‘सामान्य निवासी’ के रूप में कौन योग्य है?

पाठ्यक्रम: GS2/ राजव्यवस्था और शासन

संदर्भ 

  • बिहार में चुनाव आयोग द्वारा की जा रही विशेष गहन पुनरीक्षण (विशेष गहन पुनरीक्षण- SIR) प्रक्रिया ने प्रवासी श्रमिकों की ‘सामान्य निवासी’ के रूप में मतदाता पंजीकरण की पात्रता को लेकर परिचर्चा को पुनः शुरू कर दिया है।

‘सामान्य निवासी’ कौन होता है?  

  • “सामान्य निवासी” शब्द की परिभाषा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (Representation of the People Act – RP Act) की धारा 19 और 20 के अंतर्गत दी गई है।  
  • धारा 19 के अनुसार, किसी व्यक्ति को किसी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल होने के लिए उस क्षेत्र का सामान्य निवासी होना आवश्यक है।  
  • धारा 20 स्पष्ट करती है कि केवल किसी घर का स्वामित्व या कब्जा होना सामान्य निवासी होने की पुष्टि नहीं करता।
    • यदि कोई व्यक्ति अस्थायी रूप से अपने निवास स्थान से अनुपस्थित है, तो उसे फिर भी उसी स्थान का सामान्य निवासी माना जाएगा।  
    • कुछ विशेष श्रेणियों के व्यक्ति (जैसे सशस्त्र बलों के सदस्य, विदेश में तैनात सरकारी अधिकारी, संवैधानिक पदाधिकारी) को उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र का सामान्य निवासी माना जाता है, भले ही वे शारीरिक रूप से वहां उपस्थित न हों।  
  • पंजीकरण नियम, 1960 (Registration of Electors Rules – RER) RP Act के अंतर्गत बनाए गए हैं, जो मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और सुधार की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
    •   इन नियमों को निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (Electoral Registration Officers) लागू करते हैं और “सामान्य निवासी” शब्द के प्रयोग की निगरानी करते हैं।  
  • गौहाटी उच्च न्यायालय ने मनमोहन सिंह बनाम भारत सरकार (1999) मामले में कहा कि “सामान्य निवासी” का अर्थ उस स्थान का नियमित निवासी होना है।
    • यह निवास स्थायी प्रकृति का होना चाहिए, अस्थायी या आकस्मिक नहीं। व्यक्ति को उस स्थान पर स्थायी रूप से रहने का प्रयोजन होना चाहिए।

प्रवासी श्रमिकों के लिए चुनौतियाँ  

  • भारत में एक बड़ा प्रवासी श्रमिक वर्ग है, विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे गरीब राज्यों से।  
  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (2020-21) के अनुसार, लगभग 11% भारतीय रोजगार के लिए प्रवास करते हैं, जो 15 करोड़ से अधिक लोगों की संख्या है।  प्रमुख समस्याएं:
    • प्रवास की अस्थायी प्रकृति: अधिकांश श्रमिक अल्पकालिक कार्य के लिए प्रवास करते हैं और स्थायी पते के बिना अस्थायी घरों या कार्यस्थल शिविरों में रहते हैं।
    • मतदाता पहचान और पंजीकरण की कमी: कई प्रवासी कार्यस्थल पर मतदाता के रूप में पंजीकरण नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास आवश्यक दस्तावेज नहीं होते या वे बार-बार स्थान बदलते हैं।
    • मतदाता पंजीकरण स्थान बदलने में अनिच्छा: प्रवासियों के अपने मूल गांव या कस्बों से सामाजिक और आर्थिक संबंध अधिक सुदृढ़ होते हैं। वे वहीं मतदान करना पसंद करते हैं जहाँ उनका परिवार और संपत्ति होती है।
    • मताधिकार से वंचित होने का खतरा: यदि मूल निर्वाचन क्षेत्र से नाम हटा दिया जाए और नए कार्यस्थल पर पंजीकरण न हो, तो कई लोग पूरी तरह से मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।

आगे की राह  

  • RP Act और RER में संशोधन: प्रवासी श्रमिकों के लिए सेवा मतदाताओं और प्रवासी भारतीयों (NRIs) की तरह विशेष प्रावधान लाए जाएं।  
  • द्वैध दस्तावेजीकरण की अनुमति: प्रवासी व्यक्ति अपने मूल स्थान का निवास प्रमाण बनाए रख सकें, भले ही वे अस्थायी रूप से अन्यत्र रह रहे हों।  
  • तकनीक का उपयोग: आधार से जुड़े मतदाता सूची का प्रयोग करें ताकि:
    • एक व्यक्ति, एक वोट सुनिश्चित हो (एकाधिक पंजीकरण रोका जा सके),
    • विभिन्न स्थानों पर मताधिकार का सहज हस्तांतरण संभव हो।  वैकल्पिक मतदान तंत्र:
    • प्रवासियों के लिए डाक मतपत्र विकल्प,
    • प्रमुख कार्यस्थलों पर मोबाइल मतदान केंद्र,
    • चुनाव आयोग द्वारा परीक्षण किए गए दूरस्थ मतदान तकनीक जैसे उपायों पर विचार करें।

Source: TH

 

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