केंद्र ने CAPFs में IPS प्रतिनियुक्ति पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की समीक्षा के लिए याचिका दायर की

पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन

संदर्भ 

  • केंद्र सरकार ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों की केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) में प्रतिनियुक्ति को “क्रमिक रूप से कम” करने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध एक पुनर्विचार याचिका दायर की है।

पृष्ठभूमि 

  • 2015 में, CAPFs के ग्रुप A अधिकारियों ने न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने नॉन फंक्शनल फाइनेंशियल अपग्रेडेशन (NFFU), कैडर समीक्षा, पुनर्गठन और भर्ती नियमों में बदलाव की मांग की थी ताकि IPS प्रतिनियुक्ति समाप्त की जा सके और वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (SAG) में आंतरिक पदोन्नति को सक्षम किया जा सके।
  • संजय प्रकाश एवं अन्य बनाम भारत सरकार, 2025 मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि:
    •  CAPFs के ग्रुप A अधिकारियों को सभी उद्देश्यों के लिए “संगठित सेवाएं” माना जाए।  
    • CAPFs में IPS अधिकारियों की SAG पदों (अर्थात् इंस्पेक्टर जनरल तक) पर प्रतिनियुक्ति को दो वर्षों की अधिकतम सीमा के अंदर क्रमिक रूप से कम किया जाए।
  • निर्णय का उद्देश्य: इस निर्णय का उद्देश्य CAPF कैडर अधिकारियों के लिए निष्पक्ष पदोन्नति सुनिश्चित करना और CAPFs में प्रतिनियुक्त IPS अधिकारियों के लंबे समय से चले आ रहे प्रभुत्व को समाप्त करना था।

CAPF का वर्तमान संगठनात्मक ढांचा  

  • CAPFs में सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), सशस्त्र सीमा बल (SSB), और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) शामिल हैं।  
  • गृह मंत्रालय IPS और CAPF अधिकारियों दोनों के लिए कैडर नियंत्रक प्राधिकरण है।
    • केंद्र ने यह तर्क दिया कि IPS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति बलों की परिचालन तत्परता बनाए रखने और केंद्र-राज्य समन्वय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।  
  • आरक्षित सीटें: वर्तमान में CAPFs में उप महानिरीक्षक (DIG) पदों में 20% और महानिरीक्षक (IG) पदों में 50% IPS अधिकारियों के लिए आरक्षित हैं।
    • यदि निर्णय लागू होता है, तो CAPFs में IPS का प्रभुत्व काफी सीमा तक कम हो जाएगा।

CAPFs में IPS नियुक्तियों को लेकर चिंताएं  

  • पदोन्नति में ठहराव: वरिष्ठ पदों में IPS अधिकारियों के उच्च आरक्षण के कारण CAPF कैडर अधिकारियों को सीमित पदोन्नति अवसर मिलते हैं।
    • औसतन, एक CAPF अधिकारी को कमांडेंट पद तक पहुंचने में 25 वर्ष लगते हैं, जबकि यह पद उन्हें आदर्श रूप से 13 वर्षों में मिल जाना चाहिए।  
  • संगठनात्मक अखंडता का उल्लंघन: IPS अधिकारियों की निरंतर प्रतिनियुक्ति संस्थागत स्वायत्तता और CAPFs को एक विशिष्ट बल के रूप में पेशेवर बनाने की दीर्घकालिक प्रक्रिया को बाधित करती है।  
  • कानूनी और प्रशासनिक प्रभाव: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा CAPF ग्रुप A सेवाओं को “संगठित सेवाएं” के रूप में मान्यता देने का अर्थ है कि सरकार को कैडर समीक्षा करनी होगी, भर्ती नियमों में संशोधन करना होगा और NFFU प्रदान करना होगा।
    • संरचनात्मक बदलावों के बिना IPS नियुक्तियों को जारी रखना प्रशासनिक रूप से असंगत और कानूनी रूप से संदिग्ध है।  
  • प्राकृतिक न्याय और समानता का उल्लंघन: अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर) लागू होते हैं, क्योंकि CAPF कैडर अधिकारियों को IPS अधिकारियों की तुलना में समान पदोन्नति अवसर नहीं मिलते।

नीतिगत सिफारिशें 

  •  कैडर समीक्षा और संरचनात्मक सुधार: सभी CAPFs की व्यापक कैडर समीक्षा करें और भर्ती नियमों को पुनर्गठित करें ताकि आंतरिक पदोन्नति को प्राथमिकता दी जा सके। 
  •  पारदर्शी पदोन्नति नीतियां: सभी बलों में CAPF अधिकारियों के लिए स्पष्ट, समयबद्ध और एकरूप पदोन्नति मानदंड स्थापित करें।  
  • CAPF अधिकारियों के लिए समर्पित नेतृत्व प्रशिक्षण: CAPF अधिकारियों को नेतृत्व भूमिकाओं के लिए तैयार करने हेतु मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रमों (जैसे LBSNAA या NPA) को संस्थागत रूप दें।
    • केंद्र-राज्य समन्वय भूमिकाओं में क्रॉस-पोस्टिंग और अनुभव को प्रोत्साहित करें ताकि CAPFs में व्यापक प्रशासनिक क्षमता विकसित हो सके।  
  • संसदीय निगरानी और नीति सुधार: CAPF कैडर नीति सुधार को संसदीय निगरानी या स्थायी समिति के अधीन लाएं।
    • CAPFs को पेशेवर बनाने और प्रतिनियुक्ति पर निर्भरता कम करने की भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा तैयार करें।

Source: TH

 

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