प्रधानमंत्री की मालदीव की राजकीय यात्रा

पाठ्यक्रम : GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सन्दर्भ

  • प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव की राजकीय यात्रा की।

परिचय 

  • दोनों पक्षों ने चार समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान-प्रदान किया और तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
    • मत्स्य पालन, जलीय कृषि, पर्यटन, पर्यावरण, डिजिटल समाधान सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग और एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू करने के लिए संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप देना।
  • भारत ने द्वीप को दोहरे घाटे की समस्या से निपटने में सहायता के लिए ₹4,850 करोड़ की नई ऋण सहायता (एलओसी) देने पर सहमति व्यक्त की।
    • यह प्रथम बार है कि मालदीव को भारतीय रुपये में ऐसा ऋण दिया जा रहा है।
  • दोनों ने मालदीव के वार्षिक ऋण चुकौती दायित्वों को कम करने के लिए एक संशोधन समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • महत्व: भारत-मालदीव संबंधों के पर्यवेक्षक दोनों देशों के बीच नए सहयोग को एक आवश्यक और सकारात्मक विकास के रूप में देखते हैं।

भारत-मालदीव संबंधों पर संक्षिप्त जानकारी

  • विभिन्न मंचों में भागीदारी: दोनों देश दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क), दक्षिण एशियाई आर्थिक संघ के संस्थापक सदस्य हैं और दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता हैं।
  • आर्थिक साझेदारी: भारत 2022 में मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बनकर उभरा और 2023 में सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बन गया, 2023 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 548 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया।
  • पर्यटन: 2023 में, भारत 11.8% बाजार हिस्सेदारी के साथ मालदीव के लिए प्रमुख स्रोत बाजार है।
    • मार्च 2022 में, भारत और मालदीव एक खुले आकाश समझौते पर सहमत हुए, जिससे दोनों देशों के बीच संपर्क में सुधार होगा।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: 1988 से, रक्षा एवं सुरक्षा भारत और मालदीव के बीच सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है।
    • रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए 2016 में रक्षा के लिए एक व्यापक कार्य योजना पर भी हस्ताक्षर किए गए थे।
    • अनुमान बताते हैं कि मालदीव का लगभग 70 प्रतिशत रक्षा प्रशिक्षण भारत द्वारा किया जाता है – या तो द्वीपों पर या भारत की विशिष्ट सैन्य अकादमियों में।
  • कनेक्टिविटी: माले से थिलाफुशी लिंक परियोजना, जिसे ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (जीएमसीपी) के नाम से जाना जाता है, 530 मिलियन अमेरिकी डॉलर की एक बुनियादी ढांचा परियोजना है जिसका उद्देश्य मालदीव की राजधानी और दक्षिण हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप थिलाफुशी के बीच सीधा संपर्क स्थापित करना है।

मालदीव का महत्व:

  • सामरिक महत्व: मालदीव हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित है और इसकी स्थिरता एवं सुरक्षा भारत के लिए महत्वपूर्ण है।
  • व्यापार मार्ग: अदन की खाड़ी एवं मलक्का जलडमरूमध्य के बीच महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर स्थित, मालदीव भारत के लगभग आधे बाहरी व्यापार और 80% ऊर्जा आयात के लिए एक “टोल गेट” के रूप में कार्य करता है।
मालदीव का महत्व
  • चीन का प्रतिसंतुलन: मालदीव भारत के लिए हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रतिसंतुलन करने और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।
  • राजनयिक लाभ: मालदीव के साथ मज़बूत द्विपक्षीय संबंध हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) जैसे मंचों पर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को बढ़ाते हैं।

चुनौतियाँ:

  • सत्ता परिवर्तन: सरकार में परिवर्तन अनिश्चितता उत्पन्न करते हैं और दीर्घकालिक सहयोग परियोजनाओं को जटिल बनाते हैं।
  • चीनी प्रभाव: मालदीव में चीन की बढ़ती आर्थिक उपस्थिति, जो बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश और ऋण-जाल कूटनीति द्वारा प्रमाणित है, को इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों के लिए एक चुनौती माना जा रहा है।
  • गैर-पारंपरिक खतरे: समुद्री डकैती, आतंकवाद एवं मादक पदार्थों की तस्करी इस क्षेत्र में चिंता का विषय बने हुए हैं, जिसके लिए भारत तथा मालदीव के बीच निरंतर सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने की आवश्यकता है।
  • उग्रवाद और कट्टरपंथ: धार्मिक उग्रवाद और कट्टरपंथ के प्रति मालदीव की संवेदनशीलता एक सुरक्षा खतरा उत्पन्न करती है जिसके लिए ऐसी विचारधाराओं का मुकाबला करने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है।
  • व्यापार असंतुलन: भारत और मालदीव के बीच महत्वपूर्ण व्यापार असंतुलन असंतोष को उत्पन्न करता है और मालदीव में व्यापार साझेदारी में विविधता लाने की मांग करता है।

आगे की राह 

  • भारत-मालदीव संबंधों का विकास भू-राजनीतिक गतिशीलता, नेतृत्व में परिवर्तन और साझा क्षेत्रीय हितों के संयोजन को दर्शाता है।
  • भारत मालदीव के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं में दृढ़ है और संबंध बनाने के लिए हमेशा अतिरिक्त प्रयास करता रहा है।
  • चुनौतियों को स्वीकार करके तथा उनका समाधान करके, भारत एवं मालदीव अपने संबंधों की जटिलताओं से निपट सकते हैं और भविष्य के लिए एक अधिक मजबूत, अधिक लचीली और पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी का निर्माण कर सकते हैं।

Source: PIB

 

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