
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा की गई एक सटीक और गैर-उत्तेजक सैन्य कार्रवाई है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (POK) में मौजूद आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाना था। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया यह अभियान, पाकिस्तानी सैन्य संपत्तियों के साथ किसी भी प्रकार के संपर्क से बचते हुए, अपराधियों को जवाबदेह ठहराने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
ऑपरेशन सिंदूर पर भारत सरकार का रुख
- 22 अप्रैल 2025 को, पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में भारतीय पर्यटकों पर बर्बर हमला किया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हुई, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
- यह हमला जानबूझकर की गई निर्ममता का प्रतीक था, जिसका उद्देश्य भय फैलाना और क्षेत्र की पर्यटन-आधारित बढ़ती अर्थव्यवस्था को बाधित करना था। 26/11 के बाद यह भारत में सबसे बर्बर नागरिक हमला माना गया।
- इस हमले की जिम्मेदारी “द रेज़िस्टेंस फ्रंट (TRF)” संगठन ने ली, जोकि लश्कर-ए-तैयबा का जाना-पहचाना मुखौटा संगठन है।
- भारत द्वारा पहले से ही खुफिया जानकारी साझा किए जाने और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टिंग के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी धरती पर मौजूद आतंकवादी ढांचे के विरुद्ध कोई सार्थक कदम नहीं उठाया।
- इसके जवाब में, और लगातार खतरों पर नजर रखने के बाद, भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर नामक एक केंद्रित और गैर-उत्तेजक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया।
- इस अभियान में पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जो भारत पर हमलों की योजना बनाने और उन्हें समर्थन देने में संलिप्त थे।
- ऑपरेशन सिंदूर को अत्यंत सावधानी से अंजाम दिया गया, ताकि पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों और आम नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे जोकि भारत के जिम्मेदार और संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- इस कार्रवाई का उद्देश्य आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना, भविष्य के हमलों को रोकना और पहलगाम नरसंहार के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना है।
- यह ऑपरेशन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उस अपील के अनुरूप है जिसमें आतंकवादियों और उनके मददगारों को जवाबदेह ठहराने की बात कही गई है। यह भारत की सुरक्षा, न्याय और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को और अधिक सुदृढ़ करता है।
आतंकवाद के विरुद्ध भारत सरकार द्वारा पूर्व में किए गए प्रमुख अभियान
भारत ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए समय-समय पर कई प्रभावशाली सैन्य अभियानों को अंजाम दिया है।
प्रमुख अभियान:
- ऑपरेशन विजय (1999): कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे धकेलने के लिए शुरू किया गया।
- ऑपरेशन पराक्रम (2001–2002): संसद पर हमले के बाद बड़े पैमाने पर सैन्य लामबंदी की गई।
- ऑपरेशन जिंजर (2011): नियंत्रण रेखा (LoC) के पार एक गुप्त जवाबी हमला
- सर्जिकल स्ट्राइक (2016): उरी हमले के जवाब में पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी लॉन्च पैड्स को निशाना बनाकर सटीक सैन्य कार्रवाई की गई।
- बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019): पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के एक बड़े प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया।
ये ऑपरेशन भारत की उभरती आतंकवाद विरोधी रणनीति को दर्शाते हैं, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने और आतंकवाद पर अपने शून्य-सहिष्णुता के रुख को बनाए रखने के लिए सैन्य सटीकता, रणनीतिक संयम और कूटनीतिक संदेश को संतुलित किया जाता है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर भारत के आतंकवाद से लड़ने के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, जिसमें केवल आतंकवादी ढाँचे को सटीकता और संयम के साथ निशाना बनाया गया है, ताकि स्थिति को बढ़ने से रोका जा सके। यह एक स्पष्ट संदेश देता है कि भारतीय नागरिकों पर हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और इसके जिम्मेदार व्यक्तियों को केंद्रित और जिम्मेदार सैन्य कार्रवाई के माध्यम से जवाबदेह ठहराया जाएगा।
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