पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
संदर्भ
- भारत, अपने समृद्ध आयुष प्रणाली (आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी) के साथ, हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इन प्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के एकीकरण के लिए अग्रणी के रूप में मान्यता प्राप्त हुआ है।
पारंपरिक चिकित्सा क्या है?
- पारंपरिक चिकित्सा में ज्ञान, कौशल और प्रथाएं शामिल होती हैं जो देशज सिद्धांतों एवं अनुभवों पर आधारित होती हैं। इसमें वनस्पति, पशु और खनिज आधारित उपचार, आध्यात्मिक चिकित्सा और हस्त तकनीकें शामिल हैं, जिनका उद्देश्य स्वास्थ्य बनाए रखना या रोगों का उपचार करना होता है।
पारंपरिक चिकित्सा में एआई की भूमिका
- डायग्नोस्टिक्स को बढ़ाना: एआई-सक्षम प्रणालियां पारंपरिक निदान विधियों (नाड़ी परीक्षण, जीभ विश्लेषण, प्रकृति मूल्यांकन) को मशीन लर्निंग और डीप न्यूरल नेटवर्क्स से जोड़कर सटीकता बढ़ाती हैं तथा व्यक्तिगत देखभाल संभव बनाती हैं।
- आयुर्जीनोमिक्स: एआई जीनोमिक डेटा को आयुर्वेदिक सिद्धांतों से जोड़ता है ताकि रोग जोखिम चिह्नों की पहचान हो और स्वास्थ्य सिफारिशें दी जा सकें, जिससे वैयक्तिक चिकित्सा को बढ़ावा मिलता है।
- दवा खोज और सत्यापन: एआई हर्बल फॉर्मूलेशन के आणविक आधार का विश्लेषण करता है, दवाओं के पुन: उपयोग को समर्थन देता है और पारंपरिक प्रणालियों में तुलनात्मक अध्ययन को बढ़ावा देता है।
- ज्ञान का संरक्षण: एआई टूल्स प्राचीन ग्रंथों का सूचीकरण और अर्थगत विश्लेषण करने में मदद करते हैं, जिससे चिकित्सीय ज्ञान अधिक सुलभ होता है और जैव-चोरी से संरक्षण मिलता है।
- स्वास्थ्य प्रणाली प्रबंधन: एआई-सक्षम डिजिटल रिकॉर्ड्स और अस्पताल प्रबंधन प्रणालियां डेटा संग्रह, रोगी देखभाल और अनुसंधान को अनुकूलित करती हैं।
पारंपरिक चिकित्सा में एआई को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत की पहल
- आयुष ग्रिड: एक डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म जो नागरिक-केंद्रित पहलों को समर्थन देता है और आयुष प्रणालियों के डिजिटल परिवर्तन को सक्षम करता है।
- एआई-संचालित पोर्टल: SAHI पोर्टल, NAMASTE पोर्टल, और आयुष रिसर्च पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्म ऑनलाइन परामर्श, शोध एवं चिकित्सकों में डिजिटल साक्षरता को प्रोत्साहित करते हैं।
- पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL): भारत की देशज चिकित्सा विरासत को संरक्षित और सुरक्षा प्रदान करने वाला एक वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त डिजिटल भंडार।
- नीतिगत नेतृत्व: भारत ने WHO की पारंपरिक चिकित्सा में एआई के लिए पहले वैश्विक रोडमैप का प्रस्ताव रखा और उसमें योगदान किया, जिससे “सभी के लिए एआई” की प्रतिबद्धता दिखाई देती है।
चुनौतियां
- डेटा की गुणवत्ता और मानकीकरण: पारंपरिक चिकित्सा में बड़े, विश्वसनीय और मानकीकृत डेटा सेटों की कमी एआई प्रशिक्षण एवं सत्यापन को बाधित करती है।
- डिजिटल अंतराल: सीमित डिजिटल संरचना और ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों के बीच कम डिजिटल साक्षरता एआई को अपनाने में बाधा बनती है।
- जैव-चोरी और डेटा संप्रभुता: देशज ज्ञान और संसाधनों की बिना सहमति के अनुचित प्राप्ति का जोखिम।
- डेटा गोपनीयता, सुरक्षा और संवेदनशील स्वास्थ्य संदर्भों में एआई के नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करना।
- मानवीय स्पर्श: पारंपरिक चिकित्सकों द्वारा प्रदत्त संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण देखभाल को एआई पूर्णतः नहीं दोहरा सकता।
आगे की राह
- डेटा शासन को मजबूत करें: डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करने, देशज अधिकारों की रक्षा करने और डेटा संग्रह को मानकीकृत करने के लिए मजबूत रूपरेखाएं बनाएं।
- क्षमता निर्माण: डिजिटल साक्षरता और संरचना में निवेश करें ताकि डिजिटल अंतर को समाप्त किया जा सके।
- वैश्विक सहयोग: शोध, नीति और नैतिक मानकों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दें।
- साक्ष्य-आधारित एकीकरण: पारंपरिक प्रथाओं को वैज्ञानिक शोध और एआई के माध्यम से लगातार सत्यापित करें ताकि सभी के लिए सुरक्षित, प्रभावी और सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित हो सके।
Source: PIB