पाठ्यक्रम:GS3/पर्यावरण
समाचार में
- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय और केंद्र सरकार के बीच किसानों द्वारा पराली जलाने के मुद्दे को लेकर मतभेद सामने आए।
पराली जलाना
- पराली (Stubble) जलाना गेहूं की बुवाई के लिए खेत से धान की फसल के अवशेषों को हटाने की एक विधि है।
- यह एक प्रक्रिया है जिसमें धान जैसी फसलों की कटाई के बाद बचे हुए भूसे को आग लगाकर नष्ट किया जाता है।
प्रचलन
- धान की पराली जलाने की प्रथा मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के इंडो-गैंगेटिक मैदानों में रबी फसल की बुवाई के लिए खेतों को साफ करने हेतु अपनाई जाती है।
- पंजाब और हरियाणा में धान की कटाई अक्टूबर के पहले से अंतिम सप्ताह के बीच होती है।
कारण
- पराली जलाने का मुख्य कारण धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच उपलब्ध कम समय है, क्योंकि गेहूं की बुवाई में देरी से फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- पराली जलाना कटाई के बाद खेत को साफ करने का सबसे सस्ता तरीका माना जाता है।
प्रभाव
- प्रदूषण: पराली जलाने से वायुमंडल में विषैले प्रदूषक उत्सर्जित होते हैं, जिनमें कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), मीथेन (CH₄), कैंसरकारी पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, वाष्पशील जैविक यौगिक (VOC) शामिल हैं।
- ये प्रदूषक वातावरण में फैलकर वायु गुणवत्ता और लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, जिससे धुंध की परत वातावरण को ढक लेती है।
- मृदा उर्वरता: जब भूसे को भूमि पर जलाया जाता है तो मृदा की उर्वरता घट जाती है और पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
- ऊष्मा का प्रवेश: पराली जलाने से उत्पन्न ऊष्मा मृदा में प्रवेश करती है, जिससे कटाव बढ़ता है, उपयोगी सूक्ष्मजीव और नमी को हानि होती है।
न्यायपालिका का हालिया दृष्टिकोण
- मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने इस प्रथा को रोकने के लिए आपराधिक अभियोजन को पुनः लागू करने या नया कानून बनाने का सुझाव दिया, यह तर्क देते हुए कि सख्त कार्रवाई से मजबूत संदेश जाएगा।
- न्यायालय ने कहा कि किसानों को सम्मान मिलना चाहिए, लेकिन उन्हें पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।
- न्यायालय ने केंद्र सरकार को सभी राज्यों को शामिल करते हुए एक समान नीति बनाने का सुझाव दिया और यह भी कहा कि वह एक मैंडमस (कानूनी आदेश) जारी कर सकती है।
सरकार का दृष्टिकोण
- केंद्र ने किसानों को अपराधी घोषित करने का विरोध किया, यह कहते हुए कि उसकी नीति किसानों के साथ सहयोग करने की है, न कि उन्हें जेल भेजने की।
- सरकार ने यह भी बताया कि किसानों को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम के अंतर्गत छूट दी गई है।
- सरकार ने स्पष्ट किया कि उसका दृष्टिकोण नीतिगत है, न कि वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित।
- केंद्र ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने पर सहमति जताई।
भारत में संबंधित कदम
- कृषि और किसान कल्याण विभाग (DA&FW) 2018-19 से फसल अवशेष प्रबंधन योजना लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पराली जलाने को रोकना है — इसके लिए इन-सिटू और एक्स-सिटू दोनों समाधान बढ़ावा दिए जा रहे हैं।
- इस योजना के अंतर्गत किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी खरीदने के लिए 50% वित्तीय सहायता दी जाती है, और ग्रामीण उद्यमियों, एफपीओ, सहकारी समितियों एवं पंचायतों को कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) स्थापित करने के लिए 80% सहायता दी जाती है।
- यह योजना बायोमास और जैव ईंधन उद्योगों के लिए धान की पराली आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने हेतु पूंजी लागत का 65% (₹1.5 करोड़ तक) समर्थन करती है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पराली जलाने की निगरानी के लिए मानक प्रोटोकॉल विकसित किए हैं, जबकि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने राज्यों एवं विद्युत संयंत्रों को इन-सिटू और एक्स-सिटू भूसे प्रबंधन के लिए विभिन्न निर्देश जारी किए हैं।
Source :TH
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