पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे
संदर्भ
- भारत में स्वास्थ्य पर आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) में तीव्र गिरावट के बावजूद, गहराई से विश्लेषण करने पर इससे जुड़ी कई स्थायी चिंताएं सामने आती हैं।
जेब से होने वाला स्वास्थ्य व्यय (OOPE) के बारे में
- यह उन प्रत्यक्ष भुगतानों को दर्शाता है जो व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करता है — बिना किसी प्रतिपूर्ति के।
- इसमें डॉक्टर से परामर्श, दवाइयाँ और जांच, अस्पताल में भर्ती एवं सर्जरी, परिवहन एवं अनौपचारिक देखभाल आदि की लागत शामिल होती है।
- भारत में OOPE ऐतिहासिक रूप से विश्व में सबसे अधिक रहा है, जो प्रायः परिवारों को गरीबी या कर्ज की ओर ले जाती है।
भारत में OOPE के हालिया प्रवृति
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) के अनुमानों के अनुसार, भारत में कुल स्वास्थ्य व्यय में OOPE की हिस्सेदारी 2013-14 में 64% से घटकर 2017-18 में 49% और 2021-22 में घटकर 39% हो गई है।
OOPE में गिरावट के कारण
- सरकारी स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि: 2014–15 में GDP का 1.13% से बढ़कर 2021–22 में 1.84% और FY 2023-24 में 1.9% तक पहुँचा।
- हालांकि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) 2017 का लक्ष्य 2025 तक GDP का 2.5% है।
- आयुष्मान भारत – पीएम-जय: भारत की निम्न वर्ग की 40% जनसंख्या को लक्षित करता है — लगभग 55 करोड़ लोग, 12 करोड़ परिवारों में।
- निःशुल्क दवाइयाँ और जांच पहलें: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सरकार ने शुरू कीं:
- राष्ट्रीय निःशुल्क दवा सेवा पहल
- निःशुल्क जांच सेवा पहल
- सस्ती दवा कार्यक्रम: प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) और AMRIT फार्मेसी।
- बुनियादी ढांचे और बजट का विस्तार:
- आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM) प्राथमिक और तृतीयक देखभाल प्रणालियों को सुदृढ़ करता है।
- स्वास्थ्य बजट 2017–18 के ₹47,353 करोड़ से बढ़कर 2024–25 में ₹87,657 करोड़ हो गया — 85% की वृद्धि।
- 15वें वित्त आयोग ने स्थानीय सरकारों को स्वास्थ्य के लिए ₹70,051 करोड़ अनुदान आवंटित किया।
OOPE से जुड़ी चिंताएं और समस्याएं
- NSS डेटा पर निर्भरता: NHA के अनुमान मुख्य रूप से राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के 75वें चरण (2017-18) पर आधारित हैं।
- यदि बीमारियों की रिपोर्टिंग कम हो या अस्पताल उपयोग घटा हो, तो OOPE के अनुमान कृत्रिम रूप से कम हो सकते हैं।
- कोविड-19 का अंधा क्षेत्र: NHA ढांचा महामारी के दौरान हुए भारी संकट को दर्ज नहीं कर पाया, क्योंकि इस अवधि में कोई NSS डेटा एकत्र नहीं हुआ।
- उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (CES) 2022-23: यह दर्शाता है कि घरेलू उपभोग व्यय में OOPE की हिस्सेदारी बढ़ी है — ग्रामीण क्षेत्रों में 2011-12 के 5.5% से 2022-23 में 5.9% और शहरी क्षेत्रों में 6.9% से 7.1% तक।
- CPHS-CMIE डेटा: ‘V’-आकार की प्रवृति दिखाती है — कोविड-19 के दौरान OOPE में तीव्र गिरावट, फिर तीव्र वृद्धि — जो NHA के दृष्टिकोण में पूरी तरह गायब है।
- राष्ट्रीय आय लेखा (NIA): यह GDP के हिस्से के रूप में घरेलू स्वास्थ्य व्यय में लगातार वृद्धि दर्ज करता है, जो NHA द्वारा रिपोर्ट की गई गिरावट से विरोधाभासी है।
आगे की राह: OOPE को कम करने के समाधान
- डेटा संग्रह को मजबूत करना:
- डेटा स्रोतों का त्रिकोणीकरण: NSS के साथ CES, NFHS, LASI, CMIE और निजी क्षेत्र के डेटा को पूरक बनाएं।
- संकट प्रभावों को दर्ज करना: महामारी से संबंधित आघातों और उसके बाद की पुनर्प्राप्ति प्रवृत्तियों को शामिल करें।
- निरंतर निगरानी: घरेलू स्वास्थ्य व्यय को ट्रैक करने के लिए अधिक गतिशील, बहु-स्रोत दृष्टिकोण विकसित करें।
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को स्सुद्रिध करना:
- शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में निवेश करना महंगे तृतीयक देखभाल पर निर्भरता को कम कर सकता है।
- रोकथाम सेवाएं और प्रारंभिक निदान दीर्घकालिक लागत को कम करने की कुंजी हैं।
- बीमा कवरेज का विस्तार:
- बाह्य रोगी सेवाएं, जांच और आवश्यक दवाओं को सार्वजनिक बीमा योजनाओं जैसे AB-PMJAY में शामिल करें।
- सस्ती दवाओं को बढ़ावा देना:
- जन औषधि केंद्रों और AMRIT फार्मेसी जैसी पहलों को बढ़ाएं ताकि देशभर में कम लागत वाली, गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं की पहुंच सुनिश्चित हो सके।
- बजट दक्षता में सुधार:
- यह सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य बजट केवल बढ़े नहीं, बल्कि प्रभावी रूप से उपयोग भी हो।
- फंड आवंटन में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सेवा वितरण को बेहतर बना सकती है तथा रिसाव को कम कर सकती है।
- स्वास्थ्य साक्षरता और व्यवहार परिवर्तन:
- नागरिकों को रोकथाम देखभाल, तर्कसंगत दवा उपयोग और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लाभों के बारे में शिक्षित करें।
- व्यवहार परिवर्तन अभियान अनावश्यक चिकित्सा यात्राओं को कम कर सकते हैं और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दे सकते हैं।
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