणाली
- SCI–तेल PSU संयुक्त उद्यम: भारत की पोत स्वामित्व क्षमता को सुदृढ़ करना
- लाइटहाउस म्यूज़ियम (लोथल, गुजरात): ₹266 करोड़ की सांस्कृतिक परियोजना
- NMPA पहलें: 8 प्रमुख परियोजनाएं, जिनमें ₹107 करोड़ की लागत वाला 150-बेड का अस्पताल और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए समर्पित क्रूज़ गेट शामिल हैं