भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) प्रभावी

पाठ्यक्रम :GS3/अर्थव्यवस्था

समाचार में 

  • भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) प्रभाव में आ गया है। 
क्या आप जानते हैं? 
– यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड का एक अंतर-सरकारी संगठन है।
– इसकी स्थापना 1960 में इसके सात सदस्य देशों द्वारा मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।

भारत-EFTA व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) 

  • TEPA एक आधुनिक और महत्वाकांक्षी समझौता है, जिसमें प्रथम बार भारत द्वारा हस्ताक्षरित किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में निवेश और रोजगार सृजन से जुड़ी प्रतिबद्धता को शामिल किया गया है।
    • यह समझौता मार्च 2024 में नई दिल्ली में हस्ताक्षरित हुआ था। 
  • यह 14 अध्यायों में विभाजित है, जिनका मुख्य फोकस वस्तुओं से संबंधित बाजार पहुंच, उत्पत्ति के नियम, व्यापार सुविधा, व्यापार उपाय, स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, निवेश प्रोत्साहन, सेवाओं में बाजार पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार एवं सतत विकास तथा अन्य कानूनी और क्षैतिज प्रावधानों पर है।

समझौते की प्रमुख विशेषताएं

  • बाजार पहुंच: EFTA ने गैर-कृषि वस्तुओं पर 100% शुल्क समाप्ति और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर छोट देने का वादा किया है, जो भारत के 99.6% निर्यात को कवर करता है।
    • यह 15 वर्षों में 100 अरब अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने और भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजन का लक्ष्य रखता है।
  • भारत की पेशकश: 82.7% शुल्क लाइनों (EFTA के 95.3% निर्यात) को कवर करती है, जिसमें फार्मा, खाद्य, डेयरी और सोने जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के लिए सुरक्षा दी गई है।
  • सेवाएं और गतिशीलता: भारत और EFTA ने 100 से अधिक उप-क्षेत्रों में बाजार पहुंच की पेशकश की है।
    • समझौता डिजिटल सेवा वितरण, वाणिज्यिक उपस्थिति और पेशेवरों के अस्थायी प्रवास की अनुमति देता है।
    • यह नर्सिंग और लेखांकन जैसे पेशों में पारस्परिक मान्यता समझौतों को सक्षम बनाता है।
  • बौद्धिक संपदा: समझौता TRIPS स्तर के IPR मानकों को बनाए रखता है, भारत की जेनेरिक दवा हितों की रक्षा करता है और सतत विकास को बढ़ावा देता है।
  • सततता और कौशल: सतत विकास, व्यावसायिक प्रशिक्षण और स्वास्थ्य विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा और अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • क्षेत्रीय लाभ: मशीनरी, रसायन, वस्त्र और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे क्षेत्रों के भारतीय निर्यातकों को कम शुल्क और EFTA बाजारों तक आसान पहुंच का लाभ मिलेगा। 

महत्व

  • रणनीतिक यूरोपीय जुड़ाव: EFTA यूरोपीय संघ और यूके के साथ तीन प्रमुख यूरोपीय आर्थिक ब्लॉकों में से एक है।
    • EFTA की उन्नत अर्थव्यवस्थाएं, विशेष रूप से स्विट्ज़रलैंड एवं नॉर्वे, वित्त, इंजीनियरिंग, खाद्य और स्वास्थ्य विज्ञान में दृढ संभावनाएं प्रदान करती हैं।
  • निर्यात को बढ़ावा: मशीनरी, रसायन, वस्त्र और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे क्षेत्रों को उच्च मूल्य वाले यूरोपीय बाजारों तक बेहतर पहुंच मिलेगी।
  • रोजगार सृजन और कौशल विकास: TEPA से रोजगार उत्पन्न होने और भारत की मानव पूंजी को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
  • द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती: विशेष रूप से स्विट्ज़रलैंड के साथ, जो भारत का सबसे बड़ा EFTA व्यापारिक भागीदार है।

चुनौतियां

  • संवेदनशील क्षेत्र सुरक्षा: भारत ने फार्मा, डेयरी, कोयला और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे क्षेत्रों को बाहर रखा है या सावधानीपूर्वक वार्ता की है।
  • फार्मा, चिकित्सा उपकरण, प्रसंस्कृत खाद्य, डेयरी, सोया, कोयला और संवेदनशील कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों को संरक्षित किया गया है।
  • व्यापार असंतुलन: भारत में EFTA के 80% से अधिक निर्यात सोना है, जिससे पारस्परिक व्यापार लाभों पर चिंता उत्पन्न होती है।
  • कार्यान्वयन की जटिलता: विविध क्षेत्रों और नियामक ढांचों में समन्वय करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • सीमित बाजार आकार: EFTA की जनसंख्या छोटी है, हालांकि इसका GDP बड़ा है।

निष्कर्ष और आगे की राह 

  • TEPA भारत को नवाचार, विनिर्माण और वैश्विक व्यापार के केंद्र के रूप में स्थापित करता है और भारतीय निर्यातकों के लिए नए द्वार खोलता है। 
  • यह भारत-यूरोप संबंधों में विकास, प्रौद्योगिकी और सततता द्वारा संचालित एक नए चरण का प्रतीक है। 
  • TEPA भारत की व्यापार कूटनीति में एक परिवर्तनकारी बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है—जो बाजार पहुंच, निवेश और रोजगार को एक ही ढांचे में एकीकृत करता है। 
  • TEPA वस्तुओं और सेवाओं के लिए बाजार पहुंच को बढ़ाता है, बौद्धिक संपदा अधिकारों को सुदृढ़ करता है और सतत, समावेशी विकास को बढ़ावा देता है, साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों का समर्थन करता है।

Source :PIB

 

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