भारत का जनसांख्यिकी मिशन

पाठ्यक्रम: GS1/ जनसंख्या एवं समाज, GS2/ शासन एवं अधिकार

संदर्भ

  • स्वतंत्रता दिवस संबोधन 2025 में प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत की उभरती जनसांख्यिकीय चुनौतियों से निपटने और अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए एक उच्च-शक्ति जनसांख्यिकीय मिशन शुरू किया जाएगा। 
  • यह घोषणा सीमा सुरक्षा एवं राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा के उद्देश्य से की गई थी, और इसने एक व्यापक परिचर्चा पुनः प्रारंभ कर दी है — क्या भारत को एक पृथक जनसंख्या नियंत्रण नीति की आवश्यकता है या समावेशन, मानव विकास तथा समान क्षेत्रीय वृद्धि पर आधारित एक संरचनात्मक जनसांख्यिकीय दृष्टिकोण की?

जनसांख्यिकीय मोड़ (Demographic Crossroads) पर भारत 

  • भारत वर्तमान में विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है (1.44 अरब), और एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय मोड़ पर खड़ा है। 
  • भारत की युवा जनसंख्या(65% की आयु 35 वर्ष से कम) अवसर और जोखिम दोनों प्रस्तुत करती है, यह इस पर निर्भर करता है कि इसे कितनी कुशलता से उत्पादक एवं प्रशिक्षित कार्यबल में परिवर्तित किया जा सकता है। 
  • ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि जनसंख्या नीति ने केवल प्रजनन नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित किया है, जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रवासन और वृद्धावस्था जैसे जनसांख्यिकीय के गुणात्मक पहलुओं की अनदेखी की गई है।

जनसांख्यिकीय मिशन क्या है? 

  • यह एक प्रस्तावित राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य भारत के जनसांख्यिकीय परिवर्तन — प्रजनन, मृत्यु दर, प्रवासन एवं जनसंख्या वितरण — की निगरानी, प्रबंधन और विश्लेषण करना है, ताकि संतुलित विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा तथा सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके। 
  • इस मिशन में एक उच्च-शक्ति राष्ट्रीय आयोग की स्थापना भी शामिल है, जो जनसांख्यिकीय मूल्यांकन, प्रवासन प्रबंधन और जनसंख्या नीति समन्वय के लिए केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा। 
  • यह डेटा एनालिटिक्स, सैटेलाइट मैपिंग और डिजिटाइज्ड जनगणना प्लेटफॉर्म का उपयोग करके वास्तविक समय में निगरानी करेगा।

भारत को जनसांख्यिकीय मिशन की आवश्यकता क्यों है? 

  • राष्ट्रीय जनसांख्यिकीय इंटेलिजेंस फ्रेमवर्क बनाना: भारत की अंतिम पूर्ण जनगणना 2011 में हुई थी, और सटीक, वास्तविक समय की जनसांख्यिकीय जानकारी नीति नियोजन, कल्याण लक्षितकरण एवं प्रवासन प्रबंधन के लिए अत्यंत आवश्यक है। 
  • मानव पूंजी असमानता को संबोधित करना: शैक्षिक और स्वास्थ्य अवसंरचना क्षेत्रों में असमान बनी हुई है, जिससे रोजगार एवं उत्पादकता में अंतर उत्पन्न होता है।
    • यह मिशन संसाधनों के संतुलित वितरण को सक्षम बना सकता है। 
  • प्रवासन और गतिशीलता का प्रबंधन: प्रवासन सामाजिक-आर्थिक जीवनरेखा भी है तथा राजनीतिक तनाव का कारण भी। जनसांख्यिकीय मिशन को गरिमा के साथ गतिशीलता सुनिश्चित करनी चाहिए, आंतरिक प्रवासियों को सामाजिक सुरक्षा तंत्र एवं मतदाता सूची में एकीकृत करना चाहिए। 
  • वृद्ध भारत की तैयारी: बढ़ती दीर्घायु के साथ, वृद्ध जनसंख्या 2050 तक 30 करोड़ तक पहुँचने की संभावना है।
    • स्वास्थ्य देखभाल, पेंशन एवं सामुदायिक देखभाल की योजना अभी से शुरू करनी होगी। 
  • जनसांख्यिकी को विकास से जोड़ना: जनसंख्या डेटा को आर्थिक, शहरी और श्रम नियोजन से जोड़ना जनसांख्यिकीय-संवेदनशील नीति निर्माण सुनिश्चित करेगा, जो प्रति व्यक्ति औसत से आगे बढ़ेगा।

चुनौतियाँ

  • डेटा की कमी: अद्यतन जनगणना के अभाव में योजना और संसाधन आवंटन कठिन हो जाता है।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ: प्रजनन दर, शिक्षा और स्वास्थ्य परिणाम राज्यों के बीच व्यापक रूप से भिन्न हैं।
  • राजनीतिक संवेदनशीलताएँ: प्रवासन और जनसंख्या नीतियाँ प्रायः धर्म, पहचान और संघवाद जैसे मुद्दों से जुड़ जाती हैं।
  • वृद्धावस्था का बोझ: वृद्धों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की कमी भविष्य की वित्तीय स्थिरता को खतरे में डालती है।
  • क्षमता विभाजन: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास कुछ क्षेत्रों तक सीमित हैं, जिससे जनसांख्यिकीय लाभ सीमित हो जाता है।

आगे की राह

  • संस्थागत सुधार: जनसांख्यिकीय नियोजन के लिए जनसंख्या और प्रवासन पर एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना का समय आ गया है।
  • एकीकृत डेटा प्रणाली: जनगणना, NFHS, श्रम ब्यूरो और आधार डेटासेट को जोड़कर वास्तविक समय की जनसांख्यिकीय निगरानी सुनिश्चित करें।
  • मानव क्षमता सूचकांक: शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल गुणवत्ता को मापने के लिए राज्यवार सूचकांक विकसित करें।
  • सामाजिक सुरक्षा पर पुनर्विचार: आजीवन शिक्षा, पेंशन कवरेज और सामुदायिक आधारित वृद्ध देखभाल को प्रोत्साहित करें।
  • संघीय सहयोग: जनसांख्यिकीय चुनौतियों के समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय आवश्यक है।
  • विचारधारा में बदलाव: जनसंख्या नियंत्रण से जनसंख्या सशक्तिकरण की ओर — प्रत्येक नागरिक को राष्ट्रीय विकास में योगदानकर्ता बनाना।

निष्कर्ष 

  • भारत का जनसांख्यिकीय मिशन एक मानव-केंद्रित राष्ट्रीय परियोजना के रूप में विकसित होना चाहिए, जो जनसंख्या को भार नहीं बल्कि भविष्य की समृद्धि की नींव के रूप में देखे। 
  • जैसे-जैसे जनसांख्यिकीय संक्रमण आगे बढ़ेगा, भारत को अपनी युवा ऊर्जा को उत्पादकता में बदलना होगा, प्रवासन का मानवीय प्रबंधन करना होगा और वृद्धावस्था की गरिमा के साथ तैयारी करनी होगी।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत का जनसांख्यिकी मिशन, 2025, अवैध घुसपैठ को नियंत्रित करने तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसका उद्देश्य जनसांख्यिकीय खुफिया और क्षमता ढांचा तैयार करना होना चाहिए।” चर्चा करें।

Source: TH

 

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