पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य
संदर्भ
- तीन दशक पूर्व , गांवों में गैर-संचारी रोग (NCDs) दुर्लभ थे; लेकिन आज, निम्न और मध्यम आय वाले देश शहरों से गांवों तक फैले NCDs के भार का सामना कर रहे हैं।
गैर-संचारी रोग (NCDs)
- NCDs, जिन्हें दीर्घकालिक रोग भी कहा जाता है, सामान्यतः लंबे समय तक चलते हैं और आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरणीय अवं व्यवहारिक कारकों के संयोजन का परिणाम होते हैं।
- NCDs के मुख्य प्रकार हैं:
- हृदय संबंधी रोग (जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक)
- कैंसर
- दीर्घकालिक श्वसन रोग (जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अस्थमा)
- मधुमेह
- प्रमुख NCDs चार व्यवहारिक जोखिम कारकों से जुड़े हैं:
- अस्वस्थ आहार
- शारीरिक गतिविधि की कमी
- तंबाकू और शराब का सेवन
- हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर, मधुमेह और दीर्घकालिक फेफड़ों की बीमारियाँ मिलकर विश्वभर में 74% मृत्युओं के लिए उत्तरदायी हैं।
- ये विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों को प्रभावित करते हैं, जहाँ वैश्विक NCD मौतों का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा होता है।
भारत में NCDs
- भारत में कुल मृत्युओं का 60% हिस्सा NCDs के कारण होता है।
- हृदय संबंधी रोग (कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, अवं उच्च रक्तचाप) NCD मृत्युओं में 45% योगदान करते हैं, इसके बाद दीर्घकालिक श्वसन रोग (22%), कैंसर (12%) और मधुमेह (3%)।
- तंबाकू का उपयोग NCDs से संबंधित सबसे बड़ा जोखिम कारक माना गया है।
- लगभग प्रत्येक चार भारतीयों में से एक को 70 वर्ष की आयु से पहले NCD के कारण मृत्यु का खतरा होता है।
भारत में NCDs में वृद्धि के कारण?
- अस्वस्थ आहार: प्रसंस्कृत, उच्च वसा, उच्च चीनी और कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थों की ओर झुकाव।
- शारीरिक निष्क्रियता: शहरीकरण और डिजिटलकरण के कारण निष्क्रिय जीवनशैली।
- नशे का सेवन: विशेष रूप से युवाओं में तंबाकू और शराब का बढ़ता उपयोग।
- पर्यावरणीय कारक: वायु प्रदूषण दीर्घकालिक श्वसन और हृदय संबंधी रोगों का प्रमुख कारण है।
- रोकथाम स्वास्थ्य देखभाल की कमी: सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में रोकथाम पर कमजोर ध्यान।
- जागरूकता, स्क्रीनिंग और प्रारंभिक पहचान का अभाव।
- रोगों का दोहरा भार: भारत संक्रामक रोगों और NCDs दोनों का सामना कर रहा है, जिससे पहले से सीमित स्वास्थ्य ढांचा एवं अधिक दबाव में है।
- सामाजिक-आर्थिक असमानता: गरीब और हाशिए पर रहने वाली जनसंख्या को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा, स्वस्थ भोजन और शिक्षा तक सीमित पहुंच है।
- निम्न आय वर्गों में भी पोषण संक्रमण और जागरूकता की कमी के कारण NCDs बढ़ रहे हैं।
NCDs के उच्च बोझ की चिंता
- महामारी संक्रमण का परिवर्तन: भारत संक्रामक रोगों से गैर-संचारी रोगों की ओर संक्रमण देख रहा है, यहाँ तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी।
- कई क्षेत्रों में संक्रामक रोगों और बढ़ते NCDs दोनों का सामना करना पड़ता है।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: दीर्घकालिक उपचार के लिए उच्च जेब व्यय(OOPE)।
- कार्यशील आयु वर्ग की उत्पादकता पर प्रभाव।
- लंबे समय तक स्वास्थ्य व्यय के कारण कई परिवार गरीबी का सामना करते हैं।
- स्वास्थ्य प्रणाली की चुनौतियाँ: प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पारंपरिक रूप से मातृ-शिशु और संक्रामक रोगों पर केंद्रित रही है।
- दीर्घकालिक रोग प्रबंधन के लिए स्क्रीनिंग की कमी, जागरूकता की कमी और प्रशिक्षित कार्यबल का अभाव।
भारत सरकार द्वारा NCDs की रोकथाम हेतु उठाए गए कदम
- राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) 2010: कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग एवं स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए भारत सरकार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी तथा वित्तीय सहायता प्रदान करती है—राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत।
- NHM के तहत स्क्रीनिंग: सामान्य NCDs की रोकथाम, नियंत्रण और स्क्रीनिंग के लिए जनसंख्या आधारित पहल।
- 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के तीन सामान्य कैंसरों की स्क्रीनिंग के लिए लक्षित किया जाता है।
- ये स्क्रीनिंग आयुष्मान भारत – हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के सेवा वितरण का अभिन्न हिस्सा हैं।
- जागरूकता कार्यक्रम:
- कैंसर के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस एवं विश्व कैंसर दिवस का आयोजन।
- फिट इंडिया मूवमेंट: युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित, और योग संबंधित गतिविधियाँ आयुष मंत्रालय द्वारा संचालित।
- ईट राइट इंडिया मूवमेंट: खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा संचालित।
- स्वस्थ खाने की आदतों को बढ़ावा देना, ट्रांस फैट, नमक एवं चीनी की मात्रा को कम करना।
- नियामक उपाय:
- ई-सिगरेट पर प्रतिबंध (2019)।
- स्कूलों के पास जंक फूड पर प्रतिबंध और पैकेट के सामने पोषण लेबलिंग—FSSAI दिशानिर्देशों के अंतर्गत।
आगे की राह
- प्रारंभिक स्क्रीनिंग और सतत प्रबंधन के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को सुदृढ़ करें।
- जीवनशैली हस्तक्षेप को बढ़ावा दें: शारीरिक गतिविधि, स्वस्थ आहार, तंबाकू विरोधी अभियान।
- NCDs के लिए सार्वजनिक वित्त पोषण बढ़ाएं।
- डिजिटल स्वास्थ्य उपकरण और टेलीमेडिसिन का उपयोग कर पहुंच का विस्तार करें।
- शहरी नियोजन, खाद्य प्रणाली, शिक्षा और पर्यावरण को शामिल करते हुए बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाएं।
Source: DTE
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