पाठ्यक्रम: GS3/साइबर सुरक्षा
संदर्भ
- हाल ही में भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी फैलाई गई।
परिचय
- लोकनीति-CSDS की रिपोर्ट ‘भारत में मीडिया: पहुँच, प्रथाएँ, चिंताएँ और प्रभाव’ (2022) में बताया गया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित गलत जानकारी जनता की धारणा, विश्वास और व्यवहार को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
- रिपोर्ट में ऑनलाइन फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं के प्रसार को लेकर व्यापक चिंता व्यक्त की गई।
- रॉयटर्स इंस्टीट्यूट की 2024 डिजिटल न्यूज रिपोर्ट दर्शाती है कि भारतीयों के समाचार प्राप्त करने के तरीके में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया है।
- 70% से अधिक उत्तरदाता ऑनलाइन मीडिया को प्राथमिकता दे रहे हैं और लगभग आधे लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब (54%) और व्हाट्सएप (48%) पर निर्भर हैं।
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2024 भारत को गलत सूचना के प्रति अत्यधिक संवेदनशील मानती है।
- प्रमुख कारक: AI-जनित सामग्री, बिना नियंत्रण वाले इन्फ्लूएंसर कंटेंट, और एल्गोरिदम-चालित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म।
भारत की गलत सूचना चुनौती
- बढ़ती इंटरनेट पैठ: भारत 900 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं को पार करने की राह पर है, जिससे उचित नियमन के अभाव में गलत सूचना फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
- विविध परिदृश्य, उच्च जोखिम: भारत की राजनीतिक, सामाजिक और भाषाई विविधता इसे गलत सूचनाओं, मतदाता प्रभाव और सामाजिक अशांति के लिए उपजाऊ भूमि बनाती है।
- सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं: गलत सूचना उपभोक्ता बहिष्कार, आर्थिक विवादों और अंतर्राष्ट्रीय तनाव को बढ़ावा देती है।
- पारंपरिक मीडिया पर घटता भरोसा: पारंपरिक समाचार स्रोतों पर जनता का भरोसा कम हो रहा है।
- लोग सोशल मीडिया से समाचार प्राप्त करने लगे हैं, जहाँ अविश्वसनीय जानकारी तेजी से फैलती है और कई बार इसे दोस्तों या परिवार से मिलने के कारण विश्वास किया जाता है।
- युवा वर्ग को खतरा: भारत की युवा जनसंख्या तेजी से गलत सूचना के संपर्क में आ रही है। कई युवाओं में डिजिटल साक्षरता और मीडिया उपभोग कौशल की कमी है।
- सामग्री नियमन में खामियाँ:उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बावजूद, हेल्थ और फिटनेस से जुड़े रील्स अक्सर प्रायोजित और वास्तविक सामग्री के बीच की रेखा को धुंधला कर देते हैं।
- इन्फ्लूएंसर सनसनीखेज तरीके, अधूरे तथ्य और भावनात्मक हेरफेर का उपयोग वायरल होने के लिए करते हैं।
कानूनी और नियामक परिदृश्य
- संवैधानिक सीमाएँ:अनुच्छेद 19(1)(a) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
- अनुच्छेद 19(2) में मानहानि, नैतिकता और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए सीमाएँ तय की गई हैं।
- स्वतंत्र अभिव्यक्ति (अनुच्छेद 19(1)(a)) और उचित प्रतिबंध (अनुच्छेद 19(2)) के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है।
- वर्तमान कानूनी उपाय:
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भ्रामक विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है और इन्फ्लूएंसर को जवाबदेह ठहराता है।
- आईटी अधिनियम (धारा 66 और 67) नुकसानदेह डिजिटल सामग्री के विरुद्ध दंड का प्रावधान करता है।
- मध्यस्थ दिशा-निर्देश, 2021 और ई-कॉमर्स नियम पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करते हैं।
- मानहानि कानून व्यक्तियों और ब्रांडों को गलत या बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई सामग्री से बचाते हैं।
- स्व-विनियमन: विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) विज्ञापन नैतिकता तय करती है लेकिन इसमें कानूनी शक्ति नहीं है; गैर-अनुपालन ब्लैकलिस्टिंग/सार्वजनिक फटकार का कारण बनता है।
- SEBI और RBI इन्फ्लूएंसर और वित्तीय सामग्री को ऑनलाइन नियंत्रित करते हैं।
भारत में गलत सूचना को रोकने के लिए सिफारिशें (वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2025)
- तकनीकी क्षमता और निगरानी को मजबूत करना:
- एल्गोरिदम डेवलपर्स को प्रशिक्षित करना ताकि AI सिस्टम में पूर्वाग्रह और हेरफेर को कम किया जा सके।
- AI पर्यवेक्षी बोर्ड और परिषदों की स्थापना करना ताकि जनरेटिव AI की प्रक्रियाओं की निगरानी एवं नियमन किया जा सके।
- डिजिटल प्लेटफॉर्मों द्वारा नियमित जोखिम आकलन अनिवार्य करना, विशेष रूप से उन प्लेटफॉर्मों पर जो AI का उपयोग करते हैं।
- जन जागरूकता और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना:
- नागरिकों को गलत सूचना पहचानने और उससे बचने में सहायता के लिए डिजिटल साक्षरता अभियान का विस्तार करना।
- शैक्षिक सुधार और सार्वजनिक संवाद के माध्यम से आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करना।
- बड़ी टेक कंपनियों का नियमन:
- फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्मों पर भारत की सबसे बड़े बाज़ार के रूप में स्थिति का उपयोग कर जवाबदेही की माँग करना।
- पत्रकारिता की सुरक्षा:
- पत्रकारों और व्हिसलब्लोअर्स को डराने-धमकाने और डिजिटल उत्पीड़न से बचाने के लिए मजबूत कानून पारित करना।
- वैश्विक और क्षेत्रीय गठबंधन बनाना:
- गलत सूचना की वैश्विक प्रकृति को संबोधित करने के लिए सीमा-पार गठबंधन को बढ़ावा देना।
- सहयोगियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सर्वोत्तम प्रथाएँ, खतरे की जानकारी और नियामक ढाँचे साझा करना।
निष्कर्ष
- गलत सूचना केवल एक तकनीकी समस्या नहीं है—यह लोकतंत्र, विविधता और सत्य के लिए खतरा है।
- बिना जन जागरूकता और सशक्त नीतिगत उपायों के, गलत सूचना राजनीतिक और सामाजिक विभाजन को और गहरा करेगी।
- यह प्रवृत्ति सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है और मीडिया साक्षरता, आलोचनात्मक सोच एवं जवाबदेही को बढ़ावा देने की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित करती है, ताकि लोग विश्वसनीय जानकारी को पहचान सकें।
Source: TH
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